जानिए भारत ने कैसे किया पोलियो को काबू
जानिए भारत ने कैसे किया पोलियो को काबूSyed Dabeer Hussain - RE

खतरनाक और लाइलाज बीमारी पोलियो, जानिए भारत ने कैसे किया पोलियो को काबू?

पोलियो एक लाइलाज बीमारी है जो जंगली विषाणु द्वारा होती है। यह वायरस मनुष्य के मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी पर हमला करता है। पोलियो से संक्रमित होने वाले व्यक्ति के शरीर का कोई अंग विकलांग हो जाता है।

राज एक्सप्रेस। भारत के लिए आज के दिन बेहद खास हैं क्योंकि आज ही के दिन साल 2012 में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने भारत का नाम पोलियो (Polio) प्रभावित देशों की सूची से हटा दिया था। आगे चलकर 27 मार्च 2014 को डब्ल्यूएचओ ने भारत को आधिकारिक तौर पर पोलियो मुक्त देश घोषित किया था। गौरतलब है कि भारत ने पोलियो जैसी खतरनाक महामारी से निपटने के लिए बड़ी जंग लड़ी है। तो चलिए जानते हैं कि पोलियो कितनी खतरनाक बीमारी है और भारत ने इस पर कैसे काबू पाया।

पोलियो क्या है?

बता दें कि पोलियो एक लाइलाज बीमारी है जो जंगली विषाणु द्वारा होती है। यह वायरस (Virus) मनुष्य के मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी पर हमला करता है। पोलियो से संक्रमित होने वाले व्यक्ति के शरीर का कोई अंग विकलांग हो जाता है। यह बीमारी कितनी खतरनाक है, इस बात का अंदाजा हम इसी बात से लगा सकते हैं कि आज तक इसका इलाज नहीं खोजा जा सका है।

भारत सबसे ज्यादा प्रभावित :

दुनिया में पोलियो का पहला मामला साल 1789 में सामने आया था। साल 1981 में भारत में पोलियो के 38090 मामले थे, जो साल 1985 में 1,50,000 हो गए थे। उस समय भारत दुनिया में सबसे अधिक पोलियो से संक्रमित मरीजों वाले देश में से एक था। भारत जैसे विशाल आबादी और गरीब देश के लिए पोलियो पर काबू पाना एक बहुत बड़ी समस्या थी।

कैसे मिली कामयाबी?

साल 1988 में भारत विश्व स्वास्थ्य संगठन के पोलियो मुक्त अभियान में शामिल हुआ। साल 1995 में भारत ने पोलियो उन्मूलन का कार्यक्रम शुरू किया। इसके तहत भारत के हर कोने में बच्चों को पोलियो की दवा पिलाई गई। उस समय भारत में हर साल 50,000 बच्चे पोलियो का शिकार होते थे। लेकिन भारत के इस कार्यक्रम का असर देखने को मिला और साल 2009 में भारत में पोलियो संक्रमण के 741 जबकि साल 2010 में 43 मामले ही रह गए थे। हालांकि इसके बावजूद भारत दुनिया के उन चुनिंदा देशों में से एक था, जहां पोलियो संक्रमण था। ऐसे में साल 2010 में पोलियो उन्मूलन अभियान को युद्धस्तर पर चलाया गया। इसी का असर हुआ कि 13 जनवरी 2011 के बाद भारत में पोलियो का कोई भी मामला सामने नहीं आया।

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