अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में महसूस हुए भूकंप के झटके

आज अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के दिगलीपुर में 147 किलोमीटर उत्तर से भूकंप के झटके महसूस किए जाने की खबर सामने आई है। हालांकि, इन झटकों से फ़िलहाल किसी प्रकार के नुकसान की कोई खबर नहीं है।
न्यूजीलैंड के केरमाडेक द्वीप क्षेत्र में महसूस हुए भूकंप के तेज झटके
न्यूजीलैंड के केरमाडेक द्वीप क्षेत्र में महसूस हुए भूकंप के तेज झटकेSocial Media

Andaman and Nicobar Earthquake : जहां, अब देश के राज्यों में कोरोना का संकट खत्म होता नजर आरहा है। वहीं, भारत के कुछ राज्य भूंकप के झटकों का सामना कर रहे हैं। हाल ही में कई राज्यों में आए दिन भूकंप के झटके महसूस होने से लोगों की मुश्किलें व डर और अधिक बढ़ रहा था। वहीं, आज अंडमान और निकोबार द्वीप समूह से भी भूकंप के झटके महसूस किए जाने की खबर सामने आई है। हालांकि, यह भूकंप के झटके अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के दिगलीपुर में 147 किलोमीटर उत्तर में महसूस किए गए थे। इन भूकंप के झटकों से फ़िलहाल किसी प्रकार के नुकसान की कोई खबर सामने नहीं आई है।

भूकंप की तीव्रता :

बताते चलें, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के दिगलीपुर में 147 किलोमीटर उत्तर में भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं। राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र (नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी -NCS) के अनुसार, रिएक्टर पैमाने पर भूकंप की तीव्रता 4.4 मापी गयी। इन भूकंप के महसूस किये जाने की जानकारी नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी द्वारा साझा की गई। खबरों के अनुसार, इससे पहले भी अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के दिगलीपुर में 147 किलोमीटर उत्तर में भूकंप के झटके महसूस किए गए थे तब भूकंप की तीव्रता 4.4 मापी गई थी।

कैसे आता है भूकंप :

जानकारी के लिए बता दें, जब धरती की प्लेटें किसी जगह पर आपस में टकरा जाती हैं, तब वहां फॉल्ट लाइन जोन बन जाता है। इसी के चलते उस जगह दबाव बनने लगता है और प्लेट्स टूटने लगती हैं। प्लेट्स टूटने से अंदर की एनर्जी अपने आप बाहर आने का रास्ता ढूंढने लगती है, जिससे धरती हिलनी शुरू हो जाती है और इसे ही हम भूकंप मान लेते हैं।

क्यों आता है भूकंप :

भूकंप के बारे में आए दिन ही खबरें लगातार सामने आ रही हैं, किसी न किसी राज्य में भूकंप के झटके महसूस हो रहे हैं। ऐसे में बार-बार भूकंप के चलते मन में सवाल आता ही होगा कि, आखिर क्‍यों बार-बार भूकंप के झटके लग रहे हैं। दरअसल, धरती मुख्य तौर पर चार परतों से बनी होती है। इनर कोर, आउटर कोर, मैन्टल और क्रस्ट। क्रस्ट और ऊपरी मैन्टल कोर को लिथोस्फेयर कहते हैं। ये 50 किलोमीटर की मोटी परत कई वर्गों में बंटी हुई है, जिसे टैक्टोनिक प्लेट्स कहते हैं। ये टैक्टोनिक प्लेट्स अपनी जगह पर कंपन करती रहती हैं और जब इस प्लेट में बहुत ज्यादा कंपित हो जाती हैं, तो भूकंप के झटके महसूस होते हैं।

भूकंप की स्थिति में क्या करें, क्या न करें

  • भूकंप आने पर आप घर से बाहर हैं तो ऊंची इमारतों, बिजली के खंभों आदि से दूर रहें।

  • भूकंप के झटके महसूस बंद होने तक बाहर ही रहें।

  • यदि आप गाड़ी चला रहे हो तो गाड़ी को रोक लें और गाड़ी में ही बैठे रहें।

  • पुल या सड़क पर जाने से बचें।

  • भूकंप आने के वक्त यदि आप घर में हैं तो फर्श पर बैठ जाएं।

  • यदि आप घर से बाहर नहीं निकल सकते हैं तो, घर के किसी कोने में चले जाएं।

  • घर में कांच, खिड़कियों, दरवाज़ों और दीवारों से दूर रहें।

  • भूकंप के समय लिफ्ट का इस्तेमाल करने से बचें।

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