अमृत योजना महाघोटाला
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अमृत योजना महाघोटाला : सीवर के दोनों प्रोजेक्टों पर ऑडिट की आपत्ति,14 करोड़ के भुगतान पर संशय

ग्वालियर, मध्यप्रदेश : ऑडिट की आपत्ति के बाद नगर निगम ने जारी किए नोटिस। पीडीएमसी के रेसीडेंट इंजीनियर को कार्यवाही के लिए लिखा पत्र।

ग्वालियर, मध्यप्रदेश। अमृत योजना (AMRUT Yojana) के प्रथम चरण में कराए गए कार्यों को लेकर लगातार शिकायतें आ रही हैं। इसमें महालेखाकर कार्यालय (एजी ऑफिस) का नाम भी जुड़ गया है। महालेखाकर कार्यालय की ऑडिट में सीवर प्रोजेक्ट का काम करने वाली दोनों कंपनियों को किए गए लगभग 14 करोड़ के भुगतान पर आपत्ति दर्ज कराई गई है। इस आपत्ति में काम से अधिक भुगतान का उल्लेख है। इस संबंध में पत्र मिलने के बाद नगर निगम के पीएचई विभाग ने दोनों कंपनियों से जवाब मांगते हुए अमृत योजना की मॉनिटरिंग एजेंसी पीडीएमसी के रेसीडेंट इंजीनियर अर्जुन सिंह को पत्र लिखा है। कंपनी सटीक जवाब नहीं देती है तो उनसे 14 करोड़ की वसूली की जाएगी।

शहर में पेजयल एवं सीवर समस्या के निदान के लिए 733 करोड़ की लागत से अमृत योजना के तहत कार्य कराए गए हैं। 2017 में अमृत योजना के तहत चार प्रोजेक्ट शुरू किए गए थे, जिसमें पानी एवं सीवर के दो-दो प्रोजेक्ट शामिल थे। पेजयल प्रोजेक्ट से संबंधित कार्य करने वाली कंपनी विष्णु प्रकाश पुंगलिया की शिकायत लगातार की जा रहीं थी। इसी बीच सीवर प्रोजेक्ट का काम करने वाली कंपनी इन विराड़ सोल्युशन प्रालि एवं जयंती सुपर कंस्ट्रक्शन द्वारा किए गए कार्यों को लेकर तत्कालीन अधीक्षण यंत्री आरएलएस मौर्य ने आपत्ति दर्ज कराते हुए पत्र लिखे थे। उनके द्वारा महालेखाकर विभाग (एजी ऑफिस) को पत्र लिखकर किए गए कार्यों की ऑडिट करने की मांग की थी। अब महालेखाकार विभाग द्वारा की गई ऑडिट में सीवर प्रोजेक्टों को किए गए भुगतान में आपत्ति दर्ज कराई गई है। ऑडिट रिपोर्ट में लिखा गया है कि इन विराड़ सोल्युशन प्रालि कंपनी के 8.3 करोड़ एवं जयंती सुपर कंस्ट्रक्शन के 6.5 करोड़ के कार्य अनुबंध के अनुसार नहीं है। भुगतान से इस राशि का कटोत्रा किया जाए। इस आपत्ति के बाद निगम के पीएचई अधिकारियों ने पीडीएमसी के आरई को पत्र लिखकर कार्रवाई के लिए कहा है।

पूर्व अधीक्षण यंत्री की आपत्ति बनी गले की फांस :

अमृत योजना में किए गए सीवर प्रोजेक्टों के कार्यों को लेकर पूर्व अधीक्षण यंत्री आरएलएस मौर्य ने कई आपत्तियां दर्ज कराई थीं। उनके द्वारा एक दर्जन से अधिक पत्र लिखे गए। इन पत्रों का जबाव तक उस समय नहीं दिया गया था। इसमें पीडीएमसी, यूएडीडी चीफ, निगमायुक्त, संभागायुक्त, नगरीय प्रशासन आयुक्त एवं प्रमुख सचिव तक को लिखे गए पत्र शामिल थे। तत्कालीन अधिकारियों ने इन पत्रों की अनदेखी की। लेकिन अब यही पत्र सीवर प्रोजेक्ट का कार्य करने वाली दोनों कपंनियों के लिए मुसीबत बन गए हैं।

इन चार कंपनियों ने किए हैं अमृत योजना के कार्य

जल प्रदाय - 1

प्रोजेक्ट - तिघरा से मोतीझील होते हुए जलालपुर पर प्रस्तावित डब्ल्यूटीपी तक पाइप लाइन

लागत - 42.30 करोड़

कार्य - 20 किमी पाइप लाइन डालना

फर्म - मैसर्स झांसी कांक्रीट उद्योग (झांसी)

जल प्रदाय - 2

प्रोजेक्ट - शहर भर में पेयजल हेतु टंकियां बनाकर पाइप लाइन कार्य

लागत - 278.35 करोड़

कार्य - 43 टंकिया बनाकर 777 किमी पाइप लाइन डालना

फर्म - मैसर्स विष्णु प्रकाश पंगुलिया

सीवरेज लश्कर

प्रोजेक्ट - जलालपुर में एसटीपी निर्माण व सीवरेज हेतु पाइप लाइन कार्य

लागत - 173.62 करोड़

कार्य - 165 एमएलडी का एसटीपी कार्य व 100 किमी पाइप लाइन डालना

फर्म - इनविराड सोल्यूशन प्राइवेट लिमिटेड

सीवरेज मुरार

प्रोजेक्ट - लालटिपारा व लोहारपुरा एसटीपी निर्माण व सीवरेज हेतु पाइप लाइन कार्य

लागत - 207.97 करोड़

कार्य - 65 एमएलडी व 8 एमएलडी के एसटीपी निर्माण व 180 किमी पाइप लाइन डालना

फर्म - मैसर्स जयंती सुपर कंस्ट्रक्शन

इनका कहना :

ऑडिट में अमृत योजना के सीवर प्रोजेक्टों के भुगतान को लेकर आपत्ति दर्ज कराई गई है। लगभग 14 करोड़ रुपय के भुगतान की जांच कराने के लिए संबंधित अधिकारियों को पत्र लिखे हैं। अधिकारी सही जबाव देते हैं तो भुगतान किया जाएगा, अगर आपत्ति सही पाई जाती है तो हम कपंनियों से वसूली करेंगे।

रजनी शुक्ला, अपर आयुक्त वित्त एवं एओ, नगर निगम

यह बात सही है कि अमृत योजना के सीवर प्रोजेक्टों को लेकर ऑडिट में आपत्ति दर्ज कराई गई है। इस संबंध में जांच के लिए पीडीएमसी के आरई को पत्र लिख दिया है।

जागेश श्रीवास्तव, नॉडल अधिकारी अमृत योजना, नगर निगम

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