देखरेख के अभाव में कलप रहा है संभाग का इकलौता कल्पवृक्ष
देखरेख के अभाव में कलप रहा है संभाग का इकलौता कल्पवृक्षSitaram Patel

Anuppur : देखरेख के अभाव में कलप रहा है संभाग का इकलौता कल्पवृक्ष

अनूपपुर, मध्यप्रदेश : लाठी के सहारे कल्पवृक्ष की सुरक्षा, लापरवाही के चलते अस्तित्व खोता कल्पवृक्ष। देखरेख के अभाव में कलप रहा है संभाग का इकलौता कल्पवृक्ष। खतरे में शिवनी संगम तट का कल्पवृक्ष।
Summary

जिस कल्पवृक्ष का जिक्र ग्रंथ और पुराणों में है, वह दुर्लभ व पौराणिक कल्पवृक्ष पुष्पराजगढ़ में मौजूद है, वर्षो की आयु वाला यह कल्पवृक्ष खतरे में है। नर्मदा तट के ढलान पर कल्पवृक्ष की जडों से मिट्टी की कटान तेज हो गई है। धार्मिक आस्था के कारण लोग मन्नतें-प्रार्थनाएं पूरी होने की उम्मीद में यहां पहुंचते है। कटाव के कारण उसके जड़ का बडा हिस्सा दिखाई देने लगा है, ऐसे में इस कल्पवृक्ष की गिरने का खतरा है।

अनूपपुर, मध्यप्रदेश। जनपद पंचायत पुष्पराजगढ़ अंतर्गत ग्राम पंचायत कोइलारी के शिवनी संगम गांव जो डिंडौरी जिले की सीमा से लगा हुआ है, जहां नर्मदा तट पर वर्षो पुराना विशाल कल्पवृक्ष है, वेद और पुराणों में भी कल्पवृक्ष का उल्लेख मिलता है। कल्पवृक्ष स्वर्ग का एक विशेष वृक्ष है, धार्मिक ग्रंथों में भी कल्पवृक्ष का उल्लेख है, जिसे मनोकामना पूर्ति का प्रमुख माध्यम माना गया है। पौराणिक धर्मग्रंथों और हिन्दू मान्यताओं के अनुसार यह माना जाता है कि इस वृक्ष के नीचे बैठकर व्यक्ति जो भी इच्छा करता है वह पूर्ण हो जाती है, क्योंकि इस वृक्ष में अपार सकारात्मक ऊर्जा होती है, पुराणों के अनुसार समुद्र मंथन के 14 रत्नों में से एक कल्पवृक्ष की भी उत्पत्ति हुई थी, समुद्र मंथन से प्राप्त यह वृक्ष देवराज इन्द्र को दे दिया गया था और इन्द्र ने इसकी स्थापना सुरकानन वन हिमालय के उत्तर में में कर दी थी, जिसके प्रति स्थानीय श्रद्धालुओं की अपार श्रद्धा बनी रहती है।

संभाग का इकलौता कल्पवृक्ष :

प्रशासन की उदासीनता और देखरेख के अभाव में शहडोल संभाग के इकलौते कल्प वृक्ष जिसकी सुरक्षा व्यवस्था एवं मिट्टी संरक्षण के नाम पर ग्रामीणों द्वारा अपनी धरोहर को सहेजते हुए सुरक्षित करने के उद्देश्य से महज गिनती के बांस गाड कर घेराबन्दी तो कर दिये हैं, परंतु नदी तरफ के हिस्से में हर वर्षे बरसात के दिनों में मिट्टी का कटाव बदस्तूर जारी है जिससे कल्प वृक्ष का अस्तित्व खतरे में है जिसकी सुरक्षा के लिए शासन प्रशासन द्वारा कोई भी पुख्ता इंतजाम नहीं किया गया है नतीजतन वृक्ष कभी भी ढह सकता है।

बाढ़ में बह गया 15 लाख, विभाग नहीं ले रहा सुध :

विगत कुछ वर्षों पूर्व समाचार पत्रों के माध्यम से लगातार इकलौते कल्पवृक्ष के अस्तित्व को लेकर प्रकाशित खबर से प्रेरित होकर प्रशासन द्वारा संज्ञान में लेकर तत्यकाल उक्त कल्पवृक्ष के आसपास की मिट्टी कटाव को रोकने के उद्देश्य से वर्ष 2015-16 में पन्द्रह में वित्त से लगभग 15 रुपये स्वीकृत किये गये थे, जिसमें कंक्रीट रिटर्निंग बाल चबूतरा निर्माण एवं समतलीकरण कार्य कराया जाना था, परन्तु निर्माण कार्य एजेंसी की घोर लापरवाही बरती जाकर गुणवत्ताविहीन कार्य कराया गया, नतीजतन 15 लाख की लागत का अधूरा रिटर्निंग बाल पहली ही बरसात में धराशायी हो कर नर्मदा नदी में समा गया।

कल्पवृक्ष की पूजा बगैर पूर्ण नहीं होती नर्मदा परिक्रमा :

ऐसी मानता है की नर्मदा तट पर स्थित यह कल्पवृक्ष जिसका पूजन किए बगैर नर्मदा परिक्रमा पूर्ण नहीं होती है, इस वजह से प्रतिदिन सैकड़ों परिक्रमावासी यहां पूजन के लिये आते हैं, इसके साथ ही मकर संक्रांति तथा महाशिवरात्रि के दिन यहां हजारों की संख्या में श्रद्धालु एकत्रित होते हैं।

अस्थमा और आंख की बीमारी भी होती है दूर :

यह वृक्ष जिसकी आयु मान्यताओं के अनुसार हजारों वर्ष से भी अधिक बताई जा रही है कल्पवृक्ष के फल में प्रचुर मात्रा में विटामिन बी और सी होता है तथा स्थानीय ग्रामीणों के द्वारा इसका उपयोग अस्थमा तथा आंख से संबंधित रोगों को दूर करने में उपयोग किया जाता है जो बीमारियों को दूर करने में भी सहायक होती है।

बोधि वृक्ष की तर्ज पर होनी चाहिए कल्पवृक्ष की सुरक्षा :

ग्रामीणजनों द्वारा अपने क्षेत्र में स्थापित अमूल्य धरोहर की सम्पूर्ण सुरक्षा की मांग करते हुये बताया की जिस तरह रायसेन जिले के सलामतपुर की पहाड़ी में लगा देश के सबसे वीआईपी वोधि वृक्ष जिसमे चार सुरक्षा कर्मी 24 घंटे पहरा देते है। उक्त वृक्ष को 21 सितंबर 2012 को श्रीलंका के राष्टपति महिंद्रा राजपक्षे के द्वारा रोपा गया था। इस वृक्ष के पहरेदारी एवं चाक चौबंद सुरक्षा व्यवस्था 15 फिट ऊंची जाली से घिरा हुआ है और यदि इसके पत्ते झड़ जाये या सूख जाये तो पूरा प्रशासन हिल जाता है, और इसकी रिपोर्ट भोपाल उच्च स्तर तक जाती है, जिस पर सरकार हर 15 दिनों में जांच रिपोर्ट मंगवाती है और दिलचस्प बात यह है की वीआईपी इंसान की तरह ही इसका मेडिकल चेकअप भी कराया जाता है, बताया गया है की बौद्ध धर्मगुरु मानते है कि भगवान बुद्ध इसी पेड़ के नीचे ही ज्ञान प्राप्त किए थे।

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