जब कुछ सजायाफ्ता के लिए जेल मैन्युअल बदला जा सकता है, तब आम माफी क्यों नहीं : सुशील कुमार मोदी
पटना, बिहार। पूर्व उप मुख्यमंत्री और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी ने आज गोपालगंज के तत्कालीन जिलाधिकारी जी. कृष्णाया की हत्या के मामले में उम्रकैद की सजा काट रहे आनंद मोहन की ओर इशारा करते हुए कहा कि जब कुछ प्रभावशाली लोगों के गंभीर मामलों में सजायाफ्ता होने के बावजूद उनकी रिहाई के लिए जेल मैन्युअल को शिथिल किया जा सकता है, तब शराबबंदी कानून तोड़ने के सामान्य अपराध से जुड़े तीन लाख 61 हजार मुकदमे भी वापस लिये जा सकते हैं।
सुशील कुमार मोदी ने गुरुवार को बयान जारी कर कहा कि शराबबंदी कानून के तहत गिरफ्तार लोगों के लिए आम माफी का एलान कर सरकार को 25 हजार लोगों की तुरंत रिहाई का रास्ता साफ करना चाहिए। इसे मुख्यमंत्री अपनी प्रतिष्ठा का प्रश्न न बनायें। उन्होंने कहा कि शराबबंदी कानून के तहत जिन पांच लाख 17 हजार लोगों को गिरफ्तार किया गया, वे कोई शातिर अपराधी नहीं हैं, उनमें 90 फीसद लोग दलित-पिछड़े-आदिवासी समुदाय के हैं। ऐसे लगभग 25 हजार लोग अभी भी जेल में हैं।
भाजपा सांसद ने कहा कि जेलों में जगह नहीं है और अदालतें पहले ही मुकदमों के बोझ से दबी हैं। गरीब मुकदमे के चक्कर में और गरीब हो रहे हैं। ऐसे में शराबबंदी कानून तोड़ने वालों को आम माफी देने से सबको बड़ी राहत मिलेगी। उन्होंने कहा कि पिछले छह वर्षों में जहरीली शराब से संबंधित 30 घटनाओं में सरकारी आंकड़ों के अनुसार 196 लोगों की मौत हुई, लेकिन इसके दोषी एक भी माफिया या शराब तस्कर को सजा नहीं हुई है।
सुशील कुमार मोदी ने सवाल किया कि राज्य सरकार ने शराब से जुड़े मामलों को तेजी से निपटाने के लिए स्पेशल कोर्ट का गठन क्यों नहीं किया और किसी मामले में स्पीडी ट्रायल क्यों नहीं हुआ । उन्होंने कहा कि आखिर सरकार ने गरीबों को उनके हाल पर क्यों छोड़ दिया।
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