VVPAT Verification : चुनाव को नहीं कर सकते नियंत्रित - SC की टिप्पणी, फैसला सुरक्षित

VVPAT Verification Case : अदालत में लोकसभा चुनाव में VVPAT की पर्चियों का 100 प्रतिशत सत्यापन कराए जाने के लिए याचिका लगाई गई थी।
VVPAT Verification Case
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हाइलाइट्स :

  • सुप्रीम कोर्ट की दो जज बेंच ने की मामले की सुनवाई।

  • चुनाव आयोग से सुप्रीम कोर्ट ने पूछे 4 से पांच सवाल।

VVPAT Verification Case : दिल्ली। वीवीपैट के 100 प्रतिशत सत्यापन को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। जस्टिस संजीव खन्ना और दीपंकर दत्ता की बेंच ने मामले की सुनवाई की। सुनवाई के बाद कोर्ट ने आदेश सुरक्षित रख लिया। सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा, 'हम चुनाव को नियंत्रित नहीं कर सकते, हम किसी अन्य संवैधानिक प्राधिकरण (ECI) को नियंत्रित नहीं कर सकते।' अदालत में लोकसभा चुनाव में VVPAT की पर्चियों का 100 प्रतिशत सत्यापन कराए जाने के लिए याचिका लगाईं गई थी।

सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में ECI से 4 से पांच सवाल पूछे थे। जिसके जवाब में ECI ने कोर्ट में बताया कि, 'सभी तीन इकाइयों, सीयू, बीयू, वीवीपीएटी के पास अपने स्वयं के माइक्रोकंट्रोलर हैं। ये माइक्रोकंट्रोलर इसमें रखे गए हैं। उन तक भौतिक रूप से प्रवेश नहीं किया जा सकता। सभी माइक्रोकंट्रोलर एक बार प्रोग्राम करने योग्य हैं। निर्माण के समय इन्हें जला दिया जाता है। उन्हें बदला नहीं जा सकता। सिंबल लोडिंग यूनिट्स (SLU) की संख्या के संबंध में ECIL के पास 1400 एसएलयू और बीएचईएल के पास 3400 एसएलयू हैं। सभी मशीनें 45 दिनों के लिए संग्रहीत हैं। 46वें दिन, सीईओ संबंधित एचसी के रजिस्ट्रारों को यह पता लगाने के लिए लिखते हैं कि क्या कोई चुनाव याचिका दायर की गई है। यदि कोई चुनाव याचिका दायर की जाती है, तो मशीनें संग्रहीत रहती हैं। मतदान के बाद तीनों (बीयू, सीयू, वीवीपैट) को सील कर दिया जाता है।'

प्रशांत भूषण ने कोर्ट के समक्ष कहा, 'EVM में प्रोसेसर चिप का वन-टाइम प्रोग्रामेबल होना संदेह में है। इस पर जस्टिस खन्ना ने कहा, उन्होंने (ECI) संदेह स्पष्ट कर दिया है। निर्माता ने आरटीआई जवाब में स्वीकार किया है कि इस चिप का उपयोग किया गया है। निर्माता एक AnnexP कंपनी है। इस माइक्रोकंट्रोलर में फ्लैश मेमोरी भी है। इसलिए यह कहना कि उसका माइक्रोकंट्रोलर पुन: प्रोग्राम करने योग्य नहीं है, सही नहीं है। ऐसा कंप्यूटर विशेषज्ञ भी कहते हैं।

संदेह के आधार पर Mandamus :

याचिकाकर्ताओं ने कोर्ट के VVPAT और EVM पर सवाल उठाए कोर्ट ने कहा कि, अभी तक ऐसी किसी घटना की रिपोर्ट नहीं है। गिने गए 5% वीवीपैट में से अगर कोई बेमेल है तो कोई भी उम्मीदवार दिखा सकता है। इस पर कहा गया कि, इस देश में हेराफेरी करने के लिए सॉफ्टवेयर उपलब्ध हैं। तो बेंच ने कहा, क्या हम संदेह के आधार पर परमादेश (Mandamus) जारी कर सकते हैं?

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