अनूपपुर : जीर्णोद्वार और श्रृद्धालुओं को तलाशता रामघाट का अस्तित्व

अनूपपुर, मध्य प्रदेश : प्रशासनिक बेसुधी से कचरे में रामघाट। कलेक्टर व जनप्रतिनिधियों की पहल महज दिखावे तक सीमित। करोड़ों खर्च कर नर्मदा महोत्सव कराने वाले भूल गये पवित्र नगरी अमरकंटक को।
जीर्णोद्वार और श्रृद्धालुओं को तलाशता रामघाट का अस्तित्व
जीर्णोद्वार और श्रृद्धालुओं को तलाशता रामघाट का अस्तित्वShrisitaram Patel

अनूपपुर, मध्य प्रदेश। माँ नर्मदा की पावन धरा, कलाकृतियां और वहां की सुंदर शांत हवाओं ने देश ही नही अपितु विदेशों के भी सैलानियों और धार्मिक मेले सहित दर्शन लाभ के लिए आने वाले श्रृद्धालुओं का मन मोहा है, लेकिन प्रशासनिक बेसुधी के कारण पवित्र नगरी उपेक्षित नजर जा रहा है, जीर्णोद्वार और पैसे के अभाव में रामघाट सहित अन्य स्थल अपने अस्तित्व से जूझ रहे हैं, महोत्सव में करोड़ों खर्च करने वाले अब एक घाट का भी बीड़ा नही उठा पा रहे हैं।

जीवन दायनी माँ नर्मंदा नदी का उद्गम स्थल जिले की शान और पहचान है, सदियों से तपस्या कर ऋषि-मुनियों ने तपोभूमि की दृष्टि व जनजातियों ने कलाकृतियों और प्रकृति ने सौंदर्यबोधता को जन्म दिया है, लेकिन इस पवित्र नगरी के जिम्मेदार और जिले में बैठे प्रशासनिक अधिकारी और कर्मचारियों ने कभी नि:स्वार्थ भाव और माता की दृष्टि से इस धरा की सेवा ही नही की। कभी राजनैतिक स्वार्थ ने तो कभी इनके कठपुतलियों ने यहां की रम्यता को तोड़ने के लिए हाथ आगे बढ़ाते रहे। माह फरवरी वर्ष 2020 में विशाल रूप से अमरकंटक में नर्मदा महोत्सव का आयोजन किया गया, जहां करोड़ों रूपए खर्च कर तीन दिन के लिए धरती को रंगीन बना दिया था, अगर कुछ राशि यहां की दार्शनिक स्थलों में खर्च किये जाते और समय रहते डैम और अन्य अव्यस्थाओं की तरफ ध्यान दिया जाता तो आज रामघाट जैसे पवित्र स्थल अपने अस्तित्व से न जूझ रहा होता।

जीर्णोद्वार के इंतजार में स्थल :

महोत्सव के समय जिस स्थल अर्थात रामघाट में संध्या के समय भव्य आरती का आयोजन किया जाता रहा है, वर्तमान में उस स्थल को श्रृद्धालु और वहां के निवासी देख कर हैरान हैं, कायाकल्प और पानी के अभाव में पूरे घाट में कचरे के सिवा कुछ नजर नहीं आ रहा है, कुछ माह पूर्व कचरा साफ करने पहुंचे दर्जनों प्रशासनिक अधिकारी मंत्री और जनप्रतिनिधि अब मुंह मोड़ कर बैठ गये हैं, हालांकि डेम फूटने के बाद फिर से बांध दिया गया है, धीरे-धीरे पानी का भराव हो रहा है, पर बिना जीर्णोद्वार के श्रृद्धालु महज पानी ही देख पायेंगे।

व्यवस्था छोड़ सीएमओ बदल रहे जिम्मेदार :

नगरीय प्रशासन और जिले के मुखिया विकास की तेजी दिखाते हुए तीन महीनें में तीन सीएमओ और इंजीनियर बदले डाले, उनके डिजिटल हस्ताक्षर तैयार होते ही उन्हें बदलने की योजना बन जाती है, बजट के अभाव में न तो कायाकल्प हो पा रहा है और न ही विधिवत परिषद का संचालन हो रहा है, परिषद के अध्यक्ष श्रीमती प्रभा पनारिया और उपाध्यक्ष रामगोपाल द्विवेदी के द्वारा कई बार शासन-प्रशासन के पास समस्या को लेकर पत्र दिया और अवगत भी कराया, लेकिन किसी ने भी अभी तक नगर की समस्या पर ध्यान नहीं दिया।

