पुलिस की वसूली से त्रस्त गोविंद ने की आत्महत्या
पुलिस की वसूली से त्रस्त गोविंद ने की आत्महत्याराज एक्सप्रेस, संवाददाता

Amlai : पुलिस की वसूली से त्रस्त गोविंद ने की आत्महत्या

अमलाई, मध्यप्रदेश : परिजनों ने अमलाई पुलिस पर लगाये प्रताड़ना और वसूली के आरोप। सोमवार की दोपहर युवक ने लगाई थी फांसी।
Summary

अमलाई पुलिस के द्वारा चोरी के झूठे मामले में फंसाने से बचने के लिए हुए 5 हजार के सौदे को पूरा करने के लिए जब माँ बेटे को रूपया न दे सकी तो, उसने पुलिस के डर से आत्महत्या कर ली, बेटा गाड़ी लेकर बेचना चाहता था, पर माँ ने जल्द व्यवस्था करने की बात कही, पर डर इतना हावी था कि वह जिंदगी पर ही भारी पड़ गया।

अमलाई, मध्यप्रदेश। जिले के अमलाई थाना अंतर्गत धनपुरी नपा के वार्ड नंबर 24 में रहने वाले गोविंद बैगा नामक युवा ने सोमवार की दोपहर अपने घर पर फांसी के फंदे पर झूल कर मौत को गले लगा लिया, गोविंद को एक दिन पहले ही अमलाई पुलिस पास के मोहल्ले में हुई एक चोरी के आरोप में पकड़कर थाने ले गई थी, गोविंद की माँ शकुन बैगा व भाई सुनील बैगा ने जब पुलिस थाने जाकर पकड़े जाने का कारण पूछा तो, एसआई उपेन्द्र त्रिपाठी ने चोरी करने और उसकी जांच के संदर्भ में बताया, जब पुलिस को साक्ष्य नहीं मिले तो, यह कहा गया कि थाने लाये हैं तो, कुछ मामला बनायेंगे, परिजन परेशान हो गये, उन्होंने वार्ड के ही पूर्व पार्षद रामाशीष पटेल से संपर्क किया, पार्षद ने सिफारिश की और फिर यह बात सामने आई कि पुलिस को 15 हजार रूपये देंने पड़ेंगे, मृतक गोविंद की माँ ने अपने पुत्र की मौत के मामले में इन आरोपों के साथ यह भी बताया कि सौदा 5 हजार में तय हुआ था, जब तक रूपये नहीं दिये जाते, तब तक के लिए पुलिस ने गोविंद का मोबाइल अपने पास रख लिया था, लेकिन किस्मत को शायद कुछ और ही मंजूर था।

कटघरे में अमलाई पुलिस :

मृतक के भाई सुनील बैगा जो इस पूरे मामले से जुड़ा हुआ था, सोमवार की दोपहर अपने भाई की मौत के बाद पागल सा हो गया, उसने भाई की मौत के बाद अमलाई थाने पहुंचकर पुलिस पर सामने ही गंभीर आरोप लगाये और एसआई उपेन्द्र त्रिपाठी, आरक्षक गणेश व अन्य को मौत का जिम्मेदार ठहराया, यह मामला अनुभाग तक पहुंचा और देर शाम अनुविभागीय पुलिस अधिकारी भी मृतक के परिजनों से मिले, संभवत: पूरे मामले को कप्तान की नजरों से बचाने और जल्द ही पर्दा डालने की फेर में यह बयान लिए गये कि मृतक माँ से गाड़ी और रूपये मांग रहा था, न देने पर उसने फाँसी लगा ली। यह खबर सूत्रों से मीडिया तक भी पहुंचाई गई, लेकिन इस पूरे मामले में पुलिस ने उन कारणों का खुलासा नहीं किया कि मृतक माँ से रूपये किस लिए मांग रहा था।

सर्वर सही होता तो, बच जाता गोविंद :

मृतक की माँ ने बताया कि वह स्थानीय कोल माईंस में पदस्थ है, दोनों बेटे घर पर ही रहते थे, संगत में कभी कभार नशा जरूर करते थे, लेकिन इतना नहीं कि फाँसी लगा लें, एक दिन पहले गणेश नामक पुलिसकर्मी उसे मोहल्ले से ही उठाकर ले गये, पार्षद के माध्यम से बात हुई, तो छोड़ दिया, सोमवार की सुबह ड्यिुटी से लंच में निकलकर पुलिस को देने के लिए बैंक रूपये निकालने गई थी, सर्वर खराब था, यदि सर्वर सही रहता तो, रूपये मिल जाते, घर लौटी तो लड़के को यह बात बताई, उसने कहा गाड़ी ले जाकर गिरवी रख देता हूं, पैसे देना जरूरी है, नहीं तो, पुलिसवालों ने कहा है गांजे या अन्य किसी में बंद कर देंगे, मैंने कहा फिर बैंक जाकर देखती हूं, वह अंदर चला गया, थोड़ी देर में देखा तो, फांसी के फंदे पर झूलता हुआ मिला।

पार्षद ने किया परिजनों के आरोपों का खण्डन :

मंगलवार की दोपहर को ही पोस्ट मार्टम के बाद गोविंद का शव जब घर पहुंचा तो, पूर्व पार्षद भी मौके पर थे, परिजनों ने उनके समक्ष ही पुलिस पर यह आरोप लगाये, लेकिन पूर्व पार्षद ने उनके आरोपों का खण्डन कर दिया, मौके पर उपस्थित मृतक की माँ, भाई व अन्य जो इस पूरे घटना क्रम के गवाह थे, उन्होंने पार्षद को पुलिस के दलाल तक की संज्ञा दे दी, सच क्या है, यह तो पुलिस अधीक्षक की जांच के बाद ही सामने आ पायेगा, लेकिन सोमवार को हुई इस घटना ने पुलिस कप्तान के अब तक बनाई गई पुलिस की बेदाग छवि को अवश्य ही, कटघरे में खड़ा कर दिया है।

इनका कहना है :

मृतक के परिजनों ने सोमवार को पुलिस अनुविभागीय अधिकारी के समक्ष दूसरे बयान दिये थे, मंगलवार को शायद किसी के कहने पर अपने बयान बदल दिये, मृतक पहले भी एक बार आत्महत्या का प्रयास कर चुका है, वह नशे का आदी भी था।

समीर खान, थाना प्रभारी, अमलाई

चोरी की शिकायत पर गोविंद को पूछताछ के लिए बुलाया गया था, पूछताछ के बाद उसके छोटे भाई को बुलाकर पावती लेकर छोड़ दिया गया था, घर जाने के बाद गाड़ी लेने की बात को लेकर विवाद पर उसने आत्महत्या कर ली।

अवधेश गोस्वामी, पुलिस अधीक्षक, शहडोल

इस मामले की जानकारी लेने के साथ ही परिजनों द्वारा लगाये गये आरोपों को संज्ञान में लिया जायेगा, इसके बाद ही इस मामले में कुछ कहा जा सकता है।

डी.सी. सागर, अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक, शहडोल जोन

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