श्रीकृष्ण की शिक्षा स्थली में ‘जन्माष्टमी’ का एक अलग ही आनंद
राज एक्सप्रेस। देशभर में जहां भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव यानी जन्माष्टमी की अलग ही धूम देखने को मिलती है। वही श्रीकृष्ण की शिक्षा स्थली 'उज्जैन' में इस त्यौहार का अपना एक अलग ही आनंद दिखाई पड़ता है गौरतलब है की भगवान् श्री कृष्ण ने अपनी सम्पूर्ण शिक्षा और ज्ञान सांदीपनि आश्रम में ही गुरु सांदीपनि से प्राप्त किया था। उज्जैन स्थित महर्षि सांदीपनि आश्रम जो ऋषि सांदीपनि की तप स्थली है। यहां महर्षि ने घोर तपस्या की थी। इसी स्थान पर महर्षि सांदीपनि ने वेदए पुराण शास्त्रादि की शिक्षा हेतु आश्रम का निर्माण करवाया था।
दुनिया भर से आश्रम में श्रद्धालु आते है और श्री कृष्ण की शिक्षा स्थली के रूप में दर्शन करते है जन्मअष्टमी पर देश भर में धूम मचती है और इसी दिन अलग-अलग श्री कृष्ण मंदिर को सजाया जाता है उज्जैन में भी 3 बड़े कृष्ण के मंदिर है
- पहला संदीपनी आश्रम कान्हा भगवान श्री कृष्ण ने गुरु संदीपनी से ज्ञान अर्जित किया था और अपने सखा सुदामा और भाई बलराम के साथ उज्जैन में रहे थे
- दूसरा मंदिर गोपाल मंदिर है आदि अनादी काल से है और सिंधिया राज घराना इसकी देखभाल करता है
- तीसरा अन्तराष्ट्रीय संस्था का इसकोंन मंदिर ए तीनो ही जगह बड़े धूम धाम से कृष्ण जन्म अष्टमी बनायीं जाती है
संदीपनी आश्रम में 12 बजे होगी जन्माष्टमी की शुरुवात
फिलहाल रात 12 बजे संदीपनी आश्रम में भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव यानी जन्माष्टमी का पर्व की शुरुवात होगी जिसमे 12 बजे आरती होगी। आरती में बड़ी संख्या में श्रद्धालु पंहुचत है सुबह से ही श्रद्धालु का दर्शनों सिलसिला शुरू हो जाएगा।
- संदीपनी आश्रम में भगवान् श्री कृष्ण ने रह कर 64 कलाओं का ज्ञान अर्जित किया था तभी से ये मंदिर भगवान श्रीकृष्ण के गुरु संदीपनी जी के नाम से जाना जाता है।
- सांदीपनि आश्रम की प्रसिद्धि का कारण है की यहां भगवान श्री कृष्ण और बलराम और सुदामा ने यंहा शिक्षा हासिल किया थी।
- मान्यता के अनुसार- भगवान श्री कृष्ण बलराम और उनके मित्र सुदामा ने इसी आश्रम में कुलगुरु सांदीपनि से शास्त्रों और वेदों का ज्ञान लिया था। इसलिए सांदीपनि आश्रम को श्री कृष्ण की विद्या अध्ययन स्थली के नाम से भी जाना जाता है।
- मान्यताओं के अनुसार श्री कृष्ण लगभग 5500 वर्ष पूर्व द्वापर युग में यहां आये थे। श्री कृष्ण ने 64 दिनों के अल्प समय में सम्पूर्ण शास्त्रों की शिक्षा ग्रहण कर ली थी।
- उसका विवरण इस प्रकार हैरू 18 दिनों में 18 पुराणए 4 दिनों में 4 वेद 6 दिनों में 6 शास्त्र 16 दिनों में 16 कलाए 20 दिनों में गीता का ज्ञानए उसके साथ ही गुरु दक्षिणा और गुरु सेवा की थी ।
- आश्रम में जहां गुरु सांदीपनि बैठते थे वहां उनकी प्रतिमा और चरण पादुकाएं स्थापित हो गई है और जहां कृष्ण बैठ कर विद्यार्जन किया करते थे वहां भगवान की पढ़ती लिखती बैठी हुई प्रतिमा विराजमान है।
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