बिन पानी रामघाट का दृश्य :

मां नर्मदा की पावन धरा इन दिनों अपने अस्तित्व से जूझ रही है, महीनों पूर्व टूट चुके डैम के कारण मां नर्मदा के उद्गम स्थल में मौजूद पानी समाप्त हो चुका है, रामघाट में पहुंचने वाले श्रद्धालु महज सूखे नाले को देखकर लौटते जा रहे हैं, जहां एक समय लाखों लीटर पानी से मां नर्मदा के उद्गम स्थल लबालब दिखाई देता था। वहीं आज पूरी तरह सूखा और चारागाह के रूप में दिखाई देने लगा है, कारण जो भी हो लेकिन यह दृश्य प्रशासनिक नाकामी को साबित करता है। पर्यटक यहां पहुंचते हैं यहां की कुंड और नालों पर बहती स्वच्छ पानी में डुबकी लगाकर स्नान करते हैं।

बिन पानी रामघाट का दृश्य
बिन पानी रामघाट का दृश्यShrisitaram Patel

अब कैसे होगा नर्मदा जयंती: अध्यक्ष

मां नर्मदा की पावन धरा पर देश ही नहीं अपितु विदेशों से भी पर्यटक पहुंचते हैं, यहां की कुंड और नालों पर बहती स्वच्छ पानी में जहां श्रद्धालु डुबकी लगाकर स्नान करते हैं वहां आज एक बूंद आचमन करने के लिए भी पानी नहीं बचा हुआ है, जिसको लेकर नगर परिषद अध्यक्ष श्रीमती प्रभा पनारिया के द्वारा शासन प्रशासन से पत्राचार कर व्यवस्था के लिए लगातार मांग करती रही, परिषद के पास वेतन देने के लिए भी पैसे नहीं हैं, कोरोनाकाल से सब कार्य बंद हैं, जिसके बाद भी अभी तक प्रशासन के द्वारा किसी भी प्रकार से सुध नहीं ली गई है, अगले माह नर्मदा महोत्सव का आयोजन होना है, लेकिन मां नर्मदा की पावन धरा उपेक्षित नजर आ रही है। अगर समय रहते व्यवस्था ठीक नहीं किया गया तो शासन-प्रशासन सहित प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री को भी बुलवाकर यहां ही अनशन पर बैठ जाऊंगी।

आंदोलन के लिए होंगे विवश : उपाध्यक्ष

नगर परिषद अमरकंटक के उपाध्यक्ष राम गोपाल द्विवेदी के साथ वार्ड पार्षदों ने शासन प्रशासन को चुनौती देते हुए जल्द से जल्द मां नर्मदा को व्यवस्थित करने की मांग की है, श्री द्विवेदी ने कहा कि अगर समय रहते मां नर्मदा की पावन धरा को ध्यान नहीं दिया गया तो वह आंदोलन के लिए विवश होंगे, उन्होंने कहा कि हमारे द्वारा कलेक्टर से लेकर मुख्यमंत्री तक इस अव्यवस्था को लेकर पत्र दिया है, उसके बाद भी किसी भी प्रकार से ध्यान नहीं दिया गया। परिषद में लगातार सीएमओ और इंजीनियर बदले जा रहे हैं, जिसके कारण अन्य कार्य भी प्रभावित हो रहे हैं, आगामी समय में महोत्सव का आयोजना होना है, अगर पवित्र नगरी की ऐसी स्थिति रही तो अमरकंटक का अस्तित्व समाप्त होता जायेगा।

ताज़ा समाचार और रोचक जानकारियों के लिए आप हमारे राज एक्सप्रेस वाट्सऐप चैनल को सब्स्क्राइब कर सकते हैं। वाट्सऐप पर Raj Express के नाम से सर्च कर, सब्स्क्राइब करें।

और खबरें

No stories found.
logo
Raj Express | Top Hindi News, Trending, Latest Viral News, Breaking News
www.rajexpress.com