Loan Book New Name: जानिए कब-कब बदली किसान ऋण पुस्तिका, बीस साल बाद अब फिर होगा बदलाव
Loan Book New Name: किसान-किताब हमेशा से प्रत्येक भू-धारी कृषक के जीवन का एक अभिन्न अंग रहा है। कृषक के समस्त कृषकीय एवं वित्तीय कार्य की अधिकारिक पुष्टि का स्त्रोत यह छोटी सी पुस्तिका ही रही है। अलग-अलग समय पर किसान किताब का नाम और उसके पहले पेज के बाहरी आवरण को लेकर बदलाव किये गए है। इस बार भूपेश बघेल की सरकार 20 सालों बाद एक बार फिर इसमें परिवर्तन करने जा रही है और इसके प्रति सुझाव के लिए भी आम-जन और कृषकों को आगे किया जा रहा है। प्राचीन समय में किसान पुस्तिका और ऋण पुस्तिका जैसी कोई वस्तु या किताब नहीं थी, पर उस समय भी किसान थे। तब वो कैसे अपना लेखा जोखा रखते थे। आइये इस बारे में जानते है...।
रैयतवारी रसीद बही पुस्तिका :
छत्तीसगढ़ में पहले भी किसान किताब यानी प्राचीन किसान अपना लेखा-जोखा रखने के लिए एक किताब का उपयोग करते थे। यह किसानों की परंपरागत कार्य था जिसे बाद में इसे सरकारी दस्तावेज में बदल दिया था। दरअसल, छत्तीसगढ़ में प्रत्येक किसान मालगुजारी के समय से परंपरागत रूप से अपने स्वामित्व की भूमि का लेखा-जोखा एक पुस्तिका के रूप में धारित करता है। मालगुजारी काल में बैल जोड़ी के चित्र वाली एक लाल रंग की पुस्तिका, जिसे असली "रैयतवारी रसीद बही" (Ryotwari Receipt Book) कहा जाता था, मालगुजारों के द्वारा कृषकों को दी जाती थी। कालांतर में इस पुस्तिका को भू-राजस्व सहिता में कानूनी रूप दिया गया।
1972-73 में भू अधिकार एवं ऋण पुस्तिका :
भू-राजस्व संहिता के प्रभावशील होने के पश्चात् वर्ष 1972-73 में इस पुस्तिका का नामकरण 'भू अधिकार एवं ऋण पुस्तिका किया गया। "भू अधिकार एवं ऋण पुस्तिका"(Land Rights and Loan Book) में कृषक के द्वारा धारित विभिन्न धारणाधिकार की भूमि एवं उनके द्वारा भुगतान किये गये भू राजस्व, उनके द्वारा लिये गये अल्प एवं दीर्घकालीन ऋणों के विवरण का इन्द्राज किया जाता है। इसके अतिरिक्त भूमि के अंतरणों की प्रविष्टियों को भी इसमें दर्ज किया जाता रहा है।
2003 में किसान किताब :
छत्तीसगढ़ राज्य के निर्माण के पश्चात् वर्ष 2003 में ऋण पुस्तिका का नाम "किसान किताब" (Kisan Kitab) किया गया लेकिन इसके उद्देश्यों एवं उपयोग में कोई परिवर्तन नहीं हुआ। किसान किताब में किसान के द्वारा धारित समस्त भूमि वैसे ही प्रतिबिंबित होती है जैसे यह भू-अभिलेखों में है।
20 साल बाद फिर मिलेगा नया नाम :
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल द्वारा बलौदा बाजार-भाटापारा के विधानसभा क्षेत्र ग्राम कडार में आयोजित भेंट मुलाकात के दौरान "भू-अधिकार एवं ऋण पुस्तिका या किसान किताब" की कृषक के जीवन में महत्ता को दृष्टिगत रखते हुये इसे एक नया सम्मान जनक नाम देने का आव्हान आम जनता से किया गया है और इसके नामकरण के लिए आम जनता से प्रस्ताव आमंत्रित करने एवं प्रथम स्थान प्राप्त करने वाले प्रतिभागी को रूपये एक लाख का पुरस्कार दिये जाने की घोषणा की गयी है।
आमजन को किया शामिल :
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की घोषणा के अनुरूप नामकरण को अंतिम रूप देने के लिये प्रतिभागियों से सुझाव आमंत्रित किये जाने हेतु विभाग द्वारा एक ऑनलाईन वेब पोर्टल तैयार किया गया हैं जिसका लिंक https://revenue.cg.nic.in/rinpustika है। इस पर प्रत्येक प्रतिभागी अपने मोबाईल नंबर को रजिस्टर कर अपनी एक प्रविष्टि दिनांक 30 जून 2023 तक अपलोड कर सकते हैं।
पूरी खबर पढ़ने के लिए नीचे दी गई लिंक पर क्लिक करें।
ताज़ा समाचार और रोचक जानकारियों के लिए आप हमारे राज एक्सप्रेस वाट्सऐप चैनल को सब्स्क्राइब कर सकते हैं। वाट्सऐप पर Raj Express के नाम से सर्च कर, सब्स्क्राइब करें।