Stamp Paper Scam 2003
Stamp Paper Scam 2003 Raj Express

Scam 2003 : ट्रेन में फल बेचने वाला कैसे बना अनोखे घोटाले का मास्टरमाइंड, एक रात में बार डांसर पर लुटाए 93 लाख

Stamp Paper Scam 2003 : जेल के अंदर ही दोनों की मुलाकात हुई। तेलगी और राम रतन दोनों ने मिलकर यहीं से बड़े स्कैम का जाल बुना।

हाइलाइट्स :

  • तेलगी का जन्म 1961 में कर्नाटक के बेलगाम के छोटे से गांव खानपुर में हुआ ।

  • जालसाज़ी से वीजा बनाने के जुर्म में तेलगी साल 1991 में जेल गया ।

  • साल 2006 में 30 साल कारावास और 202 करोड़ रुपए का अर्थदंड की सजा ।

Stamp Scam 2003 Abdul Karim Telgi : राजएक्स्प्रेस । साल 2002 के नवंबर महीने में सर्दी बढ़ती जा रही थी, लेकिन एक व्यक्ति ने मुंबई में गर्मी ला दी। एक सामन्य सी कद काठी का व्यक्ति टोपाज नाम के बार (BAR) में गया जहां उसे एक बार डांसर पसंद आ गई। बार डांसर का नाम तरन्नुम खान (Tarannum Khan) था। बार डांसर को देखने के बाद वो व्यक्ति खुद को रोक नहीं पाया और उसने 93 लाख रुपये एक ही रात में डांसर पर उड़ा दिए। ये व्यक्ति कोई और नहीं बल्कि 2003 में उजागर हुए सबसे अनोखे 30 हजार करोड़ रुपए के स्टाम्प घोटाले (Stamp Ghotala 2023) का मास्टरमाइंड अब्दुल करीम तेलगी(Abdul Karim Telgi) था।

अब्दुल करीम तेलगी कभी इतना अमीर नहीं था। उसकी जिंदगी गरीबी के साथ शुरू हुई। तेलगी रोजी रोटी के लिए ट्रेन में फल और मूंगफली बेचा करता था। तीन बहनों में दूसरे नंबर के अब्दुल करीम तेलगी का जन्म 1961 में कर्नाटक के बेलगाम के छोटे से गांव खानपुर में हुआ था। तेलगी के पिता रेलवे कर्मचारी थे। अभी तेलगी अपनी स्कूली शिक्षा पूर्ण भी नहीं कर पाया था कि, उसके पिता की मौत हो गई। पिता की मौत के बाद उसका बचपन छीन गया। घर के हालात बिगड़ने लगे तो तेलगी ने ट्रेन में फल बेचने शुरू कर दिए। तेलगी ने खानपुर रेलवे स्टेशन पर फल बेचकर अपनी स्कूल और कॉलेज की शिक्षा पूर्ण की। तेलगी ने बेलगाम गोगेट कॉलेज ऑफ़ कॉमर्स से अपना ग्रेजुएशन कम्प्लीट किया, लेकिन अब भी तेलगी की आर्थिक परिस्थिति में कोई बड़ा बदलाव नहीं आया था।

रोजगार की तलाश में मुंबई आया लेकिन किस्मत ने साऊदी अरब पहुँचा दिया :

ट्रेन में फल बेचते हुए एक सेठ की नजर तेलगी पर पड़ी तो वो तेलगी को अपने साथ मुंबई ले आया। मुंबई में उस उसका मनचाहा काम नहीं मिला। कुछ समय बाद कुछ बड़ा करने की चाह में उसे साऊदी अरब जाना पड़ा। साऊदी अरब में तेलगी ने 7 साल काम किया, लेकिन अब भी उसे “वो” नहीं मिला था जिसकी उसे तलाश थी। एक बार फिर तेलगी मुंबई लौटा और उसने ट्रेवल एजेंट के रूप में काम करना शुरू कर दिया।

ट्रैवल एजेंट बनने के बाद बदली तेलगी की किस्मत:

