हाइलाइट्स :
सुप्रीम कोर्ट ने दिया सभी पक्षों को दलीलें पूरी करने का निर्देश।
डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच जज बेंच ने सुनाया फैसला।
CJI ने पश्चिम बंगाल HC के फैसले पर टिप्पणी करने से किया इंकार।
Calcutta HC Judge vs Judge : पश्चिम बंगाल फर्जी जाति प्रमाणपत्रों की मदद से बड़े पैमाने पर मेडिकल प्रवेश पाने वाले उम्मीदवारों के मामले की सुनवाई अब सुप्रीम कोर्ट में होगी। उच्च न्यायालय ने पश्चिम बंगाल में फर्जी प्रमाणपत्र से संबंधित मामले को कलकत्ता उच्च न्यायालय से अपने पास ट्रांसफर किया है। सुप्रीम कोर्ट ने सभी संबंधित पक्षों को इस बीच अपनी दलीलें पूरी करने का निर्देश भी दिया।
दरअसल, परस्पर विरोधी आदेशों के कारण कलकत्ता उच्च न्यायालय के एक न्यायाधीश ने दूसरे जज पर आरोप लगाए थे। इस मामले पर भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और चार वरिष्ठतम न्यायाधीशों की अध्यक्षता वाली सर्वोच्च न्यायालय की न्यायाधीश पीठ को कलकत्ता उच्च न्यायालय में हो रही घटनाओं पर स्वत: संज्ञान लेना पड़ा। पश्चिम बंगाल उच्च न्यायालय में चल रही सुनवाई पर रोक लगाने के लिए 27 जनवरी को बैठक बुलाई गई थी।
पश्चिम बंगाल उच्च न्यायालय की एकल न्यायाधीश पीठ के रूप में बैठे न्यायमूर्ति अभिजीत गंगोपाध्याय ने न्यायमूर्ति सौमेन सेन के खिलाफ व्यक्तिगत आरोप लगाए थे। न्यायमूर्ति सौमेन सेन ने डिवीजन बेंच की अध्यक्षता की थी, जिसने मेडिकल प्रवेश मामले को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को स्थानांतरित करने के पूर्व आदेश पर रोक लगा दी थी।
मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने फैसला सुनाते हुए कहा कि, वह एकल न्यायाधीश या उच्च न्यायालय की खंडपीठ के आदेश पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहते हैं। उन्होंने कहा, ''हस्तक्षेप आवश्यक था क्योंकि उच्च न्यायालय की संस्था की गरिमा की रक्षा की जानी थी।''
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