केंद्र का जॉर्ज सोरोस द्वारा वित्त पोषित संगठन CPR पर हमला
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Big Breaking: केंद्र का जॉर्ज सोरोस द्वारा वित्त पोषित संगठन CPR पर हमला, FCRA लाइसेंस किया रद्द

Big Breaking: केंद्र सरकार ने सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च (CPR) संस्था के FCRA लाइसेंस को रद्द कर दिया है। FCRA ,2010 के दिशानिर्देश और नियम के उल्लंघन CPR द्वारा किया गया था।

राज एक्सप्रेस। सूत्रों के अनुसार केंद्र सरकार ने सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च (CPR) संस्था के FCRA लाइसेंस को रद्द कर दिया है। विदेशी अंशदान विनियमन अधिनियम (FCRA) 2010, के अंदर आने वाले दिशानिर्देश और नियम के उल्लंघन CPR द्वारा किया गया था, जिसके तहत करीब एक हफ्ते पहले ही इस संस्था की विदेशी फंडिंग पर रोक लगा दी गई। लाइसेंस रद्द करने के पीछे केंद्र सरकार की मंशा यह मानी जा रही है कि CPR को उद्योगपति जॉर्ज सोरोस से फंडिंग प्राप्त होती है जो भारत और भारत सरकार के खिलाफ आए दिन टिप्पणी देते रहते है। इससे पहले भी केंद्र सरकार ने साल 2020 में विदेशी फंडिंग के नियमो के उल्लघंन के जुर्म में अमेनेस्टी इंटरनेशनल को भारत से बैन कर दिया था।

कौन है CPR?

सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च (CPR) सार्वजनिक नीति पर शोध करने वाला एक भारतीय थिंक टैंक है। 1973 में स्थापित और नई दिल्ली में स्थित, यह भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद द्वारा मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान संस्थानों में से एक है। सीपीआर का उद्देश्य भारतीय राजनीति, अर्थव्यवस्था और समाज से संबंधित मामलों पर ठोस नीति विकल्प विकसित करना है, साथ ही सरकारों, सार्वजनिक निकायों और अन्य संस्थानों को सलाहकार सेवाएं प्रदान करना और विभिन्न चैनलों के माध्यम से नीतिगत मुद्दों पर सूचना का प्रसार करना। CPR की अध्यक्ष यामिनी अय्यर है जो मोदी सरकार की नीतियों पर कड़ा रुख अपनाते हुए लेख लिखती है।

सितंबर 2022 में आयकर विभाग ने मारे थे छापे

आयकर विभाग ने 7 सितंबर 2022 को CPR के मुख्य दफ्तर जो की दिल्ली में स्थित है, में छापे मारे थे। उस समय भी CPR पर FCRA, 2010 के नियमो और दिशानिर्देश के उल्लंघन का ही आरोप लगा था। CPR के साथ ऑक्सफैम (OXFAM) इंडिया नाम के एनजीओ के दफ्तरों में भी छापे मारे गए थे। हालांकि विपक्षी पार्टियों ने ऐसी संस्थाओं के छापे पर टिप्पणी करते हुए कहा था कि केंद्र सरकार उन्हीं संस्थाओं को निशाना बना रही है जो मोदी सरकार से सवाल पूछते है।

क्या है FCRA?

एफसीआरए (FCRA ) का पूरा नाम फॉरेन कंट्रीब्यूशन रेगुलेशन एक्ट है जिसे हिंदी में विदेशी अंशदान (विनियमन) अधिनियम कहा जाता है। इसे साल 1976 में लाया गया था और 2010 में इस अधिनियम में आखरी बार संशोधन किया गया था। इस अधियम के अंतर्गत कोई भी ऐसा गैर सरकारी स्वयंसेवी संगठन जो सामाजिक या सांस्कृतिक कामों के लिए कार्य करता है।

विदेश से चंदा लेना चाहती है उसे एफसीआरए के तहत रजिस्ट्रेशन कराना होता है। एफसीआरए विदेशी चंदा लेने के लिए इजाजत तो देती ही है साथ ही विदेश से मिल रही फंडिंग पर नजर भी रखती है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि जो फंडिंग मिल रही है उसका उद्देश्य क्या है और क्या वह किसी तरह की आतंकी फंडिंग तो नहीं है। इसके अलावा सुरक्षा संबंधी जानकारी भी रखना एफसीआरए का काम है। FCRA के अंतर्गत रजिस्ट्रेशन कराने की तारिक 31 मार्च 2023 तक कर दी गई हैं।

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