हाइलाइट्स :
कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता रह चुके हैं गौरव वल्लभ।
गौरव वल्लभ ने कांग्रेस की टिकट पर लड़ा था विधासभा चुनाव।
Gaurav Vallabh Resigns Congress : दिल्ली। प्रोफेसर गौरव वल्लभ (Gaurav Vallabh) ने कांग्रेस के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को पत्र लिखते हुए कहा कि, कांग्रेस आज जिस प्रकार से दिशाहीन होकर आगे बढ़ रही है,उसमें मैं ख़ुद को सहज महसूस नहीं कर पा रहा। मैं न तो सनातन विरोधी नारे लगा सकता हूं और न ही सुबह-शाम देश के वेल्थ क्रिएटर्स को गाली दे सकता हूं। इसलिए मैं कांग्रेस पार्टी के सभी पदों व प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफ़ा दे रहा हूं। बता दें कि, गौरव वल्लभ (Gaurav Vallabh) कांग्रेस की टिकट पर विधासभा चुनाव भी लड़ चुकें हैं।
गौरव वल्लभ ने पत्र में लिखा कि, मैं वित्त का प्रोफेसर हूं। कांग्रेस पार्टी की सदस्यता हासिल करने के बाद पार्टी ने राष्ट्रीय प्रवक्ता बनाया। कई मुद्दों पर पार्टी का पक्ष दमदार तरीके से देश की महान जनता के समक्ष रखा लेकिन पिछले कुछ दिनों से पार्टी के स्टैंड से असहज महसूस कर रहा हूं। जब मैंने कांग्रेस पार्टी ज्वाइन किया तब मेरा मानना था कि, कांग्रेस देश की सबसे पुरानी पार्टी है जहां पर युवा, बौद्धिक लोगों की, उनके आइडिया की क़द्र होती है लेकिन पिछले कुछ वर्षों में मुझे यह महसूस हुआ कि पार्टी का मौजूदा स्वरूप नये आइडिया वाले युवाओं के साथ खुद को एडजस्ट नहीं कर पाती।
बड़े नेताओं और ज़मीनी कार्यकर्ताओं के बीच की दूरी :
गौरव वल्लभ (Gaurav Vallabh) ने लिखा कि, 'पार्टी का ग्राउंड लेवल कनेक्ट पूरी तरह से टूट चुका है, जो नये भारत की आकांक्षा को बिल्कुल भी नहीं समझ पा रही है। जिसके कारण न तो पार्टी सत्ता में आ पा रही और ना ही मज़बूत विपक्ष की भूमिका ही निभा पा रही हैं। इससे मेरे जैसा कार्यकर्ता हतोत्साहित होता है। बड़े नेताओं और ज़मीनी कार्यकर्ताओं के बीच की दूरी पाटना बेहद कठिन है जो कि राजनैतिक रूप से जरूरी है। जब तक एक कार्यकर्ता अपने नेता को डायरेक्ट सुझाव नहीं दे सकता तब तक किसी भी प्रकार का सकारात्मक परिवर्तन संभव नहीं है।'
क्या देश में बिज़नेस करके पैसा कमाना गलत है?
कांग्रेस के प्रवक्ता रहे गौरव वल्लभ (Gaurav Vallabh) ने लिखा कि, 'आर्थिक मामलों पर वर्तमान समय में कांग्रेस का स्टैंड हमेशा देश के वेल्थ क्रिएटर्स को नीचा दिखाने का, उन्हें गाली देने का रहा है। आज हम उन आर्थिक उदारीकरण, निजीकरण व वैश्वीकरण (एलपीजी) नीतियों के खिलाफ हो गए हैं जिसको देश में लागू कराने का पूरा श्रेय दुनिया ने हमें दिया है। देश में होने वाले हर विनिवेश पर पार्टी का नज़रिया हमेशा नकारात्मक रहा। क्या हमारे देश में बिज़नेस करके पैसा कमाना गलत है?'
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