साऊदी अरब से लौटकर तेलगी ने अपना काम तलाश लिया था। तेलगी ने अरेबियन मेट्रो ट्रैवल कंपनी शुरू की। अब तेलगी ट्रैवल एजेंट बन गया था लेकिन ज्यादा पैसे कमाने की उसकी ख्वाहिश उसे जुर्म की दुनिया में खींच रही थी। उस समय अरब देशों में मजदूरों की काफी जरुरत थी। तेलगी ने कई लोगों को गलत डाक्यूमेंट्स बनवाकर सऊदी अरब भेजा, लेकिन कहते हैं न क़ानून के हाथ बड़े लम्बे होते हैं। तेलगी का ये गैर कानूनी काम ज्यादा समय तक नहीं चल पाया। इमिग्रेशन अथॉरिटी ने तेलगी की ट्रैवल एजेंसी के काम पर नजर रखनी शुरू कर दी। और उसी साल उसके गैर कानूनी काम का खुलासा भी हो गया। जालसाज़ी और गलत तरह से वीजा बनाने के जुर्म में अब तेलगी को साल 1991 में जेल की हवा खानी पड़ी। तेलगी को तीन साल की सजा हुई थी। सजा काटने के दौरान जेल में उसकी मुलाकात ऐसे इंसान से होने वाली थी जिसके साथ मिलकर उसने भारत के सबसे अनोखे स्कैम की योजना बनाई।

जेल से शुरू हुई तेलगी की असली कहानी :

तेलगी जालसाजी के केस में जेल भेज दिया गया था। मगर जेल की हवा उसकी ज़िंदगी का रुख बदलने वाली थी। कस्टडी के दौरान उसकी मुलाकात राम रतन सोनी नाम के व्यक्ति से हुई। राम रतन एक सरकारी स्टांप वेंडर था, जो कोलकाता शहर का रहने वाला था और वह एक आपराधिक प्रकरण में जेल में बंद था। राम रतन जेल में रहते हुए भी स्टांप वेंडर का काम कर रहा था। जेल के अंदर ही दोनों की मुलाकात हुई। तेलगी और राम रतन दोनों ने मिलकर यहीं से बड़े स्कैम का जाल बुना।

90 के दशक में करोड़ों का धंधा करने वाला तेलगी:

3 साल जेल में रहकर छूटने के बाद साल 1994 में तेलगी ने राम रतन सोनी के साथ काम शुरू किया। 1990 के दशक में पूरे भारत में स्टाम्प पेपर्स की कमी चल रही थी। तेलगी ने ज्यादा पैसे कमाने का अवसर भांप लिया था। 1994 में ही उसे स्टाम्प पेपर्स का बिजनेस लाइसेंस मिल गया था, अब जरूरत थी तो प्रिंटिंग मशीन की। किस्मत इस समय तेलगी के साथ थी। इंडिया सिक्योरिटी प्रेस में एक प्रिंटिंग मशीन आउट ऑफ सर्विस थी। इसे कबाड़े में बेचा जाना था। तेलगी ने सबसे अधिक बोली लगाकर ये मशीन खरीद ली, दूसरों के लिए कबाड़ लेकिन तेलगी के लिए ये नोट छापने की मशीन थी।

जांच को ही रफा-दफा करवा दिया

तेलगी समय के साथ और चालक होता जा रहा था। किसी को उस पर शक न हो इसके लिए तेलगी ने गोवर्नमेंट प्रेस में एक उत्पादन इकाई ले ली। साल 1995 में सोनी और तेलगी अलग हो गए। पुलिस को कुछ मुखबिरों से इनपुट मिलने के बाद जून 1995 में तेलगी को फर्जी स्टाम्प बनाने के लिए हिरासत में लिया गया था । जांच एजेंसी ने तेलगी के पास से बरामद हुए 131 स्टाम्प पेपर्स जांच के लिए भेजे। जब जांच हुई तो सभी हैरान रह गए। इंडिया सिक्योरिटी प्रेस में जांच में बताया की ये सभी पेपर्स बिलकुल असली हैं लेकिन उन्होंने इन पेपर्स को नहीं बेचा, पुलिस मामले की जांच करती रही लेकिन उसे ऐसा कोई तथ्य नहीं मिला जिससे मामले में अब्दुल करीम तेलगी को आरोपी बनाया जा सके। वहीं तेलगी ने अपने शातिर दिमाग का इस्तेमाल करते हुए जांच को ही रफा-दफा करवा दिया।

1996 में तेलगी की दूसरी पारी

अब साल 1996 में तेलगी अपनी दूसरी पारी खेलने को तैयार था उसने कुछ ताकतवर लोगों को हायर किया। इसके बाद तेलगी के धंधे ने ऐसी रफ्तार पकड़ी की, कुछ साल पहले तक जो फल बेचकर अपना गुजारा कर रहा था, उसका धंधा 90 के दशक में करोड़ों का हो गया। तेलगी ने ये नकली स्टाम्प पेपर बीमा कंपनियों, बैंकों और विदेशी इन्वेस्टर्स तक को ज्यादा कमीशन का वादा कर बेच दिए। कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार इस काम में तेलगी के साथ कई पुलिस और सरकारी अफसर शामिल थे। कई बड़े नेताओं की भी इस स्कैम में शामिल होने की खबर थी। इन्ही के सपोर्ट से तेलगी इतने बड़े स्कैम को अंजाम दे पाया था।

