छह बच्चों की मौत, जानकारी देने से कतरा रहे चिकित्सक और प्रबंधन

शहडोल, मध्यप्रदेश : संभाग के सबसे बड़े चिकित्सालय कुशाभाऊ ठाकरे जिला चिकित्सालय शहडोल के लिए 13 और 14 जनवरी का दिन शायद इतिहास में काले पन्नों में लिखा जाएगा।
छह बच्चों की मौत
छह बच्चों की मौतAfsar Khan

राज एक्सप्रेस। संभाग के सबसे बड़े चिकित्सालय कुशाभाऊ ठाकरे जिला चिकित्सालय शहडोल के लिए 13 और 14 जनवरी का दिन शायद इतिहास में काले पन्नों में लिखा जाएगा, साथ ही यहां पदस्थ चिकित्सकों और अन्य स्टाफ के लिए भी यह दिन शायद ही भुलाया जा सकेगा। खबर है कि बीते 12 घंटों के अंदर संभागीय चिकित्सालय में भर्ती छह बच्चों की मौत हुई है, जिसमें से 2 बच्चे बच्चा वार्ड में तथा 4 बच्चों के एसएनसीयू में भर्ती होने की खबर है, हालांकि इस संदर्भ में जब डॉक्टर सुनील से संपर्क करने का प्रयास किया गया तो उन्होंने न तो अपना सेल फोन उठाया और नहीं व्यक्तिगत मिलने में रुचि दिखाई।

यही नहीं जिला चिकित्सालय के कर्मचारियों से जानकारी चाही तो उन्होंने भी कोई जानकारी देने से मना कर दिया, लेकिन अस्पताल से जुड़े सूत्रों से इस बात की जानकारी मिली है कि बीते 12 घंटे के अंदर यहां छह बच्चों की मौत निमोनिया और लापरवाही से हुई है। जिन बच्चों की मौत की खबर सामने आई है, उसमें जैतपुर विकासखंड के ग्राम खरला में रहने वाली चैथ कुमारी की मौत 13 जनवरी को 10:50 पर हुई है, चैत कुमारी को उसके पिता बालक कुमार ने यहां भर्ती कराया था।

वही एसएनसीयू में दूसरी बच्ची फूलमती सिंह पिता लाल सिंह निवासी जयसिंह नगर विकास खंड ग्राम भटगांव बताया गया है, इसकी भी मौत 7:50 पर होनी बताई गई है , यही नहीं श्याम नारायण कोल पिता नर्बद कौल ग्राम अमिलिहा की मौत भी 3:30 पर होना बताया गया है, sncu में चौथे बच्चे की मौत हुई वह है सूरज बैगा पिता संतलाल बैगा निवासी ग्राम पड़मनिया और 6:00 बजे मौत होना बताया गया है,

इसी तरह बच्चा वार्ड में भर्ती दो अन्य बच्चों की भी मौत होने की जानकारी मिली है जिसमें अंजलि बैगा पिता मजलु एवम निवासी ग्राम कोटमा बताया गया है, बच्चे की मौत का कारण निमोनिया होना बताया गया है , इसके अलावा सुभाष बैगा पिता धममू बैगा बताया गया है, इस संदर्भ में जो भी जानकारी सिविल सर्जन और मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी से मांगे जाने का प्रयास किया गया तो उन्होंने फिलहाल खुद को किनारे कर लिया। संभागीय जिला चिकित्सालय में इस तरह 12 घंटे के अंदर छह बच्चों की मौत पूरे चिकित्सालय प्रबंधन को ही कटघरे में खड़ा करता है साथ ही यहां के स्टाफ और शासन द्वारा खर्च होने वाले करोड़ों रुपए भी जांच के घेरे में आते हैं ।

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