अब नाम बदलकर फिर से बाजार में आ सकता है, आकृति ग्रुप
अब नाम बदलकर फिर से बाजार में आ सकता है, आकृति ग्रुपSyed Dabeer Hussain - RE

सावधान भोपाल ! आकृति ग्रुप नए नाम और नए डायरेक्टरों के साथ आने की तैयारी में!

भोपाल, मध्यप्रदेश : नाम बदलकर फिर से लोगों को गुमराह करने और अपनी पैठ बनाने की कोशिश कर रहा आकृति ग्रुप। ताकि लोग पुराने नाम के साथ जुड़े विवादों को भूल जाएं।

भोपाल, मध्यप्रदेश। लोगों को अपने घर का सपना दिखाकर सफाई से खुद को दिवालिया घोषित करा लेने वाला आकृति जो पहले ही हजारों लोगों को करोड़ों रुपये का चूना लगा चुका है, अब एक बार फिर अपना नाम बदलकर फिर से बाजार में घुसने की तैयारी कर रहा है। सूत्रों से खबर मिली है कि नए नाम से दूसरी कंपनी बनाकर और नए डायरेक्टरों की नियुक्ति करने के साथ आकृति ग्रुप फिर से अपना कारोबार जमाने की कोशिश में है। यानि नाम बदलकर फिर से लोगों को गुमराह करने और अपनी पैठ बनाने की कोशिश हो रही है। ताकि लोग पुराने नाम के साथ जुड़े विवादों को भूल जाएं।

एजी-8 वेंचरर्स लिमिटेड करीब 350 करोड़ के टर्नओवर वाली कंपनी है। इसके मालिक हेमंत सोनी है। इस कंपनी के स्कूल, शुगर मिल समेत अन्य कई कारोबार हैं। अपने मकान के लिए चक्कर काट रहे लोगों से कंपनी मालिक ने वादा किया था कि वह अपनी शुगर मिल बेचकर रकम देगा। फिर दुबई से पैसा लाने की बात भी लोगों से कही गई। मिसरोद थाना पुलिस को दी गई शिकायत में पीड़ित लोगों ने हेमंत सोनी, राजीव सोनी, स्वयं सोनी, रवि हरयानी के खिलाफ जालसाजी का केस दर्ज करने की मांग की थी। लोगों का आरोप था कि कंपनी ने उनके पैसे किसी अन्य प्रोजेक्ट में खर्च कर दिए। जब मामला हद से ज्यादा उलझ गया तो कंपनी दिवालिया हो गई। हालांकि कई स्तरों पर कंपनी के खिलाफ जांचे चल रहीं हैं। इधर ग्रुप के फायनेंस के मामलों को देखने वाले सीए रवि हरियान की भी मकान खरीदने वाले ग्राहकों ने गुमराह करने का आरोप लगाया है। इस मामले में शिकायत भी हुई है। हालांकि कंपनी ने अभी तक सीए को नहीं निकाला है।

ठेकेदारों और वेंडरों के लाखों डकारे :

आकृति ग्रुप ने सिर्फ आम लोगों को ही नहीं ठगा है, बल्कि उनके निर्माण कार्यों के लिए सप्लाई करने वाले ठेकेदारों और वेंडरों के भी लाखों रुपये डकार लिये हैं। निर्माण के लिए माल सप्लाई करने वाले रहमान टिम्बर के संचालकों का कहना है कि उन्होंने लाखों रुपये की लकड़ी सप्लाई की है, लेकिन कंपनी ने पेमेंट नहीं किया, उन्हें 6 लाख से ज्यादा का पेमेंट लेना है, लेकिन वह फंस गया है। इसी तरह से अन्य सप्लायरों का पेमेंट भी महीनों से फंसा हुआ है। कब तक मिलेगा यह भी अब साफ नहीं हो पा रहा है।

आरोप रिश्तेदारों के पास ठिकाने लगाए पैसे :

इधर एजी-8 के सब्जबागों में फंसकर अपने जीवनभर की जमापूँजी लुटा चुके और अब बैकों के कर्जदार हो चुके लोग अब भी कंपनी की कहानी पर भरोसा नहीं कर रहे हैं, कई भुक्तभोगी ग्राहकों का आरोप है कि लोगों का पैसा चुकाने से बचने के लिए आकृति ग्रुप ने खुद को दिवालिया घोषित करा लिया है। उनका यह भी आरोप है कि कर्ताधर्ताओं ने अपने सारे पैसे रिश्तेदारों के खातों में ट्रांसफर करके कंपनी को दिवालिया बना दिया है, ताकि कानूनी कार्रवाई और लोगों को हुए नुकसान की भरपाई करने की जिम्मेदारी से बचा जा सके। यानि कंपनी के द्वारा ठगे गए लोग कंपनी के दीवालिया होने की कहानी पर यकीन नहीं कर रहे हैं।

लेनदारों से फॉर्म भेजकर मांगा था, रिकॉर्ड :

कंपनी को दिवालिया घोषित करने की कार्रवाई के तहत सभी लेनदारों को भी तीन फॉर्म ऑनलाइन उपलब्ध कराए गए हैं। सभी को ऑनलाइन फॉर्म भरकर भेजना है। इसमें लेनदार की व्यक्तिगत जानकारी के साथ ही मकान बुक करने की तारीख, जमा की गई राशि, डील के मुताबिक फाइनल राशि आदि की रसीदों सहित रिकॉर्ड मांगे गये है।

पहली बार किसी बिल्डर के खिलाफ इतनी शिकायतें आई है :

एजी-8 वेंचरर्स लिमिटेड के खिलाफ दर्जनों लोगों ने शिकायत की थी। बिल्डर पर आरोप है कि उसने एक दशक बीत जाने के बावजूद लोगों को मकान मुहैया नहीं कराए। कंपनी के खिलाफ शिकायत दर्ज कराने के लिए लोगों ने अक्टूबर 2021 में मिसरोद थाने के बाहर लाइन लगाना पड़ी थी। बिल्डर पर कार्रवाई के लिए रेरा, भोपाल कलेक्टर समेत कई अन्य संस्थानों ने पहले ही आदेश जारी कर दिए हैं। ऐसा शायद राजधानी पहली बार हुआ है, जबकि किसी बिल्डर के खिलाफ लोगों ने थाने से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक शिकायत दर्ज कराई है।

कलेक्टर ने भी जारी किये आदेश :

कलेक्टर श्री अविनाश लावनिया ने मामले को अपने संज्ञान में लेते हुए खरीददारों को मकान उपलब्ध कराने के निर्देश जारी किए थे, साथ ही आकृति एक्वा सिटी के कॉलोनी डेवलपर पर दूसरी कॉलोनी विकसित करने पर भी रोक लगा दी थी ताकि डेवलपर किसी और के साथ ठगी को अंजाम न दे सके। उन्होंने आकृति एक्वा सिटी के डेवलपर हेमंत सोनी और राजीव सोनी को किसी भी कॉलोनी विकास की परमिशन दिए जाने पर भी प्रतिबंध लगा दिया है।

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