DRDO Bullet Proof Jacket: स्नाइपर की 6 गोलियां झेल सकता है यह हलकीजैकेट

DRDO Bullet Proof Jacket: DRDO के कानपुर सेंटर में विकसित हुए यह हलकी जैकेट भारतीय सैनिकों को लेवल 6 BIS की उच्चतम सुरक्षा प्रदान करेगा।
DRDO Bullet Proof Jacket
DRDO Bullet Proof JacketRaj Express
Author:
Shreya N

हाइलाइट्स:

  • स्नाइपर की 6 गोलियों का वार सह सकता है यह जैकेट।

  • कई आधुनिक भारतीय हथियारों से सशक्त हो रही सेना।

DRDO Bullet Proof Jacket: भारत के रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने देश में अब तक की सबसे हलकी Bullet Proof Jacket विकसित की है। यह जैकेट हलकी और प्रभावी है। DRDO की बुलट प्रूफ जैकेट स्नाइपर की बुलेट तक का वार सह सकती है। इसका निर्माण DRDO के कानपुर सेंटर में हुआ है। इस जैकेट पर कई स्तर की टेस्टिंग की गई है। रक्षा मंत्रालय के अनुसार यह जैकेट सैनिकों को लेवल 6 BIS की उच्चतम सुरक्षा प्रदान करेगा। यह 7.62x54 API की 6 बुलेट्स को रोकने में प्रभावी है।

आर्मी चीफ ने कहा- युद्ध से हिचकिचाएंगे नहीं

DRDO की इस बुलेट प्रूफ जैकेट को लॉन्च करने के बीज ही, आर्मी चीफ जनरल मनोज पांडे (Gen. Manoj Pandey) ने भी यह साफ कर दिया है, कि देश युद्ध की स्थिति में हिचकिचाएगा नहीं। मंगलवार को दिल्ली के ऑल इंडिया मैनेजमेंट एसोसिएशन में जनरल ने कहा- हाल-फिलहाल के घटित जियो-पॉलिटिकल घटनाक्रमों ने दर्शाया है कि जहां राष्ट्रीय हितों का सवाल है, देश युद्ध में जाने से नहीं हिचकिचाएगा। सैन्य ताकत युद्ध को रोकने और उनका निवारण करने के साथ-साथ जरूरत पड़ने पर हमले का मजबूती से जवाब देने और युद्ध जीतने के लिए जरूरी है।

सीमा पर आधुनिक उपकरणों का प्रयोग हो रहा- आर्मी चीफ

बुधवार को भी आर्मी चीफ जनरल मनोज पांडे (Gen. Manoj Pandey) का एक और बयान सामने आया। दिल्ली के मानेकशॉ सेंटर से जनरल ने रक्षा क्षेत्र में भारत की बढ़ती आधुनिकता और आत्मनिर्भरता का जिक्र किया। आर्मी चीफ ने कहा- "भारतीय सेना हल्के वाहनों और बुलेट प्रूफ जैकेटों सहित स्वदेशी खरीद कर रही है। नाइट विजन उपकरणों के माध्यम से भारतीय सैनिकों की रात में लड़ने की क्षमता को बढ़ाया जा रहा है और संचार प्रणालियों में भी सुधार किया जा रहा है। "आर्मी के उपकरणों के आधुनिकीकरण के लिए सरकार से मिलने वाले सहयोग के बारे में जनरल ने कहा- "सरकार द्वारा चार चरणों में दी गई आपातकालीन खरीद शक्तियों ने हमें इसके तहत हस्ताक्षरित 18,000 करोड़ रुपये के अनुबंधों के साथ खुद को आधुनिक बनाने में मदद की है। इन उपकरणों का उपयोग अब सीमा पर किया जा रहा है।"

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