UN में ईरान के खिलाफ वोटिंग से भारत ने बनाई दूरी
UN में ईरान के खिलाफ वोटिंग से भारत ने बनाई दूरीसांकेतिक चित्र

UN में ईरान के खिलाफ वोटिंग से भारत ने बनाई दूरी, जानिए भारत के लिए क्यों अहम है ईरान?

भारत के लिए अरब सागर में चीन को चुनौती देने के लिए चाबहार बंदरगाह बहुत जरूरी है। यही कारण है कि भारत ईरान को नाराज करने का जोखिम नहीं उठा सकता है।

राज एक्सप्रेस। बीते कुछ समय में चीन और ईरान एक-दूसरे के करीब आ रहे हैं। कई विशेषज्ञ इसे भारत के लिए खतरे की घंटी बता रहे हैं। हालांकि भारत में ईरान के राजदूत इराज इलाही ने कहा था कि भारत को इस मामले में चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है। वहीं दूसरी तरह संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में भारत ने ईरान के खिलाफ वोटिंग में हिस्सा नहीं लिया। भारत इससे पहले भी कई बार ऐसा कर चुका है। ऐसे में आज हम जानेंगे कि पश्चिमी देशों के दबाव के बावजूद भारत ईरान के खिलाफ वोटिंग में शामिल क्यों नहीं होता। आखिर भारत के लिए ईरान इतना जरूरी क्यों है? चलिए जानते हैं।

चाबहार बंदरगाह :

दरअसल चाबहार बंदरगाह एकमात्र ईरानी बंदरगाह है, जिसकी पहुंच समुद्र तक है। ख़ास बात यह है कि इस बंदरगाह को भारत ने बनाया है। चाबहार बंदरगाह को पाकिस्तान स्थित ग्वादर पोर्ट के जवाब के रूप में देखा जाता है। दरअसल ग्वादर पोर्ट को चीन ने बनाया है। ऐसे में ग्वादर पोर्ट पर चीन की मौजूदगी भारत के लिए अच्छा संकेत नहीं हैं। ऐसे में भारत के लिए अरब सागर में चीन को चुनौती देने के लिए चाबहार बंदरगाह बहुत जरूरी है। यही कारण है कि भारत ईरान को नाराज नहीं करना चाहता।

व्यापार में भी मददगार :

मध्य एशियाई देशों में व्यापार करने के लिए भारत को ईरान की जरूरत है। भारत को उज्बेकिस्तान, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान और तुर्कमेनिस्तान जैसे देशों में जाने के लिए ईरान होकर जाना पड़ता है। इसके अलावा एक रास्ता पाकिस्तान होकर भी जाता है, लेकिन भारत कभी भी व्यापार के लिए पाकिस्तान पर निर्भर नहीं होना चाहेगा।

अफगानिस्तान :

इस समय अफगानिस्तान में तालिबान का शासन है। अफगानिस्तान जाने के लिए भी भारत के पास दो रास्ते है – एक ईरान से और दूसरा पाकिस्तान से। ऐसे में अफगानिस्तान तक अपनी पहुंच बनाने के लिए भारत को ईरान की जरूरत है। क्योंकि अगर भारत अफगानिस्तान से दूर होता है तो पाकिस्तान इसका फायदा उठा सकता है और तालिबान को भारत के खिलाफ कर सकता है।

तेल :

साल 2018 से पहले भारत अपने कुल तेल आयात का 11 प्रतिशत ईरान से लेता था। लेकिन साल 2018 में अंतराष्ट्रीय प्रतिबंधों के चलते भारत ने ईरान से तेल लेना बंद कर दिया। हालांकि भारत अब भी ईरान के साथ अच्छे संबंध बनाए रखना चाहता है। ताकि भविष्य में ईरान पर से प्रतिबंध हटते हैं तो ऊर्जा सहयोग को फिर से शुरू करने में आसानी हो।

ताज़ा समाचार और रोचक जानकारियों के लिए आप हमारे राज एक्सप्रेस वाट्सऐप चैनल को सब्स्क्राइब कर सकते हैं। वाट्सऐप पर Raj Express के नाम से सर्च कर, सब्स्क्राइब करें।

Related Stories

No stories found.
logo
Raj Express | Top Hindi News, Trending, Latest Viral News, Breaking News
www.rajexpress.com