तेलगी को लाला नाम भी मिला

फिर आया साल 2001, तेलगी राजस्थान में अजमेर शरीफ दरगाह गया हुआ था। उसे पकड़ने के लिए कुछ पुलिस वाले वहां पहुंचे और उसे घेर लिया। एक पुलिस वाला आगे बड़ा और कहा लाला.. साइड में आना, कुछ जरूरी बात करनी है। तेलगी को लाला नाम से भी जाना जाता था। अजमेर से पुलिस वालों ने जैसे-तैसे तेलगी को हिरासत में लिया। दो लोगों की गिरफ्तारी की वजह से तेलगी को भी गिरफ्तार किया गया। दरअसल साल 2000 में बेंगलुरु से कई फर्जी स्टाम्प पकड़े गए थे। उन दो स्कैमर्स की वजह से अब तेलगी का पूरा स्कैम सामने आ गया था, इसलिए अगली गिरफ्तारी तेलगी की हुई। तेलगी का नया ठिकाना अब कर्नाटक जेल था।

100 से ज्यादा बैंक अकाउंट

तेलगी का केस सीबीआई को हैंड-ओवर कर दिया गया। शुरुआत में किसी को भी इस स्कैम के इतने बड़े होने की उम्मीद नहीं थी। तेलगी के बारे में जांच करने पर पाया गया कि, देश भर में उसके नाम की 36 प्रॉपर्टीज और 100 से ज्यादा बैंक अकाउंट हैं। कुछ बैंक अकाउंट 18 अलग-अलग देशों में खोले गए थे। फर्जी स्टाम्प पेपर को मार्केट और कंपनियों में बेचने लिए तेलगी ने MBA की डिग्री प्राप्त लोगों को नौकरी में रखा था। ये लोग बैंकिंग कंपनियों, फाइनेंस इंस्टीटूशन और बड़ी कॉर्पोरेट कम्पनीज में जाकर स्टाम्प को कमीशन का वादा कर बेचा करते थे।

HIV पॉजिटिव हुआ तेलगी

साल 2003 में तेलगी को एक और झटका लगा..। जेल में उसका स्वास्थ्य खराब हो रहा था। एक दिन उसे अस्पताल ले जाया गया तो जांच में उसके HIV पॉजिटिव होने की बात सामने आई। अब तेलगी थकने लगा था, लेकिन जांच एजेंसियां एक मिनट भी रुकने को तैयार नहीं थी । उन्होंने जांच जारी रखी और जब जांच पूरी हुई तो जांच एजेंसी के साथ-साथ सरकार भी चौंक गई । तेलगी ने 30 हजार करोड़ रुपए के स्टाम्प घोटाले को अंजाम दिया था। यह राशि उस समय के हिसाब से काफी बड़ी थी। सुनवाई के बाद कोर्ट ने साल 2006 में तेलगी को 30 साल कारावास और 202 करोड़ रुपए का अर्थदंड की सजा सुनाई । तेलगी के साथ शामिल उसके साथियों को 6 - 6 साल की सजा दी गई थी। इसके कुछ समय बाद तेलगी के कारावास की सजा 13 साल घटा दी गई।

मौत के बाद बरी

तेलगी को HIV के साथ-साथ डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर जैसी गंभीर बीमारियां थीं। इस वजह से साल 2017 में 56 साल की उम्र में अब्दुल करीम तेलगी का मल्टिपल ऑर्गन फेलियर हो गया। उसे बेंगलुरु के विक्टोरिया अस्पताल लेकर गए, जहां उन्हें मृत घोषित कर दिया गया। इस तरह फल बेचने वाले से करोड़ों का स्कैम करने तक अब्दुल करीम तेलगी का अंत सरकारी अस्पताल में हुआ। सबूत की कमी के चलते उच्च अदालत ने तेलगी को उसकी मौत के एक साल बाद 31 दिसंबर 2018 को बरी कर दिया।

अब्दुल करीम तेलगी के 30 हजार करोड़ स्टाम्प स्कैम पर Web series

अब्दुल करीम तेलगी के 30 हजार करोड़ के स्टाम्प स्कैम -2003 पर Web series बनाई गई है। जानकारी के अनुसार Web series Scam 2003 को मूलतः पत्रकार संजय सिंह की लिखी किताब रिपोर्टर की डायरी पर आधारित है। Web series Scam 2003 के पहले भाग के बाद अब Scam 2003-भाग 2 रिलीज़ की गई है।

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