इजरायल-फिलिस्तीन मतदान
इजरायल-फिलिस्तीन मतदानRaj Express

इजरायल-फिलिस्तीन मतदान : भारत के सतत एवं संतुलित दृष्टिकोण के सभी तत्वों को जगह नहीं दी गई

इजरायल-फिलिस्तीन मुद्दे पर संयुक्त राष्ट्र संघ की महासभा में पेश किए गए संकल्प पर हमारा वोट, मुद्दे पर हमारी दृढ़ और सुसंगत स्थिति से निर्देशित था।

हाइलाइट्स :

  • सात अक्टूबर को इजरायल में हुए आतंकवादी हमले चौंकाने वाले थे और निंदा के पात्र थे।

  • आतंक पर कोई गोलमोल बात नहीं हो सकती।

  • हम अंतरराष्ट्रीय समुदाय के तनाव कम करने के प्रयासों और गाजा के लोगों को मानवीय सहायता प्रदान करने का स्वागत करते हैं।

नई दिल्ली। सरकार ने स्पष्ट किया कि संयुक्त राष्ट्र महासभा में इजरायल-फिलिस्तीन मुद्दे पर कल पारित प्रस्ताव पर मतदान में इसलिए भाग नहीं लिया था क्योंकि उसमें आतंकवाद सहित भारत के सतत एवं संतुलित दृष्टिकोण के सभी तत्वों को जगह नहीं दी गई।

सूत्रों ने आज यहां बताया, “कल 27 अक्टूबर को संयुक्त राष्ट्र महासभा के एक असाधारण विशेष सत्र में इजरायल-फिलिस्तीन मुद्दे पर एक प्रस्ताव अपनाया गया था जिसमें संतुलन के लिए भारत के दृष्टिकोण के सभी तत्वों को जगह नहीं दी गई। इसलिए हमने इसे अपनाने पर मतदान में भाग नहीं लिया।”

सूत्रों ने कहा, “इजरायल-फिलिस्तीन मुद्दे पर संयुक्त राष्ट्र संघ की महासभा में पेश किए गए संकल्प पर हमारा वोट, मुद्दे पर हमारी दृढ़ और सुसंगत स्थिति से निर्देशित था। वोट की हमारी व्याख्या इसे व्यापक और समग्र रूप से दोहराती है।”

सूत्रों के अनुसार आतंक पर कोई गोलमोल बात नहीं हो सकती। प्रस्ताव में स्पष्ट रूप से कहा गया है, “सात अक्टूबर को इजरायल में हुए आतंकवादी हमले चौंकाने वाले थे और निंदा के पात्र थे। हमारी संवेदनाएं बंधक बनाए गए लोगों के साथ भी हैं। हम उनकी तत्काल और बिना शर्त रिहाई का आह्वान करते हैं।”

प्रस्ताव में गाजा में उभरते मानवीय संकट पर हमारी चिंताओं को दृढ़ता से व्यक्त किया गया - “गाजा में चल रहे संघर्ष में हताहतों की संख्या एक गंभीर, गंभीर और निरंतर चिंता का विषय है। नागरिक, विशेषकर महिलाएं और बच्चे अपनी जान देकर इसकी कीमत चुका रहे हैं। इस मानवीय संकट को संबोधित करने की आवश्यकता है। हम अंतरराष्ट्रीय समुदाय के तनाव कम करने के प्रयासों और गाजा के लोगों को मानवीय सहायता प्रदान करने का स्वागत करते हैं। भारत ने भी इस प्रयास में योगदान दिया है।"

सूत्रों के मुताबिक इसके अलावा प्रस्ताव में यह भी कहा गया, “हम बिगड़ती सुरक्षा स्थिति और चल रहे संघर्ष में नागरिकों की जान के आश्चर्यजनक नुकसान से बहुत चिंतित हैं। क्षेत्र में शत्रुता बढ़ने से मानवीय संकट और बढ़ेगा। सभी पक्षों के लिए अत्यधिक जिम्मेदारी प्रदर्शित करना आवश्यक है।”

सूत्रों ने कहा, “प्रस्ताव पर चर्चा में हमने फ़िलिस्तीन पर अपने सतत रुख पर भी ज़ोर दिया।” भारत का कहना था, “भारत ने हमेशा इजरायल-फिलिस्तीन मुद्दे पर बातचीत के जरिए दो-राज्यों की स्थापना के समाधान का समर्थन किया है ताकि एक संप्रभु, स्वतंत्र और व्यवहार्य फिलिस्तीन के राज्य की स्थापना हो सके और जो अपनी मान्यता प्राप्त सीमाओं के भीतर इजरायल के साथ शांति से सुरक्षित रहे। इसके लिए हम पक्षकारों से आग्रह करते हैं कि वे तनाव कम करें, हिंसा से बचें और सीधी शांति वार्ता को जल्द से जल्द फिर से शुरू करने के लिए स्थितियां बनाने की दिशा में काम करें।"

सूत्रों के अनुसार, “संयुक्त राष्ट्र महासभा के प्रस्ताव में सात अक्टूबर के आतंकवादी हमलों की कोई स्पष्ट निंदा शामिल नहीं थी। मुख्य प्रस्ताव पर मतदान से पहले, इस पहलू को शामिल करने के लिए एक संशोधन पेश किया गया था। हमने संशोधन के पक्ष में मतदान किया और इसके पक्ष में 88 वोट प्राप्त हुए जो अपेक्षित दो तिहाई बहुमत से कम थे। प्रस्ताव के अंतिम मसौदे में हमारे दृष्टिकोण के सभी तत्वों को शामिल नहीं किए जाने के कारण हमने इसे अपनाने के लिए हुए मतदान में भाग नहीं लिया।”

ताज़ा समाचार और रोचक जानकारियों के लिए आप हमारे राज एक्सप्रेस वाट्सऐप चैनल को सब्स्क्राइब कर सकते हैं। वाट्सऐप पर Raj Express के नाम से सर्च कर, सब्स्क्राइब करें।

Related Stories

No stories found.
logo
Raj Express | Top Hindi News, Trending, Latest Viral News, Breaking News
www.rajexpress.com