लोकसभा चुनाव में तीसरे चरण में गुजरात की 25 सीटों पर मतदान
सूरत सीट पर चुनाव से पहले जीती भाजपा
इस बार कई सीटों पर काटें की टक्कर
Gujarat Lok Sabha Election 2024 : लोकसभा चुनाव के तीसरे चरण में देश की 95 लोकसभा सीटों पर मतदान होने वाले है। इन 95 सीटों में बहुत सी सीटें ऐसी है जिसपर भाजपा की मजबूत सीट माना जाता है। इन्ही कुछ सीटों में गुजरात की 26 सीटें आती है जहां भाजपा लगातार दो आम चुनावों से सूपड़ा साफ़ करती हुई आई है। बहरहाल, सूरत लोकसभा सीट भाजपा ने चुनाव से पहले ही अपने नाम कर ली है।
हालाँकि, गुजरात में इस बार का मुकाबला भाजपा के लिए आसान नहीं लग रहा है क्योंकि उनकी पार्टी के कुछ प्रत्याशियों का ज़मीन पर भारी विरोध हो रहा है। इन 26 सीटों में से 4 सीटें एसटी (दाहोद, छोटा उदयपुर, बारदोली और वलसाड) और 2 सीटें एससी (कच्छ और अहमदाबाद पश्चिम) आरक्षित सीटें है। तो चलिए तीसरे चरण से पहले समझ लेते है गुजरात की कुछ अहम् सीटों का सूरत-ए-हाल।
वलसाड लोकसभा सीट :
अगर सबसे पहले बात वलसाड सीट की करे तो इस बार भाजपा ने यहाँ से अनुसूचित जनजाति मोर्चा के राष्ट्रीय सोशल मीडिया प्रभारी धवल पटेल को उतारा जो नवसारी के धोडिया आदिवासी समुदाय से हैं। वहीँ, कांग्रेस ने इस बार वलसाड लोकसभा के अंतर्गत आने वाली बंस्दा विधानसभा सीट से विधायक और गुजरात कांग्रेस अनुसूचित जनजाति सेल के अध्यक्ष अनंत पटेल को मैदान में उतारा है। भाजपा प्रत्याशी धवल पटेल भाजपा के नए चेहरे है वहीँ कांग्रेस प्रत्याशी अनंत पटेल, गुजरात कांग्रेस का आदिवासी युवा चेहरा है जिन्होंने दक्षिण गुजरात के वलसाड, नवसारी, तापी, डांग और सूरत जैसे विभिन्न जिलों से गुजरने वाली केंद्र सरकार की पार-तापी-नर्मदा नदी जोड़ परियोजना के खिलाफ आदिवासी विरोध प्रदर्शन किया था और परियोजना को रद्द करवाया था। यह सीट पिछले 2 बार से भाजपा के पाले में आयी है। कांग्रेस ने आखरी बार यह सीट 2009 में जीती थी।
गांधीनगर लोकसभा सीट :
गुजरात की यह लोकसभा सीट एक हाई प्रोफाइल सीट मानी जाती है जहाँ से भाजपा के बड़े नेताओं ने चुनाव लड़ा है। इस सीट से पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी, पूर्व उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी और वर्तमान में देश के गृह मंत्री अमित शाह ने चुनाव लड़ा है। पूर्व उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी इस सीट से सबसे ज्यादा 6 बार सांसद रहे है। पिछले चुनाव में आडवाणी के राजनीति के संन्यास लेने के बाद तत्कालीन भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने इस सीट से चुनाव लड़ने का फैसला किया था जहाँ उन्हें रिकॉर्ड जीत हासिल हुई थी। कांग्रेस ने आखरी बार इस सीट पर 40 साल पहले जीत हासिल की थी।
भाजपा की इस सीट पकड़ कितनी ज्यादा मजबूत है जिसका पता आपको इस बात से लग जाएगा कि कांग्रेस ने इस सीट से भारतीय चुनाव प्रक्रिया को बदल देने वाले चुनाव आयोग के पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त टीएन शेषन और देश के पहले सुपरस्टार राजेश खन्ना को उतारा था जहां उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। इस बार कांग्रेस ने गृह मंत्री अमित शाह के सामने गुजरात महिला कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनल पटेल को उतारा है।
