वरिष्ठ लेखक प्रो. हरी नरके के निधन पर CM बघेल ने जताया दुख
वरिष्ठ लेखक प्रो. हरी नरके के निधन पर CM बघेल ने जताया दुखSudha Choubey - RE

वरिष्ठ लेखक प्रो. हरी नरके के निधन पर CM बघेल ने जताया दुख, कहा- उनका जाना एक अपूरणीय सामाजिक क्षति है

वरिष्ठ चिंतक, लेखक डाॅ. प्रो हरी नरके के निधन पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने दुख प्रकट किया है। उन्होंने ट्वीट करते हुए कहा- लेखक डाॅ. प्रो हरी नरके का जाना एक अपूरणीय सामाजिक क्षति है।

हाइलाइट्स-

  • वरिष्ठ लेखक प्रो. हरी नरके का निधन।

  • मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने जताया दुख।

  • भूपेश बघेल ने कहा- उनका जाना एक अपूरणीय सामाजिक क्षति है।

रायपुर, छत्तीसगढ़। वरिष्ठ चिंतक, लेखक डाॅ. प्रो हरी नरके के निधन पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने दुख प्रकट किया है। उन्होंने ट्वीट करते हुए कहा- लेखक डाॅ. प्रो हरी नरके का जाना एक अपूरणीय सामाजिक क्षति है। बता दें, लेखक डाॅ. प्रो हरी नरके का बुधवार सुबह दिल का दौरा पड़ने से मुंबई के एक निजी अस्पताल में निधन हो गया। वह साठ साल की उम्र के थे। बताया जा रहा है कि, वह पिछले कुछ दिनों से बीमार थे, लेकिन इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई।हरी नरके के निधन से महाराष्ट्र के प्रगतिशील आंदोलन में जीवन के सभी क्षेत्रों में बिनी शिलेदार की क्षति का एहसास हो रहा है।

भूपेश बघेल ने किया ट्वीट:

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने ट्वीट करते हुए कहा कि, "फूले अंबेडकर विचारधारा के प्रकाश स्तम्भ, वरिष्ठ साहित्यकार, विचारक एवं समता परिषद के उपाध्यक्ष प्रो. हरी नरके जी के निधन का समाचार दुखद है।उनका जाना एक अपूरणीय सामाजिक क्षति है। नरके जी पचास से अधिक किताबों के लेखक एवं सम्पादक थे एवं वर्तमान में पुणे में भंडारकर ओरिएंटल रिसर्च इंस्टीट्यूट के उपाध्यक्ष थे। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति एवं चाहने वालों को संबल दे। ओम् शांति:"

वही, अगर वरिष्ठ चिंतक, लेखक डाॅ. प्रो हरी नरके के बारे में बात करें, तो प्रो हरी नरके की पुस्तक महात्मा फुले समग्र वाड:मय प्रसिद्ध है। हरी नरके ने अपने ब्लॉग के जरिए मराठा आरक्षण का विरोध करने वाले समूह का समर्थन किया था। उनके कई लेख समाचार पत्रों में भी प्रकाशित हुए हैं।

वरिष्ठ चिंतक, लेखक डाॅ. प्रो हरी नरके का जन्म 1 जून 1963 को हुआ था। हरि नरके महाराष्ट्र में एक विद्वान शोधकर्ता, लेखक, वक्ता और मराठी ब्लॉगर के रूप में जाने जाते थे। वह पुणे विश्वविद्यालय के महात्मा फुले अध्यासन के अध्यासन प्रोफेसर भी थे। वह महाराष्ट्र राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग के सदस्य भी थे।

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