हाइलाइट्स
उच्च न्यायालय ने सीएम केजरीवाल को ED से देने से किया इंकार।
CM केजरीवाल को ED ने नौ बार बुलाया था पूछताछ के लिए।
CM Kejriwal did not get Interim Security : दिल्ली के उच्च न्यायालय से मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल को बड़ा झटका लगा है। उच्च न्यायालय ने दिल्ली पॉलिसी मामले में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को दंडात्मक कार्रवाई (गिरफ्तारी) से कोई अंतरिम सुरक्षा देने से इनकार कर दिया और कहा कि इस स्तर पर हम अंतरिम राहत देने के इच्छुक नहीं हैं। हालाँकि, अदालत ने इस नई अंतरिम याचिका पर ईडी से जवाब मांगा और मामले को 22 अप्रैल 2024 के लिए सूचीबद्ध कर दिया।
न्यायमूर्ति सुरेश कुमार कैत और न्यायमूर्ति मनोज जैन की खंडपीठ ने कहा कि वह इस स्तर पर ऐसी कोई सुरक्षा देने के इच्छुक नहीं है। कोर्ट ने कहा कि अंतरिम सुरक्षा के लिए केजरीवाल की याचिका पर ईडी के समन को चुनौती देने वाली उनकी मुख्य याचिका के साथ 22 अप्रैल को सुनवाई की जाएगी। इस स्तर पर, हम कोई आदेश पारित करने के इच्छुक नहीं हैं।
CM केजरीवाल को ED ने नौ बार पूछताछ के लिए बुलाया था। हालाँकि, आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक ने हर बार सम्मन को नजरअंदाज किया। उन्होंने ED के समन को दुर्भावनापूर्ण बताया और कहा कि सरकार राजनीतिक उद्देश्यों के लिए एजेंसी का दुरुपयोग कर रही है। उच्च न्यायालय ने 20 मार्च को ईडी से याचिका की विचारणीयता पर अपना जवाब दाखिल करने को कहा था। आज अंतरिम राहत के लिए उनकी याचिका अदालत के सामने सुनवाई के लिए आई।
CM केजरीवाल के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने दलील दी कि, ईडी का नया समन उन्हें 16 मार्च को जारी किया गया था, उसी तारीख को जब लोकसभा चुनाव के कार्यक्रम की घोषणा की गई थी, और जांच एजेंसी का दुरुपयोग किया जा रहा है। सिंघवी ने दलील दी कि ईडी के किसी भी समन से यह स्पष्ट नहीं हुआ कि केजरीवाल को आरोपी या गवाह के तौर पर पूछताछ के लिए बुलाया जा रहा है। वरिष्ठ अधिवक्ता ने सुप्रीम कोर्ट के साथ-साथ उच्च न्यायालयों के कुछ आदेशों का हवाला दिया जहां ईडी द्वारा जांच किए जा रहे लोगों को गिरफ्तारी से अंतरिम सुरक्षा दी गई थी।
अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) एसवी राजू ईडी के वकील ने दलील दी कि किसी के लिए कानून सिर्फ इसलिए अलग नहीं हो सकता क्योंकि वह किसी राज्य का मुख्यमंत्री है। राजू ने स्पष्ट किया कि केजरीवाल को मुख्यमंत्री या आम आदमी पार्टी (आप) के राष्ट्रीय संयोजक के रूप में उनकी आधिकारिक क्षमता में नहीं बल्कि उनकी व्यक्तिगत क्षमता में बुलाया गया है। उन्होंने कहा, ''पूछताछ के लिए उन्हें (केजरीवाल को) बुलाना जरूरी है। हम कानून से परे नहीं जा सकते. कानून एक ही है, चाहे वह मुख्यमंत्री हो या नहीं... हम उन्हें मुख्यमंत्री या आम आदमी पार्टी के प्रमुख के रूप में नहीं बल्कि उनकी निजी हैसियत से बुला रहे हैं... जिस व्यक्ति के मन में कानून के प्रति कोई सम्मान नहीं है, वह किसी भी सुरक्षा का हकदार नहीं है।
गौरतलब है कि, ईडी ने समन का पालन कराने के लिए केजरीवाल के खिलाफ दो शिकायत मामले दर्ज किए हैं। ट्रायल कोर्ट ने उन्हें 16 मार्च को मामले में जमानत दे दी थी। ईडी के मामले में कार्यवाही पर रोक लगाने के लिए सत्र अदालत के समक्ष केजरीवाल की याचिका 15 मार्च को खारिज कर दी गई थी। इसके बाद केजरीवाल ने ईडी के समन के साथ-साथ धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) की धारा 2(1)(एस) को इस हद तक चुनौती देते हुए उच्च न्यायालय का रुख किया कि इसके दायरे में एक राजनीतिक दल भी शामिल है। धारा 2(1)(एस) एक 'व्यक्ति' को परिभाषित करती है जो पीएमएलए के दायरे में आ सकता है।
दिल्ली उत्पाद शुल्क नीति में कथित अनियमितताओं के संबंध में सिसौदिया और आप के राज्यसभा सांसद संजय सिंह पहले से ही सलाखों के पीछे हैं। 15 मार्च 2024 को ईडी ने मामले में भारत राष्ट्र समिति के विधायक और तेलंगाना के पूर्व मुख्यमंत्री के.चंद्रशेखर राव की बेटी के.कविता को भी गिरफ्तार किया था।
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