पोरबंदर लोकसभा सीट :
बापू महात्मा गांधी की जन्मस्थली वाली लोकसभा सीट इस बार इतनी ख़ास इस लिए हो चुकी है क्योंकि इस बार यहां से भाजपा ने केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री मनसुख मंडाविया को पहली बार संसदीय चुनाव मैदान में उतारा है। केंद्रीय मंत्री मंडाविया ने अपना आखरी चुनाव 2002 के गुजरात विधानसभा चुनाव में लड़ा था जहाँ वह पालीताना से विधायक चुने गए थे। वही दूसरी और कांग्रेस ने यहाँ से पूर्व विधायक ललित वसोया को मैदान में उतारा है। इस सीट को कांग्रेस ने वैसे तो 2009 में जीता था लेकिन जिस सांसद ने इस सीट को जीता था वह 2012 में भाजप में शामिल हो गया था। यहाँ पर कांग्रेस ने 1984 में आखरी बार अपना पूरे कार्यकाल वाला सांसद देखा था।
नवसारी सीट :
नवसारी सीट पिछले 2 चुनावों से सबसे चर्चित सीट बन चुकी है। ऐसा इसलिए क्योंकि यहाँ से भाजपा सांसद सीआर पाटिल ने रिकॉर्ड मतों से जीत हासिल की है। पाटिल ने पिछले चुनाव में 6 लाख 89 हज़ार मतों से जीत हासिल की थी जो की लोकसभा चुनाव के इतिहास की सबसे बड़ी जीत मानी जाती है और उससे पिछले चुनाव यानी 2014 में उन्होंने 5 लाख 58 हजार मतों से जीत हासिल की थी। सीआर पाटिल प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष भी है और चौथी बार इस सीट से प्रत्याशी है। उनके सामने इस बार कांग्रेस ने अपने प्रवक्ता नैषध देसाई को अपना उम्मीदवार बनाया है। कांग्रेस ने आखरी बार यह सीट 2009 और फिर 1984 में जीती थी।
राजकोट लोकसभा सीट :
राजकोट सीट इस बार के चुनाव की सबसे हॉट सीट बनी हुई है। इसके हॉट सीट बनने का कारण भाजपा प्रत्याशी और केंद्रीय मंत्री पुरुषोत्तम रुपाला के खिलाफ क्षत्रिय समाज द्वारा किया जा रहा है विरोध है। केंद्रीय मंत्री रुपाला ने 22 मार्च को एक भाषण में कहा था कि उत्पीड़न के कारण क्षत्रिय राजा विदेशी शासकों के सामने झुकते थे, उनके साथ रोटी खाते थे और अपनी बेटियों का विवाह उनके साथ करते थे। उनके इस बयान के बाद गुजरात के क्षत्रिय समाज के बीच आक्रोश पैदा हो गया था जहां उन्होंने भाजपा को दमकी दी कि उन्हें राजकोट से टिकट न दिया जाए। हालाँकि, क्षत्रियों का विरोध आज भी जारी है और रुपाला ने अपना नामांकन दाखिल भी कर दिया है। रुपाला का यह पहला लोकसभा चुनाव है। इससे पहले वह राज्य सभा संसद थे। वहीँ, कांग्रेस ने दूसरी तरफ यहाँ से अमरेली से पूर्व विधायक परेश धनानि को टिकट दिया है।
बनासकांठा लोकसभा सीट :
इस बार की एक और हॉट सीट बनासकांठा सीट जिसमे काटे की टक्कर देखने को मिल रही है। भाजपा ने यहाँ से मोरबी जिले के भाजपा प्रभारी हितेश चौधरी की पत्नी रेखाबेन चौधरी को टिकट दिया है जो की एक नया चेहरा है। वहीँ, कांग्रेस ने इस बार अपनी एकलौती महिला विधायक गेनीबेन ठाकोर को टिकट दिया है। इस सीट पर दोनों प्रत्याशी महिला प्रत्याशी है। भाजपा ने सीट अपने नाम की थी जहां परबतभाई पटेल इस सीट से सांसद चुने गए थे हालाँकि इस बार उनकी उम्र को देखते हुए उनका टिकट काट दिया गया और नए चेहरे पर डाव लगाया है। इस सीट पर कभी कांग्रेस तो कभी भाजपा का कब्ज़ा रहा है। इस सीट से कांग्रेस उम्मीदवार अपनी मजबूत दावेदारी पेश कर रही है जहाँ पिछड़े इलाकों में उनकी पकड़ मजबूत बताई जाती है।
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