हाइलाइट्स :
सुप्रीम कोर्ट ने SBI को 12 मार्च तक डाटा पेश करने का दिया था निर्देश।
15 मार्च तक ECI को बांड की जानकारी वेबसाइट पर करनी होगी अपलोड।
22,217 चुनावी बांड में से नहीं हो पाया 187 इलेक्टोरल बांड का भुगतान।
SBI Filed Affidavit In Supreme Court : नई दिल्ली। भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि 1 अप्रैल, 2019 से 15 फरवरी 2024 के बीच राजनीतिक दलों द्वारा कुल 22,217 चुनावी बांड खरीदे गए और 22,030 बांड भुनाए गए। शीर्ष अदालत में दायर एक अनुपालन हलफनामे में, एसबीआई ने कहा कि अदालत के निर्देश के अनुसार, उसने 12 मार्च को व्यावसायिक समय बंद होने से पहले भारत के चुनाव आयोग को चुनावी बांड का विवरण उपलब्ध करा दिया है। हलफनामे में कहा गया है कि, प्रत्येक चुनावी बांड की खरीद की तारीख, खरीदार के नाम और खरीदे गए बांड के मूल्यवर्ग सहित विवरण प्रस्तुत किए गए हैं।
SBI ने सील बंद लिफ़ाफ़े में एक पेनड्राइव और दो पीडीएफ फ़ाइल सौंपी है। बताया गया है कि, 22,217 चुनावी बांड में से 187 इलेक्टोरल बांड का भुगतान नहीं हो पाया है इसके चलते जो राशि बच गई नियमों के अनुसार उसे पीएम रिलीफ फंड में जमा कर दिया गया है।
कब कितने बांड खरीदे गए :
SBI ने अपने हलफनामे में कहा है कि 1 अप्रैल से 11 अप्रैल, 2019 तक खरीदे गए चुनावी बांड की कुल संख्या 3346 थी और भुनाए गए बांड की कुल संख्या 1609 थी। एसबीआई ने सुप्रीम कोर्ट को आगे बताया कि 12 अप्रैल, 2019 से 15 फरवरी, 2024 तक खरीदे गए चुनावी बॉन्ड की कुल संख्या 18,871 थी और भुनाए गए बॉन्ड की कुल संख्या 20,421 थी।
Electoral Bond केस में SBI की याचिका पर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की पीठ ने सुनवाई की थी ।एसबीआई (SBI) ने Electoral Bond से जुड़ी जानकारियों का खुलासा करने के लिए समय सीमा 30 जून तक बढ़ाने की मांग की थी। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि, जानकारी का खुलासा करना अनिवार्य है। साथ ही कोर्ट ने निर्देश दिया था कि, SBI को 12 मार्च तक Electoral Bond से जुड़ी जानकारी सार्वजनिक करनी होगी।
सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के अनुपालन में SBI ने 12 मार्च को सभी जानकारी और डाटा चुनाव आयोग को सौंप दिया था। कोर्ट ने कहा था कि, समयसीमा के भीतर निर्देशों का पालन नहीं करने पर न्यायालय जानबूझकर अवज्ञा के लिए SBI के खिलाफ कार्यवाही कर सकता है। इसी आदेश के अनुपालन में हलफनामा दायर किया गया है।
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