Assembly Elections in Naxal Affected Areas
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Assembly Election : जो वोट देगा उसकी उंगलियां काट ली जाएंगी, इस डर से कभी नहीं हुई वोटिंग

Assembly Elections in Naxal Affected Areas : आजादी के बाद भी यहाँ नक्सलियों की दहशत की वजह से कभी मतदान ही नहीं लेकिन इस बार निर्वाचन आयोग द्वारा मतदान के साथ सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किये है

हाइलाइट्स

  • चांदामेटा गांव में गांव में पहली बार पोलिंग बूथ बनाया।

  • नक्सल प्रभावित इलाकों में विधानसभा चुनाव की तैयारियां।

  • नक्सलियों की दहशत की वजह से गांव के लोगों ने कभी मतदान ही नहीं किया।

Assembly Elections in Naxal Affected Areas : बस्तर, छत्तीसगढ़। पहले यहाँ कोई चुनाव नहीं होता था न कोई वोट डालता था। हमें धमकियाँ दी जाती थी कि, जो वोट देगा, उसकी उंगलियां काट ली जाएंगी, मार दिया जाएगा मैं 23 साल का हूँ और पहली बार वोट डालूंगा। यह बात छत्तीसगढ़ के एक अति नक्सल प्रभावित एरिया चांदामेटा में रहने वाले स्थानीय युवा मधु मरकाम ने कही है। इस बार बस्तर जिले के गांव चांदामेटा में पहली बार मतदान होगा। आजादी के बाद भी यहाँ नक्सलियों की दहशत की वजह से कभी मतदान ही नही किया लेकिन इस बार निर्वाचन आयोग द्वारा मतदान के साथ सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किये गए है इसके साथ ही पहले चरण के मतदान के लिए लगभग तैयारियां भी पूरी कर ली गई है।

इस बार चांदामेटा गांव में सीआरपीएफ कैंप होने की वजह से ग्रामीणों का डर दूर हुआ है। गांव में पहली बार पोलिंग बूथ बनाया गया है। गांव के कई बुजुर्ग पहली बार वोटिंग करेंगे। नक्सल प्रभावित क्षेत्र होने के कारण यहां कभी पोलिंग स्टेशन नहीं बनाएं गए थे।

23 साल के युवा मधु मरकाम बताते हैं कि, यहां एक स्कूल है और स्कूल में चुनाव होने वाला है। वोटिंग करने की मनाही थी। नक्सली मना करते थे और हमें वोट नहीं डालने देते थे कई लोग छुपकर वोट करते थे। मैं पिछली बार वोट नहीं दे सका क्योंकि मना था, कहते थे कि जो वोट देगा, उसकी उंगलियां काट ली जाएंगी, मार दिया जाएगा। मैं पहली बार वोट डालूंगा। लोकतंत्र के लिए वोट करना जरूरी है। पहले गांव में कई समस्याएं थीं न सड़कें थीं, न लाइटें, आने-जाने में दिक्कत होती थी, स्कूल भी नहीं था। अब जो लोग दूर नहीं जा सकते, वे इस स्कूल में पढ़ सकते हैं। यहां कुल 335 मतदाता हैं। लोग वोट डालने के लिए खुश हैं।

चांदामेटा कैंप कमांडर राजू वाघ बताते हैं कि, कैंप पिछले साल अप्रैल में बनाया गया था। अब लगभग डेढ़ साल हो गए हैं। पहले यह जगह पूरी तरह से नक्सली मैदान के रूप में जानी जाती थी। बहुत सारी चुनौतियां थीं। लेकिन समय के साथ जैसे-जैसे विकास हुआ, सड़कें और बिजली आईं, स्कूल खुले, बदलाव देखने को मिला। सीआरपीएफ के प्रति लोगों का भरोसा बढ़ा। आगे उन्होंने बताते हुए कहा कि उद्घाटन के बाद पहली बार यहां स्कूल को मतदान केंद्र बनाया गया है। यहां बहुत कम लोग वोट देने जाते थे। अब जब से यहां स्कूल बन गया है तो लोगों में काफी उत्साह है। कैंप लगने से लोग सुरक्षित भी महसूस करते हैं। अब वे "निर्भीक होकर मतदान करने के लिए तैयार हैं। यहां 335 मतदाता हैं और हमारी सुरक्षा की पूरी तैयारी है। हम हर दिन एरिया डोमिनेशन करते हैं..।

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