भारतीय संसदीय प्रणाली का अपमान रोकने लिए आए आगे : जगदीप धनखड़
भारतीय संसदीय प्रणाली का अपमान रोकने लिए आए आगे : जगदीप धनखड़Social Media

भारतीय संसदीय प्रणाली का अपमान रोकने लिए आए आगे : जगदीप धनखड़

भारतीय संसदीय प्रणाली के समर्थन में आंदोलन का समय आ गया है ताकि हम खुद को सबसे बड़ा और दुनिया में लोकतंत्र की जननी होने पर गर्व कर सकें।

नई दिल्ली। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने बुद्धिजीवियों, युवाओं और मीडिया से भारतीय संसदीय प्रणाली का अपमान रोकने के लिए आगे आने का आह्वान करते हुए कहा है कि जनता संसद की कार्यवाही में व्यवधान डालने वालों, नारेबाजी करने वालों और अशोभनीय आचरण करने वालों , कागज फेंकने वालों, माइक तोड़ने वालों और अध्यक्ष के आसन के समक्ष जाने वालों से चिंतित और क्षुब्ध हैं।

श्री धनखड़ ने यहां मुंडक उपनिषद पर सांसद डॉक्टर करण सिंह की एक पुस्तक विमोचन करते हुए कहा कि लोकतंत्र के मंदिरों में जो समसामयिक परिदृश्य चिंताजनक है। व्यवधान और मर्यादाहीन आचरण प्रतिदिन का क्रम है।

उन्होंने कहा कि भारतीय संसदीय प्रणाली के समर्थन में आंदोलन का समय आ गया है ताकि हम खुद को सबसे बड़ा और दुनिया में लोकतंत्र की जननी होने पर गर्व कर सकें। श्री धनखड़ ने कहा कि नि:संदेह भारतीय जनता संसद की कार्यवाही में व्यवधान डालने वालों, नारेबाजी करने वालों और अशोभनीय आचरण करने वालों, कागज फेंकने, माइक तोड़ने और अध्यक्ष के आसन के समक्ष जाने से चिंतित और क्षुब्ध है। उन्होंने कहा कि सांसदों को अनुकरणीय आचरण का अनुकरण करने की आवश्यकता है।

उप राष्ट्रपति ने कहा, "मैं लोगों, विशेष रूप से बुद्धिजीवियों, मीडिया और युवाओं का आह्वान करता हूं कि उनको भारतीय संसदीय प्रणाली के इस अपमान को रोकने के लिए जन जागरूकता पैदा करनी चाहिए।"

श्री धनखड़ ने कहा कि यह विडंबनापूर्ण और दर्दनाक है कि जब दुनिया एक गतिशील और जीवंत लोकतंत्र के रूप में हमारी ऐतिहासिक उपलब्धियों की सराहना कर रही है, हममें से कुछ सांसद हैं जो हमारे सुपोषित लोकतांत्रिक मूल्यों के विचारहीन और अनुचित अपमान में लगे हुए हैं। इसे किसी भी तरह से सही नहीं ठहराया जा सकता है। उन्होंने कहा कि जी-20 के अध्यक्ष के रूप में और देश के बाहर के लोग भारत को बदनाम करने के लिए काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि भारतीय संसद और संवैधानिक संस्थाओं को कलंकित करने के लिए इस तरह के गलत अभियान को अनदेखा या स्वीकार करने के लिए बहुत गंभीर परिणाम होंगे। कोई भी राजनीतिक नीति या पक्षपातपूर्ण रुख हमारे राष्ट्रवाद और लोकतांत्रिक मूल्यों से समझौता करने को सही नहीं ठहरा सकता।

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