उपराज्यपाल ही होंगे असली बॉस
उपराज्यपाल ही होंगे असली बॉसSyed Dabeer Hussain - RE

उपराज्यपाल ही होंगे असली बॉस, जानिए दिल्ली सेवा कानून बनने के बाद कैसे चलेगी सरकार?

इस बिल के अनुसार उपराज्यपाल को दिल्ली विधानसभा को बुलाने, स्थगित करने और भंग करने का अधिकार होगा। उपराज्यपाल के पास कैबिनेट के किसी भी निर्णय को पलटने का अधिकार होगा।

हाइलाइट्स :

  • 'राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) विधेयक, 2023' राज्यसभा से पास हो गया है।

  • राज्यसभा में इस बिल के पक्ष में 131 वोट पड़े जबकि बिल के विरोध में 102 वोट पड़े।

  • अब राष्ट्रपति से मंजूरी मिलने के बाद यह बिल कानून बन जाएगा।

राज एक्सप्रेस। विपक्षी दलों के तमाम विरोध के बावजूद आखिरकार सरकार ने दिल्ली सेवा बिल यानि 'राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) विधेयक, 2023' राज्यसभा से पास करवा लिया है। राज्यसभा में इस बिल के पक्ष में 131 वोट पड़े जबकि बिल के विरोध में 102 वोट पड़े। सरकार इस बिल को लोकसभा में पहले ही पास करवा चुकी है। ऐसे में अब राष्ट्रपति से मंजूरी मिलने के बाद यह बिल कानून बन जाएगा। इस बिल के कानून बनने के बाद दिल्ली में अफसरों के ट्रांसफर-पोस्टिंग सहित कई अधिकार उपराज्यपाल के पास चले जाएंगे। तो चलिए जानते हैं कि दिल्ली सेवा बिल के कानून बनने के बाद दिल्ली कैसे चलेगी?

एनसीसीएसए का होगा गठन

दरअसल इस बिल के कानून बनने के बाद दिल्ली में ‘नेशनल कैपिटल सिविल सर्विस अथॉरिटी’ (एनसीसीएसए) का गठन किया जाएगा। दिल्ली के मुख्यमंत्री इस अथॉरिटी के चेयरमैन होंगे जबकि मुख्य सचिव और प्रमुख सचिव (गृह) इसके सदस्य होंगे। यह अथॉरिटी जमीन, पुलिस और पब्लिक ऑर्डर को छोड़कर अन्य मामलों से जुड़े अफसरों की ट्रांसफर और पोस्टिंग सिफारिश कर सकती है। अथॉरिटी यह फैसला सर्वसम्मति या बहुमत से करेगी। यानि अगर मुख्य सचिव और प्रमुख सचिव (गृह) मुख्यमंत्री के फैसले से संतुष्ट नहीं है तो उस फैसले को मंजूरी नहीं मिलेगी। इसके अलावा अथॉरिटी किसी अफसर के खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश भी कर सकती है। यह सभी सिफारिश दिल्ली के उपराज्यपाल को की जाएगी।

उपराज्यपाल ही होंगे असली बॉस

खास बात यह है कि इन सिफारिशों को मानने के लिए उपराज्यपाल बाध्यकारी नहीं होंगे। यानि अंतिम निर्णय उपराज्यपाल का ही होगा। इस बिल के अनुसार उपराज्यपाल को दिल्ली विधानसभा को बुलाने, स्थगित करने और भंग करने का अधिकार होगा। इसके अलावा सचिव मामले को सीधे उपराज्यपाल के संज्ञान में ला सकते हैं, वह संबंधित मंत्री से परामर्श करने के लिए भी बाध्यकारी नहीं होंगे। उपराज्यपाल के पास कैबिनेट के किसी भी निर्णय को पलटने का अधिकार होगा। यानि इस बिल के कानून बनते ही दिल्ली सरकार की शक्तियां कम हो जाएगी।

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