लोकसभा में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह
लोकसभा में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह Raj Express

लोकसभा में J-K संशोधन बिल पर बोले अमित शाह- यह न्याय दिलाने का​ बिल

लोकसभा में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने जम्मू-कश्मीर आरक्षण संशोधन अधिनियम 2023 और जम्मू कश्मीर पुनर्गठन संशोधन विधेयक 2023 पर बयान दिया।

हाइलाइट्स :

  • लोकसभा में J-K संशोधन बिल पर अमित शाह का बयान

  • अमित शाह का कहना, देश के प्रधानमंत्री पिछड़ों और गरीबों का दर्द जानते हैं

  • नेहरू के समय में जो गलतियां हुई थीं, उसका खामियाजा वर्षों तक कश्मीर को उठाना पड़ा: अमित शाह

दिल्‍ली, भारत। संसद के शीतकालीन सत्र का आज बुधवार को तीसरा दिन है। इस दौरान लोकसभा में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने जम्मू-कश्मीर आरक्षण संशोधन अधिनियम 2023 और जम्मू कश्मीर पुनर्गठन संशोधन विधेयक 2023 पर बयान दिया।

लोकसभा में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा- मैं जो विधेयक (जम्मू-कश्मीर आरक्षण संशोधन अधिनियम 2023 और जम्मू कश्मीर पुनर्गठन संशोधन विधेयक 2023) लेकर आया हूं, वह बिल 70 वर्षों से जिन पर अन्याय हुआ, अपमानित हुए और जिनकी अनदेखी की गई, उनको न्याय दिलाने का​ बिल है। नाम के साथ सम्मान जुड़ा है, इसे वही लोग देख पाते हैं, जो अपने से पीछे रह गए लोगों की अंगुली पकड़ कर संवेदना के साथ उन्हें आगे बढ़ाना चाहते हैं। वो लोग इसे नहीं समझ सकते, जो इसका उपयोग वोटबैंक के लिए करते हैं। नरेन्द्र मोदी जी ऐसे नेता हैं, जो गरीब घर में जन्म लेकर देश के प्रधानमंत्री बने हैं, वह पिछड़ों और गरीबों का दर्द जानते हैं।

मुझे खुशी है कि जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक 2023 पर पूरी चर्चा और बहस के दौरान किसी भी सदस्य ने विधेयक के 'तत्व' (पदार्थ/तत्व) का विरोध नहीं किया। यह विधेयक जो मैं लाया हूं, उसका उद्देश्य उन लोगों को न्याय प्रदान करना है, जिन्हें 70 वर्षों तक धोखा दिया गया, अपमानित किया गया और नजरअंदाज किया गया।

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह

  • जब ये (कश्मीरी) विस्थापित हुए, तो अपने ही देश में उन्हें शरणार्थी बनना पड़ा। आज के आंकड़ों के मुताबिक, 46,631 परिवार और 1,57,967 लोग अपने ही देश में विस्थापित हो गए और इस प्रकार से विस्थापित हुए कि, उनकी जड़ें अपने देश और प्रदेश से उखड़ गईं। ये बिल उनको अधिकार देने का है, उनको प्रतिनिधित्व देने का है।

  • जो कहते हैं क्या हुआ धारा 370 हटने से? 5-6 अगस्त, 2019 को इनकी (कश्मीरी) वर्षों से न सुनी जाने वाली आवाज को मोदी जी ने सुना और आज उनको उनका अधिकार मिल रहा है।

  • कुछ लोग पूछ रहे थे कि विस्थापित कश्मीरी पंडितों को आरक्षण देने से क्या होगा? कश्मीरी पंडितों को आरक्षण देने से कश्मीर की विधानसभा में उनकी आवाज गूंजेगी और अगर फिर विस्थापन की स्थिति आएगी तो वो उसे रोकेंगे। जो लोग कहते थे कि जम्मू कश्मीर में क्या हुआ? आप तो मूल से ही कटे हो, मूल के साथ संपर्क ही नहीं है, तो कैसे मालूम ​होगा कि जम्मू कश्मीर में बदलाव क्या हुआ। इंग्लैंड में छुट्टी मनाकर जम्मू कश्मीर में बदलाव नहीं मालूम पड़ेगा। कश्मीर में 1947, 1965 और 1969 के इन तीन युद्धों के दौरान कुल 41,844 परिवार विस्थापित हुए। ये बिल उन लोगों को अधिकार देने का, उन लोगों को प्रतिनिधित्व देने का एक प्रयास है।

  • यहां कांग्रेस के ढेर सारे मित्र Backward Class करते हैं। पहले अपना इतिहास तो देखो। Backward Class का सबसे बड़ा विरोध और Backward Class को रोकने का काम कांग्रेस पार्टी ने किया है। पिछड़ा वर्ग आयोग को 70 वर्षों से संवैधानिक मान्यता नहीं दी, श्री नरेन्द्र मोदी सरकार ने पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक मान्यता दी। काका कालेलकर की रिपोर्ट को रोक कर रखा। मंडल कमीशन की रिपोर्ट को लागू नहीं किया और जब लागू करने की बात हुई तो राजीव गांधी ने इसका विरोध किया।

  • आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों को आरक्षण देने की बात कभी नहीं की गई। श्री नरेन्द्र मोदी की सरकार ने आर्थिक रूप से पिछड़े छात्रों को 10% आरक्षण दिया। 1994 से 2004 के दौरान आतंकवाद की कुल घटनाएं 40,164 हुईं। 2004-14 सोनिया गांधी और मनमोहन सिंह के शासन काल के दौरान आतंकवाद की घटनाएं 7,217 हुईं। 2014 से 2023 श्री नरेन्द्र मोदी सरकार के शासन काल के दौरान आतंकवाद की घटनाएं सिर्फ 2,000 हुईं, 70% की कमी आई है।

  • नेहरू के समय में जो गलतियां हुई थीं, उसका खामियाजा वर्षों तक कश्मीर को उठाना पड़ा। पहली और सबसे बड़ी गलती- जब हमारी सेना जीत रही थी, पंजाब का क्षेत्र आते ही सीजफायर कर दिया गया और पीओके का जन्म हुआ। अगर सीजफायर तीन दिन बाद होता तो आज पीओके भारत का हिस्सा होता। दूसरा- UN में भारत के आंतरिक मसले को ले जाने की गलती की। हमारे देश के आंतरिक मुद्दे कश्मीर मुद्दे को नेहरू द्वारा संयुक्त राष्ट्र में ले जाना कोई गलती नहीं बल्कि एक बड़ी भूल थी, एक ऐतिहासिक भूल!

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