संसद के सेंट्रल हॉल में PM मोदी का संबाेधन
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संसद के सेंट्रल हॉल में PM मोदी का संबोधन, कहीं ये खास बातें...

संसद के सेंट्रल हॉल में PM मोदी ने सांसदों को संबोधित किया, इस दौरान उन्‍होंने अपने संबोधन की शुरूआत देशवासियों को गणेश चतुर्थी की शुभकामना देते हुए कही। जानें भाषण में आज उन्‍होंने क्‍या खास कहा...

हाइलाइट्स :

  • गणेश चतुर्थी पर नई संसद का श्रीगणेश, पुरानी संसद में विदाई समारोह

  • संसद के सेंट्रल हॉल में PM मोदी ने सांसदों को संबोधित किया

  • गणेश चतुर्थी की शुभकामना के साथ PM मोदी ने संबोधन किया शुरू

दिल्‍ली, भारत। गणेश चतुर्थी के शुभ अवसर पर नई संसद का श्रीगणेश हुआ। इस दौरान पुरानी संसद के सेंट्रल हॉल में विदाई समारोह हो रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज मंगलवार को संसद के सेंट्रल हॉल में सांसदों को संबोधित कर सांसदों और देशवासियों को गणेश चतुर्थी की शुभकामनाएं दीं।

नए भविष्य का श्रीगणेश :

संसद के सेंट्रल हॉल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन में कहा- आज नए संसद भवन में हम सब मिलकर, नए भविष्य का श्रीगणेश करने जा रहे हैं। आज हम यहां विकसित भारत का संकल्प दोहराने, संकल्पबद्ध होने और उसको परिपूर्ण करने के लिए जी-जान से जुटने के इरादे से नए भवन की तरफ प्रस्थान कर रहे हैं। ये भवन और उसमें भी ये सेंट्रल हॉल हमारी भावनाओं से भरा हुआ है, ये हमें भावुक भी करता है और हमें हमारे कर्तव्यों के लिए प्रेरित भी करता है। 1952 के बाद दुनिया के करीब 41 राष्ट्राध्यक्षों ने इस सेंट्रल हॉल में हमारे सभी माननीय सांसदों को संबोधित किया है। हमारे सभी राष्ट्रपति महोदयों के द्वारा 86 बार यहां संबोधन दिया गया है।

1952 से अब तक दुनिया भर के लगभग 41 राष्ट्राध्यक्षों ने इस सेंट्रल हॉल में हमारे माननीय संसद सदस्यों को संबोधित किया है। ऐसा लगभग 86 बार हुआ है कि हमारे राष्ट्रपतियों ने यहां भाषण दिया है। संसद ने बीते वर्षों में ट्रांसजेंडर को न्याय देने वाले कानूनों का भी निर्माण किया। इसके माध्यम से हमने ट्रांसजेंडर को भी सद्भाव और सम्मान के साथ नौकरी, शिक्षा, स्वास्थ्य और बाकी सुविधाएं देने की दिशा में कदम बढ़ाया है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

  • हमने इस सदन में अनुच्छेद-370 से मुक्ति पाने, अलगाववाद एवं आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई लड़ने का महत्वपूर्ण कदम उठाया। इस काम में माननीय सांसदों और संसद की बहुत बड़ी भूमिका है। जम्मू कश्मीर में इसी सदन में निर्मित संविधान लागू किया गया। आज जम्मू कश्मीर शांति और विकास के रास्ते पर चल पड़ा है और नई उमंग, नए उत्साह, नए संकल्प के साथ वहां के लोग आगे बढ़ने का कोई मौका अब छोड़ना नहीं चाहते।

  • आज तक, लोकसभा और राज्यसभा द्वारा संयुक्त रूप से 4,000 से अधिक कानून पारित किए गए हैं। इसके अलावा दहेज निषेध कानून और आतंकवाद विरोधी कानून जैसे कई महत्वपूर्ण कानून संसद के संयुक्त सत्र के दौरान और इसी सेंट्रल हॉल में ही पारित किये गये हैं।

  • Technology की दुनिया में भारत का नौजवान जिस प्रकार आगे बढ़ रहा है, वो पूरे विश्व के लिए आकर्षण और स्वीकृति का केंद्र बन रहा है। अमृतकाल के 25 वर्षों में भारत को अब बड़े कैनवास पर काम करना ही होगा। हमें आत्मनिर्भर भारत बनाने के लक्ष्य को सबसे पहले परिपूर्ण करना चाहिए।

  • हमें अब मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में दुनिया में सर्वश्रेष्ठ बनने की दिशा में काम करना होगा। हमारे यहां निर्मित डिजाइन, हमारे सॉफ्टवेयर, हमारे कृषि उत्पाद, हमारे हस्तशिल्प हर क्षेत्र में अब हमें वैश्विक मापदंडों को पार करने के इरादे से ही चलना होगा। हम देश के लिए जो भी सुधार सुनिश्चित करें, उसका मूल आधार 'भारतीय आकांक्षा' होनी चाहिए! हमारे प्रत्येक कार्य में 'भारतीय आकांक्षा' को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जानी चाहिए।

  • हर छोटी चीज पर बारीकी से ध्यान देते हुए हमें आगे बढ़ना है। हमें भविष्य के लिए सही समय पर सही फैसले भी लेने होंगे। हम राजनीतिक लाभ-नुकसान के गुणा भाग में अपने आप को बंदी नहीं बना सकते। हमें देश की Aspiration के लिए हिम्मत के साथ नए निर्णय करने होंगे।

  • सामाजिक न्याय हमारी पहली शर्त है। बिना सामाजिक न्याय, बिना संतुलन, बिना समभाव के हम इच्छित परिणाम प्राप्त नहीं कर सकते। लेकिन सामाजिक न्याय की चर्चा बहुत सीमित बनकर रह गई है। हमें उसे एक व्यापक रूप में देखना होगा।

  • देश का पूर्वी भाग समृद्धि से भरा हुआ है। लेकिन वहां के नौजवानों को रोजगार के लिए दूसरे इलाकों में जाना पड़ता है। ये स्थिति हमें बदलनी है और देश के पूर्वी भाग को समृद्ध बनाकर सामाजिक न्याय को मजबूती भी देनी है।

  • भारत आज दुनिया के लिए एक Stable supply chain के रूप में उभर रहा है। आज ये विश्व की जरूरत है और उस आवश्यकता की पूर्ति करने का काम भारत ने G20 में Global South की आवाज बनकर किया है।

  • देश का पूर्वी भाग समृद्धि से भरा हुआ है। लेकिन वहां के नौजवानों को रोजगार के लिए दूसरे इलाकों में जाना पड़ता है। ये स्थिति हमें बदलनी है और देश के पूर्वी भाग को समृद्ध बनाकर सामाजिक न्याय को मजबूती भी देनी है।

  • मैं कहना चाहूंगा कि इस भवन को पुरानी संसद कहकर नहीं छोड़ना चाहिए। मैं उपराष्ट्रपति महोदय और स्पीकर महोदय से प्रार्थना करूंगा कि भविष्य में इसे संविधान सदन के रूप में जाना जाए।

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