हेमंत सोरेन करेंगे श्रावणी मेले की शुरुआत, 50लाख से अधिक श्रद्धालुओं के पहुंचने की संभावना

झारखंड में महादेव की नगरी बाबाधाम यानी देवघर में पूरे दो साल बाद विश्व प्रसिद्ध श्रावणी मेले का आयोजन किया जा रहा है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन 13 जुलाई को श्रावणी मेले की शुरुआत करेंगे।
हेमंत सोरेन करेंगे श्रावणी मेले की शुरुआत, 50लाख से अधिक श्रद्धालुओं के पहुंचने की संभावना
हेमंत सोरेन करेंगे श्रावणी मेले की शुरुआत, 50लाख से अधिक श्रद्धालुओं के पहुंचने की संभावनाSocial Media

देवघर/रांची। झारखंड में महादेव की नगरी बाबाधाम यानी देवघर में पूरे दो साल बाद विश्व प्रसिद्ध श्रावणी मेले का आयोजन किया जा रहा है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन 13 जुलाई को श्रावणी मेले की शुरुआत करेंगे। कोरोना काल के दो वर्ष इस बार 50 लाख से अधिक श्रद्धालुओं के सावन मास में बाबानगरी पहुंचने की संभावना है। इधर, इस बार श्रावण मास में पड़ने वाली सोमवारी को लेकर मिथिला और बंगला पंचांग में अलग-अलग बातें बताई गईं हैं। मिथिला पंचांग के मुताबिक, इस साल सावन के महीने में कुल 4 सोमवारी का जिक्र किया गया है। वहीं बंगला पंचांग के मुताबिक, साल 2022-2023 में पांच सोमवारी को लेकर जानकारी दी गई है। मिथला पंचांग के मुताबिक गुरु पूर्णिमा यानी 14 जुलाई के दिन से ही सावन मास की शुरुआत हो जाएगी। उधर, बंगला पंचांग की मानें तो संक्रांति की तिथि से यानी 17 जुलाई से सावन शुरू होगा।

मिथिला पंचांग के मुताबिक, 18 जुलाई को सावन की पहली सोमवारी, 25 जुलाई को दूसरी, 1 अगस्त को तीसरी और 8 अगस्त को चौथी सोमवारी के योग बन रहे हैं। वहीं 11 अगस्त को रक्षा बंधन के साथ ही मेले का समापन हो जाएगा। इस बीच 2 अगस्त को नागपंचमी का भी शुभ योग है। इतना ही नहीं, बंगला पंचांग के मुताबिक सावन की पांचवीं सोमवारी 15 अगस्त को बताई गई है। मिथिला क्षेत्र में नवविवाहितों का पर्व मधुश्रावणी की पूजा का योग भी इस साल शुभ बताया गया है। यह पर्व 17 जुलाई से शुरू होकर 31 जुलाई तक चलेगा। 18 जुलाई से विधिवत मधुश्रावणी पूजा की शुरुआत होगी। इस दौरान प्रत्येक दिन शिव-पार्वती की कथा के साथ ही खास पूजा होगी और 31 जुलाई को विधिवत हवन-पूजन के साथ पूजा सम्पन्न होगी।

परंपरा के अनुसार आठ अगस्त एकादशी से झूलनोत्सव प्रारम्भ होगा। इस दौरान प्रत्येक दिन बाबा मंदिर समेत शहर के अलग-अलग इलाकों में झूलनोत्सव का आयोजन होगा इसमें राधा-कृष्ण की पूजा के साथ ही रोजाना रात के वक्त भगवान की पूजा होगी और 12 अगस्त को पूजा का समापन होगा। कोरोना महामारी की वजह से श्रावणी मेले पर लगी रोक हटने के बाद इसका आयोजन हो रहा है। दो साल बाद आयोजित हो रहे विश्वप्रसिद्ध श्रावणी मेले के दौरान इस साल भक्तों के लिए कई नई व्यवस्थाएं की गई हैं। इस साल दूसरी और तीसरी सोमवारी को विशेष योग बन रहे हैं। ऐसे में सबसे अधिक भीड़ भी जुटने की संभावना जताई जा रही है। इसी बीच नागपंचमी भी पड़ रही है लिहाजा करीब 2 लाख कांवडि़यों के आने की उम्मीद है।

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