सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयुक्त नियुक्ति कानून पर रोक से इंकार किया, केंद्र को जारी किया नोटिस

सुप्रीम कोर्ट ने आज चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति से संबंधित नए कानून पर रोक लगाने से इंकार किया और निर्देश दिया कि, सभी याचिकाओं पर आम चुनाव से कुछ दिन पहले अप्रैल में सुनवाई की जाए।
सुप्रीम कोर्ट से केंद्र को राहत- चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति से संबंधित नए कानून पर रोक लगाने से किया इंकार
सुप्रीम कोर्ट से केंद्र को राहत- चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति से संबंधित नए कानून पर रोक लगाने से किया इंकारRaj Express

हाइलाइट्स :

  • चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति से संबंधित नए कानून पर रोक लगाने से सुप्रीम कोर्ट का इंकार

  • SC का निर्देश- सभी याचिकाओं पर आम चुनाव से कुछ दिन पहले अप्रैल में सुनवाई की जाए

  • सुप्रीम कोर्ट ने एनजीओ एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स द्वारा दायर याचिका पर केंद्र को नोटिस जारी

दिल्‍ली, भारत। सुप्रीम कोर्ट ने आज मंगलवार को चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति से संबंधित नए कानून पर रोक लगाने से इंकार कर केंद्र सरकार को बड़ी राहत दी है। साथ ही जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की पीठ ने एनजीओ एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स द्वारा दायर याचिका पर केंद्र को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।

इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति से संबंधित कानून के अमल पर रोक लगाने से इंकार कर याचिका को इस विषय पर लंबित मामलों की सूची में जोड़ते हुए निर्देश दिया कि, "सभी याचिकाओं पर आम चुनाव से कुछ दिन पहले अप्रैल में सुनवाई की जाए।" तो वहीं, कोर्ट में एडीआर की तरफ से पेश हुए सीनियर वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि, "कानून सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ के फैसले के विपरीत है जिसमें निर्देश दिया गया था कि सीजेआई उस पैनल में शामिल होंगे जो मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति करेगा। दो चुनाव आयुक्त सेवानिवृत्त होने वाले हैं और अगर कानून के क्रियान्वयन पर रोक नहीं लगाई गई तो याचिका बेकार हो जाएगी।"

इस पर पीठ की तरफ से प्रशांत भूषण से कहा गया, माफ करें, हम आपको इस मामले में अंतरिम राहत नहीं दे सकते। संवैधानिक वैधता का मामला कभी भी बेकार नहीं होता। हम अंतरिम राहत देने के लिए अपने मापदंडों को जानते हैं।

क्‍या है यह नए कानून :

दरअसल, नए कानून के तहत प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाला पैनल मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों का चयन करेगा। कानून में भारत के मुख्य न्यायाधीश शामिल नहीं हैं।

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