हृदयरोग विशेषज्ञों ने भारतीय कोविशील्ड वैक्सीन  पर कही बड़ी बात
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हृदयरोग विशेषज्ञों ने भारतीय कोविशील्ड वैक्सीन पर कही बड़ी बात, कहा- "इसे कभी भी शुरू नहीं होनी चाहिए थी"

Corona Vaccine: ब्रिटेन के हृदय रोग विशेषज्ञों ने कोविशील्ड वैक्सीन के हृदय तथा रक्तवाहिकाओं संबंधी दुष्प्रभावों का खुलासा किया। कहा- इसे देश में कभी भी शुरू नहीं होनी चाहिए थी।

राज एक्सप्रेस। ब्रिटेन के हृदय रोग विशेषज्ञों ने कोविशील्ड वैक्सीन के हृदय तथा रक्तवाहिकाओं संबंधी दुष्प्रभावों का खुलासा किया है। विशेषज्ञों ने बताया कि दिल के दौरे और हृदय स्ट्रोक के मामले में सीरम इंस्टीट्यूट द्वारा भारत में निर्मित कोविशील्ड वैक्सीन mRNA COVID-19 टीकों (फाइजर और मोडर्ना वैक्सीन) से भी बदतर है और इसे देश में कभी भी शुरू नहीं होनी चाहिए थी। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने दो साल पहले 18 साल और उससे अधिक उम्र के लोगों के लिए कोविशील्ड के इस्तेमाल को हरी झंडी दे दी थी।

देश के लिए हानिकारक है कोविशील्ड

विशेषज्ञों का मानना है कि जितनी बार भी एक व्यक्ति इस वैक्सीन की खुराक जितनी बार लेगा, तो उतनी प्रतिशत उसे हृदय से जुड़े रोग होने के संभावनाएं बढ़ जायेंगी। फाइजर और मोडर्ना जैसी के निलंबन की मांग अंतराष्ट्रीय स्तर पर चल रही है और यही नहीं बहुत से देश कोविशील्ड के उपयोग में पूर्ण सुरक्षा समीक्षा की मांग भी कर रहे है। हृदयरोग विशेषज्ञों ने एस्टरजेंका के कोविशील्ड वैक्सीन की भारत में जांच करने का अनुरोध किया है। डेनमार्क, नीदरलैंड, थाईलैंड, जर्मनी, फ्रांस, इटली और स्पेन सहित कई देशों ने ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका द्वारा निर्मित वैक्सीन को निलंबित कर दिया था। आखिर में कोविशील्ड पर रिसर्च कर रहे हृदयरोग विशेषज्ञों ने बताया कि भारत में किसी के लिए टीकाकरण की कोई और आवश्यकता नहीं है और निश्चित रूप से किसी के लिए बूस्टर लेने की कोई आवश्यकता नहीं है, क्योंकि वैक्सीन के दुष्प्रभाव वृद्धिशील है।

यूरोपी देशों ने किया था बैन

कुछ यूरोपी देशों में, एस्ट्रेजेंका-कोविशील्ड टीके का उपयोग मुख्य रूप से 65 वर्ष से अधिक आयु के लोगों के लिए रोक दिया गया था, जिनमें प्लेटलेट्स की संख्या कम पाई गई थी। बाद में, कुछ मौतों के बाद निलंबन को बढ़ा दिया गया था, पोस्ट रक्त के थक्के को टीके में पाए जाने वाले अवयवों से जुड़ा हुआ पाया गया था। जिसके बाद मैच 2021 में एस्ट्रेजेंका से जुड़ी सभी वैक्सीन को लगभग सभी यूरोपी देशों से बन कर दिया गया था। यूरोपी देशों के अलावा एशिया में थाईलैंड ने भी कोविशिल्ड को बैन कर दिया है।

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