लोकसभा महासचिव को सुप्रीम कोर्ट का नोटिस
लोकसभा महासचिव को सुप्रीम कोर्ट का नोटिस Raj Express

महुआ मोइत्रा की याचिका पर लोकसभा महासचिव को सुप्रीम कोर्ट ने जारी किया नोटिस

Challenge To The Decision To Cancel Mahua Moitra Parliament membership: पीठ ने याचिकाकर्ता को फिलहाल किसी भी तरह की अंतरिम राहत पर विचार करने से इनकार कर दिया।

हाइलाइट्स :

  • सवाल पूछने के लिए रिश्वत लेने का महुआ मोइत्रा पर आरोप।

  • संसद महुआ मोइत्रा की सदन सदस्यता से निष्कासित कर दिया था।

  • कोर्ट मामले में अगली सुनवाई 11 मार्च से शुरू करेगी।

दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) नेता महुआ मोइत्रा की संसद सदस्यता रद्द करने के फैसले को चुनौती देने वाली उनकी याचिका पर बुधवार लोकसभा महासचिव को नोटिस जारी किया। न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की पीठ ने कहा कि वह अधिकार क्षेत्र और न्यायिक समीक्षा की शक्ति सहित सभी मुद्दों की विचार करेगी। पीठ ने अपने आदेश में कहा कि कई मुद्दे उठाए गए हैं। वह इस स्तर पर किसी भी मुद्दे पर टिप्पणी नहीं करना चाहेगी। पीठ ने याचिकाकर्ता को फिलहाल किसी भी तरह की अंतरिम राहत पर विचार करने से इनकार कर दिया।

महुआ मोइत्रा को कथित तौर पर अडानी समूह से संबंधित सवाल पूछने के लिए दुबई के एक व्यवसायी के साथ अपने (संसद की सदस्यता से संबंधित) लॉगिन विवरण साझा करने के मामले में संसद की सदस्यता से निष्कासित कर दिया गया था। शीर्ष अदालत ने नोटिस जारी करते हुए लोकसभा महासचिव की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा कि तीन सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करें। पीठ के कहा कि वह इस मामले में अगली सुनवाई 11 मार्च से शुरू होने वाले सप्ताह करेगी।

सुनवाई के दौरान महुआ मोइत्रा की ओर से पेश वकील एएम संघवी ने अदालत से याचिकाकर्ता को लोकसभा की कार्यवाही में भाग लेने की अनुमति देने का आग्रह किया। इस पर पीठ ने कहा,''नहीं...हम इसकी अनुमति नहीं दे सकते। यह याचिका को अनुमति देने के समान होगा।'' इसके बाद एएम संघवी ने उनकी अंतरिम गुहार पर नोटिस जारी करने की मांग की।इस पर पीठ ने कहा कि वह अगली तारीख पर सभी मुद्दों पर विचार करेगी। दूसरी तरफ मेहता ने पीठ से इस मामले में नोटिस जारी नहीं करने का आग्रह किया। इस पर पीठ ने स्पष्ट किया कि अदालत केवल पहले प्रतिवादी को नोटिस जारी कर रही है।

लोकसभा ने आठ दिसंबर को आचार समिति द्वारा मोइत्रा को सांसद की सदस्यता से अयोग्य ठहराने की सिफारिश के मद्देनजर उन्हें संसद से निष्कासित करने का प्रस्ताव पारित किया। संसद की इस समिति ने हीरानंदानी के हलफनामे के आधार पर महुआ के निष्कासन की सिफारिश की थी। हलफनामे में दावा करते हुए कहा गया था कि महुआ मोइत्रा ने अडानी समूह पर निशाना साधते हुए सवाल पूछने के लिए महंगे उपहारों सहित रिश्वत ली थी। यह घटनाक्रम महुआ मोइत्रा के पूर्व मित्र वकील जय अनंत देहाद्राई के हलफनामे के आधार पर भाजपा सांसद निशिकांत दुबे की शिकायत पर सामने आया था।

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