कुटने पोषक जलाशय में पहुंचा 34 फीसदी पानी
कुटने पोषक जलाशय में पहुंचा 34 फीसदी पानीPankaj Yadav

छतरपुर: कुटने पोषक जलाशय में पहुंचा 34 फीसदी पानी

छतरपुर, मध्य प्रदेश: किसानों के खेतों के लिए पानी उपलब्ध कराने हेतु वर्ष 2010-11 में कुटने पोषक जलाशय का निर्माण किया गया था। अब तक की बारिश में 34.10% यानि 44.70 एमसीएम पानी इकट्ठा हुआ है।

हाइलाइट्स:

  • किसानों के खेतों को पानी उपलब्ध कराने के लिए कुटने पोषक जलाशय का निर्माण

  • कुटने पोषक जलाशय का निर्माण वर्ष 2010-11 में कराया गया था

  • कुटने जलाशय में छोटी नदियों और नालों का पानी आता है

  • पिछले साल यह बांध 45% पानी भर गया था और इस साल 34.10 भरा है

  • बांध का कमांड एरिया 38990 हेक्टेयर है

  • 9 साल में सिर्फ दो बार तालाब में आया पर्याप्त जल भण्डार

राज एक्सप्रेस। राजनगर और चंदला विधानसभा क्षेत्र में किसानों के खेतों को पानी उपलब्ध कराने के लिए वित्तीय वर्ष 2010-11 में कुटने पोषक जलाशय का निर्माण कराया गया था। यहां अब तक की बारिश में सिर्फ 34.10% यानि 44.70 एमसीएम पानी इकट्ठा हो सका है। 198.28 लेबिल मीटर के हिसाब से देखा जाए, तो पौने 7 मीटर बांध भर चुका है, जबकि इसकी क्षमता साढ़े 12 मीटर की है। पर्याप्त पानी न आने की स्थिति में किसानों को सिर्फ पलेवा का पानी मिल सकेगा। जबसे यह बांध तैयार हुआ तबसे सिर्फ दो बार पर्याप्त जल बांध में आ सका है।

पीके पाण्डेय का कहना :

बरियारपुर परियोजना में पदस्थ अनुविभागीय अधिकारी पीके पाण्डेय ने बताया कि, कुटने जलाशय में छोटी नदियों और नालों का पानी आता है। पिछले साल यह बांध 45% भर गया था इस साल अब तक सिर्फ 34.10% पानी भरा है। हालांकि उम्मीद पर दुनिया कायम है, बारिश का भले ही आखिरी चरण चल रहा हो, लेकिन अभी भी इसके भरने की उम्मीद बाकी है। उन्होंने बताया कि, बांध का कमांड एरिया 38990 हेक्टेयर है।

किसानों हेतु पानी की निकासी की जाएगी :

जल उपभोक्ता संथाओं के अध्यक्षों के साथ बैठक के बाद किसानों हेतु पानी की निकासी की जाएगी। श्री पाण्डेय के मुताबिक, एक माह तक लगातार पानी की निकासी होगी और शुरूआत की संभावना 20 से 25 अक्टूबर है। श्री पाण्डेय ने बताया कि, 2010-11 में यह बांध तैयार हुआ था और 2012-13 तथा 2016-17 में जलाशय में पर्याप्त पानी आया था, लेकिन इसके बाद बारिश कम होने से जलाशय नहीं भर सका। जलाशय की भरने की क्षमता 131 मीट्रिक क्यूबिक मीटर है। भैरा के पास बांध बनने से सिंचाई क्षमता बढ़ेगी।

ऐसा है समझौता :

चूंकि बरियारपुर बांध से ज्यादातर पानी उ.प्र. के लिए जाता है। समझौता ऐसा है कि, जिले में बने गंगऊ, रनगुवां और बरियारपुर बांधों का अधिकतम पानी उ.प्र. के किसानों के लिए भेजा जाता है। फिर भी जो संभव होता है, वह जिले के किसानों को भी मिल जाता है। सूत्रों का कहना है कि, मनिया नाले से काफी पानी उर्मिल में चला जाता है यदि भैरा के पास उर्मिल नदी में एक बांध बन जाएगा तो उससे बरियारपुर नहर के माध्यम से किसानों को और अधिक पानी उपलब्ध कराया जा सकता है। उन्होंने बताया कि 5-6 किमी दूर बरियारपुर नहर स्थित है इसलिए यहां बांध बनाने से सिर्फ 5-6 किमी की नहर बनाकर भैरा के डेम को बरियारपुर बांयी नहर से आसानी से जोड़ा जा सकता है।

इनका कहना :

भाजपा नेता अरविंद पटैरिया, महामंत्री का कहना है कि, क्षेत्र की लंबे समय से पानी की मांग चल रही है। सांसद श्री शर्मा के साथ बैठकर इसके बारे में रणनीति तैयार की जाएगी और भैरा के पास बांध बनाने के लिए हरसंभव प्रयास करेंगे।

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