RTI : दो साल बाद सूचना देने के मामले में राज्य सूचना आयोग ने लगाया 25 हजार रुपए का जुर्माना

Information Commission Imposed a Fine : बलौदाबाजार जिले के नगरदा ग्राम पंचायत के सचिव और महासमुंद जिले के ग्राम पंचायत परघिया के सचिव पर कार्रवाई की गई है।
राज्य सूचना आयोग ने लगाया 25 हजार रुपए का जुर्माना
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हाइलाइट्स

  • सूचना आयोग ने 2 सचिवों पर लगाया 25 हजार रुपए का जुर्माना।

  • बलौदाबाजार जिले के और महासमुंद जिले के सचिव पर कार्यवाई की गई।

  • कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत को जुर्माने की राशि शासन के खाते में जमा करने के दिए निर्देश।

Information Commission Imposed a Fine of Rs 25 Thousand : रायपुर, छत्तीसगढ़। आवेदकों को सही सूचना और उचित समय पर सूचना प्रदान नहीं करने पर छत्तीसगढ़ राज्य आयोग ने पंचायत सचिवों पर 25-25 हजार रुपए का जुर्माना लगाया है। बलौदाबाजार जिले के नगरदा ग्राम पंचायत के सचिव और महासमुंद जिले के ग्राम पंचायत परघिया के सचिव पर कार्रवाई की गई है।

यह जुर्माना राज्य सूचना आयुक्त मनोज त्रिवेदी ने बलौदाबाजार जिले के नगरदा ग्राम पंचायत के सचिव गोटीलाल पटेल और महासमुंद जिले के ग्राम पंचायत परघिया के सचिव अरुण बुढेक पर यह जुर्माना लगाया है। इसके साथ ही राज्य सूचना आयुक्त ने संबंधित जिलों के मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत को जुर्माने की राशि वसूल कर शासन के खाते में जमा कर आयोग को पालन प्रतिवेदन भेजने के निर्देश दिए हैं।

यह है मामला :

राज्य सूचना आयोग ने आवेदकों को 2 वर्ष विलम्ब से सूचना प्रदान करने के मामले में एक्शन लेते हुए संबधित अधिकारीयों पर कार्यवाई की है। जिसमें तत्कालीन जन सूचना अधिकारी एवं महासमुंद जिले के पिथौरा के तहसीलदार बनसिंह नेताम के विरुद्ध सामान्य प्रशासन विभाग को जांच कर दोषी पाए जाने पर नियमानुसार अनुशासनात्मक कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं नेताम वर्तमान में सुकमा जिले में डिप्टी कलेक्टर के पद पर पदस्थ है।

इस प्रकरण में पाया गया कि तत्कालीन जन सूचना अधिकारी तहसीलदार पिथौरा ने बताया कि, उन्हें पंजीकृत डाक से भेजा गया आवेदन प्राप्त नहीं हुआ है। अतः राज्य सूचना आयुक्त ने सामान्य प्रशासन विभाग को किसी सक्षम अधिकारी से इस तथ्य की जांच कराने कहा है कि, आवेदक द्वारा पंजीकृत डाक से भेजा गया मूल आवेदन जन सूचना अधिकारी के कार्यालय में प्राप्त हुआ है, अथवा नहीं।

यदि प्राप्त हुआ है तो किस कर्मचारी के द्वारा प्राप्त किया गया है, और उसके द्वारा मूल आवेदन को जन सूचना अधिकारी के संज्ञान में क्यों नहीं लाया गया। यदि जांच में तत्कालीन जन सूचना अधिकारी नेताम दोषी पाए जाते हैं, तो उनके विरुद्ध नियमानुसार आवश्यक अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाए।

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