पद रथ यात्रा ने दिया धर्म, आध्यात्म और समरसता का संदेश
पद रथ यात्रा ने दिया धर्म, आध्यात्म और समरसता का संदेशSitaram Patel

Anuppur : पद रथ यात्रा ने दिया धर्म, आध्यात्म और समरसता का संदेश

अनूपपुर, मध्यप्रदेश : जिला अन्तर्गत कोतमा से माता शारदा देवी के धाम मैहर के लिये इस वर्ष 15 तारीख से 21 अक्टूबर तक पद-रथ यात्रा आयोजक मंडल के सौजन्य से एक नितान्त धार्मिक यात्रा का आयोजन किया गया।

अनूपपुर, मध्यप्रदेश। जिला अन्तर्गत कोतमा से माता शारदा देवी के धाम मैहर के लिये इस वर्ष 15 तारीख से 21 अक्टूबर तक पद-रथ यात्रा आयोजक मंडल के सौजन्य से एक नितान्त धार्मिक यात्रा का आयोजन किया गया। आयोजक मंडल को इस यात्रा की सफलता के साधुवाद और इसमें शामिल श्रद्धालुओं के रुप में सनातन समाज के विभिन्न सहभागियों यथा व्यापारी, कृषक, मजदूर, नौकरीपेशा, समाजसेवी, पत्रकारों और राजनैतिक, गैर-राजनैतिक वर्ग के लोगों से बढ़ कर बडी संख्या में मातृ शक्तियों की सहभागिता के लिये जितना भी आभार प्रकट करें, जितना ही अभिनन्दन करें, वो सब कम ही होगा। इस यात्रा की तैयारी, उसका अनुपालन, उसमें व्याप्त धार्मिक-आध्यात्मिक सद्भावना की चर्चा के बिना पद-रथ यात्रा की पूर्णता नहीं हो सकती। समाज के सभी वर्गों ने तन, मन, धन, श्रम, मंशा, भावना के अनुरुप यथा संभव अपनी सहभागिता सुनिश्चित की है। वह कोतमा का युवा वर्ग ही है जिसने अपनी बेजोड़ सनातनी विचारधारा के अनुरुप यात्रा की योजना का कुशल....अति कुशल संचालन किया है। बिना किसी प्रत्याशा, बिना किसी लालसा के की गयी इस यात्रा का सफल क्रियान्वयन ही ईश्वरीय कृपा का परिचायक है। हजारों-हजार बाल, किशोर, युवक-युवतियों, बुजुर्गों, दिव्यांगों के साथ इस समागम की सफलता दैवीय कृपा के बिना तो संभव ही नहीं थी।

पद थके नहीं, तन झुके नहीं :

15 अक्टूबर को कोतमा से शुरु हुई मैहर के लिये इस धार्मिक, आध्यात्मिक यात्रा का पहला पड़ाव फुनगा था। यहाँ श्रद्धालुओं की संख्या कुछ सैकड़ा रही होगी। इसके बाद अनूपपुर नगर होकर चचाई, बुढार, शहडोल, घुनघुटी, माता विरासनी जी की नगरी पाली, ज्वाला देवी का उचेहरा धाम, उमरिया होकर मैहर के शारदा मन्दिर तक पहुंचते-पहुंचते इस विशाल शोभा यात्रा में अनुमानित दस हजार लोग शामिल हो चुके थे। किसी ना किसी रुप में यात्रा को सफल बनाने वालों की संख्या लाखों में आंकी गयी है। प्रतिदिन सुबह छ: बजे शुरु होने वाली यात्रा के श्रद्धालुओं की दिनचर्या सुबह चार बजे से देर रात तक अनवरत चलती ही रहती थी। ना बच्चे और ना ही बुजुर्गों के कदमों में कभी थकावट दिखी और ना ही उनके शरीर झुके दिखे।

जगह-जगह हुई देवी माता की पूजा :

पद-रथ यात्रा की जान यात्रा में शामिल देवी जगत जननी की अतीव सुन्दर प्रतिमा युक्त सुसज्जित रथ था। वाहन को माता के रथ का मनभावन स्वरुप दिया गया था। जिसमे हर वक्त पुजारी जी विधिवत पूजा-अर्चना करने के साथ-साथ शंख, घंटा, घड़ियाल कड नाद से वातावरण को भयमुक्त करते रहे। साथ चलने वाले एवं मार्ग में मिलने वाले सभी भक्तों को माता का प्रसाद वितरित किया जाता रहा। कोतमा से मैहर के बीच सैकड़ों छोटे-बड़े स्थानों पर मार्ग में श्रद्धालुओं, भक्तों द्वारा देवी माता की पूजा, आरती की जाती रही। स्थान-स्थान पर स्थानीय समाजसेवियों, स्वजनों द्वारा स्वल्पाहार, भोजन, चाय, पानी की व्यवस्था भी की गयी थी। रात्रि विश्राम के लिये सुनिश्चित स्थानों पर पाण्डाल लगाए गये थे।

अनुशासन और कुशल प्रबंधन की मिशाल :

कोतमा के व्यवसायी, समाजसेवियों द्वारा पद रथ यात्रा की तैयारी के लिये पूर्व के अनुभवों और तय की गयी योजना का भरपूर उपयोग किया गया। यात्रा की सफलता,उसमें व्याप्त अनुशासन और कुशल प्रबंधन का परिचायक है। यात्रियों के भोजन, विश्राम सहित एक-एक बिन्दु पर विधिवत चर्चा करके, उसके लिये पूरी तैयारी की गयी तथा सभी योजनाओं का कुशल जमीनी क्रियान्वयन करके दिखलाया गया। देवी माता के रथ के साथ श्रद्धालुओं की सुविधा के लिये बसों, कारों के साथ टैंट, राशन- भोजन हेतु अलग-अलग वाहन और दलों को साथ रखा गया था। तय विश्राम स्थल पर श्रद्धालुओं के पहुंचने से पूर्व ही वहाँ इन सुविधाओं की तैयारी पूरी हो जाती थी। आपातकाल के लिये एक एंबुलेंस की व्यवस्था भी थी।

सामाजिक समरसता की बनी मिसाल : पद-रथ यात्रा राजनीतिक विचारधारा से अलग सभी वर्ग

लोगों को समाहित किये हुए एक समरस यात्रा थी। एक ऐसी यात्रा ! जिसमें साथ चलने, रहने, पूजन-अर्चन, भजन- कीर्तन, भोजन-विश्राम के दौरान कहीं कोई जाति, वर्ग भेद नहीं था। पद रथ यात्रा मजबूत सामाजिक समरसता की ऐसी जीवंत मिसाल बना, जिसके दर्शन पूरी यात्रा के दौरान होते रहे। आज यदि इस यात्रा को महात्मा गाँधी, बाबा साहब अंबेडकर की आत्माएं देख रही होंगी तो बहुत खुश होंगी। सभी जाति, वर्ग के लोगों को एक साथ, समभाव के साथ साथ चलते, साथ रहते, साथ भोजन करते देखना देश के लिये प्रसन्नता दायक रहा है। पद रथ यात्रा समाज में धर्म, आध्यात्म का भाव प्रबल करने के साथ-साथ सामाजिक समरसता के ताने बाने को मजबूत करने में सफल रहा है । यह देश के लिये एकता का भाव प्रसारित करने वाला शुभ संदेश है।

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