कावेरी जल विवाद को लेकर एक बार फिर आमने-सामने कर्नाटक और तमिलनाडु
कावेरी जल विवाद को लेकर एक बार फिर आमने-सामने कर्नाटक और तमिलनाडुSyed Dabeer Hussain - RE

कावेरी जल विवाद को लेकर एक बार फिर आमने-सामने कर्नाटक और तमिलनाडु, जानिए पूरा मामला

दोनों राज्यों के बीच कावेरी जल विवाद सालों पुराना है। साल 1881 में दोनों राज्यों के बीच कावेरी नदी पर बांध बनाने को लेकर ठन गई थी। जिसके बाद ब्रिटिश सरकार ने समझौता कराया था।

हाइलाइट्स :

  • कावेरी जल विवाद को लेकर कर्नाटक और तमिलनाडु एक बार फिर से आमने-सामने।

  • मामला एक बार फिर से सुप्रीम कोर्ट के पहुंचा।

  • सुप्रीम कोर्ट इस पूरे मामले की सुनवाई के लिए एक पीठ गठित करने पर सहमत हो गया है।

  • विवाद खत्म करने सुप्रीम कोर्ट ने साल 2018 में सुनाया था ऐतिहासिक फैसला।

राज एक्सप्रेस। सालों से चले आ रहे कावेरी जल विवाद को लेकर देश के दो राज्य कर्नाटक और तमिलनाडु एक बार फिर से आमने-सामने आ गए हैं। दोनों राज्यों के बीच विवाद इतना बढ़ गया है कि यह मामला एक बार फिर से सुप्रीम कोर्ट के सामने पहुंच गया है। तमिलनाडु सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर मांग की है कि कर्नाटक सरकार को 24,000 क्यूसेक पानी छोड़ने का आदेश दिया जाए। वहीं कर्नाटक सरकार ने भी तमिलनाडु सरकार की याचिका के खिलाफ अपील दायर करने की तैयारी कर ली है। दूसरी तरफ सुप्रीम कोर्ट इस पूरे मामले की सुनवाई के लिए एक पीठ गठित करने पर सहमत हो गया है।

क्या है पूरा विवाद?

दरअसल यह पूरा विवाद कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री और जल संसाधन मंत्री डीके शिवकुमार के एक बयान के बाद शुरू हुआ। डीके शिवकुमार ने अपने बयान में कहा था कि इस साल पानी नहीं होने के चलते कर्नाटक तमिलनाडु को कावेरी नदी का पानी नहीं दे पाएगा। कर्नाटक सरकार के इस फैसले के खिलाफ तमिलनाडु सरकार सुप्रीम कोर्ट चली गई। दूसरी तरफ कर्नाटक सरकार ने तमिलनाडु सरकार के सामने 10 हजार क्यूसेक पानी देने का प्रस्ताव रख दिया। अब इस प्रस्ताव को लेकर कर्नाटक भाजपा ने राज्य की कांग्रेस सरकार पर किसानों को अनदेखा करने का आरोप लगाया है।

दशकों पुराना है विवाद

दरअसल दोनों राज्यों के बीच कावेरी जल विवाद सालों पुराना है। यह नदी कर्नाटक से होते हुए तमिलनाडु और पुडुचेरी में प्रवेश करते हुए बंगाल की खाड़ी में मिल जाती है। साल 1881 में दोनों राज्यों के बीच कावेरी नदी पर बांध बनाने को लेकर ठन गई थी। जिसके बाद ब्रिटिश सरकार ने समझौता कराते हुए नदी का 177 TMC पानी कर्नाटक और 556 TMC पानी तमिलनाडु को देने का फैसला किया। हालांकि इसके बावजूद विवाद पूरी तरह से नहीं सुलझा और दोनों राज्य समय-समय पर इस मुद्दे पर आमने-सामने आते रहे। साल 2007 में ट्रिब्यूनल के फैसले के बाद यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया।

सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला

इस पूरे विवाद को खत्म करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने साल 2018 में ऐतिहासिक फैसला सुनाया। सुप्रीम कोर्ट ने कावेरी नदी के जल का बंटवारा करते हुए 284.75 TMC पानी कर्नाटक, 404.25 TMC पानी तमिलनाडु, 30 TMC पानी केरल और 7 TMC पानी पुडुचेरी को देना का फैसला सुनाया था। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद माना जा रहा था कि यह विवाद खत्म हो जाएगा, लेकिन इस मुद्दे पर एक बार फिर कर्नाटक और तमिलनाडु आमने-सामने आ गए हैं।

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