हाइलाइट्स :
जिंप सीईओ ने शासन को किया गुमराह
भ्रष्टाचारी बीडीओ की छुपाई जानकारी
रिश्वत मांगने के साथ एट्रोसिटी एक्ट में फरार थे इमरान
अनूपपुर, मध्य प्रदेश। जनपद पंचायत जैतहरी के मुख्य कार्यपालन अधिकारी की कुर्सी में मुख्यालय के अधिकारियों को भ्रष्टाचारियों का साथ ही पसंद है, इससे पहले मंडल संयोजक संतोष कुमार बाजपेयी इसी पद पर रहते हुए लोकायुक्त रीवा के हाथ अपने हाथ काले कर चुके हैं, शासन ने भले ही जैतहरी जनपद में मुख्य कार्यपालन अधिकारी की पदस्थापना कर दी, लेकिन यह मामला दो सालों से लम्बित है।
जनजाति कार्य विभाग में कई गुल खिलाने वाले विकासखण्ड अधिकारी इमरान सिद्दीकी को सीधी जेल के कुसमी जनपद स्थानान्तरण होने के बावजूद उन्हें हाईकोर्ट जाने का पूरा मौका दिया गया, जब रिश्वतखोरी का खेल उजागर हुआ तो, उन्हें जिला पंचायत अटैच कर दिया गया। इतना ही नहीं एट्रोसिटी एक्ट में कई माहों तक फरार रहे और उच्च न्यायालय जबलपुर से रिहा, इमरान सिद्दीकी को फिर से जैतहरी में भ्रष्टाचार की नई गंगा बहाने के लिये तैनात कर दिया गया।
भ्रष्टाचारी सम्हालेंगे जैतहरी की कमान :
जैतहरी जनपद की सीईओ की कुर्सी की लड़ाई, वर्चस्व की लड़ाई हो चुकी है। राजनीतिक रसूक के अलावा अफसरशाही भी खुले तौर पर हावी है, इस कुर्सी में आखिर ऐसा क्या है कि जिले के अधिकारी इसे भ्रष्टाचारियों को ही देना चाहते हैं। बारबार यह मामला उच्च न्यायालय पहुंच रहा है, अदालत ने अपने फैसले में विभाग को निर्धारित समयावधि में निराकरण करने के आदेश भी दिये थे, लेकिन जिंप सीईओ भ्रष्टाचारी इमरान सिद्दीकी का जो प्रमाण पत्र जारी किया, उसमें उन्हें हरीशचंद्र करार दे दिया। इतना ही नहीं हाल ही में फिर से स्थानीय स्तर पर इमरान सिद्दीकी को जैतहरी में तैनात कर दिया गया।
शासन को किया गुमराह :
उच्च न्यायालय के आदेश के बाद विकास आयुक्त ने जिले से जैतहरी जनपद सीईओ के मामले में विस्तृत रिपोर्ट तलब की थी, लेकिन वर्तमान में जिला पंचायत की कमान सम्हाल रहे व मौजूदा अपर कलेक्टर सरोधन सिंह ने ऐसी रिपोर्ट बनाकर विभाग में भेजी, इमरान सिद्दीकी के काले कारनामों को छुपाते हुए क्लीन चीट देने के साथ ही शासन को भी गुमराह करने में कोई कसर नहीं छोड़ी।
विकास आयुक्त को दिखाया ठेंगा :
तत्कालीन मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत सरोधन सिंह ने विकास आयुक्त को भेजे गये अपने जवाब में पूरी राम कहानी शुरू से लेकर आखिरी तक तो लिख डाली और इतना ही नहीं यह भी बता दिया गया इमरान सिद्दीकी अभी भी उच्च न्यायालय से स्थगन आदेश पर हैं। कथित अधिकारी ने अपने पद का दुरूपयोग करते हुए विकास आयुक्त के साथ ही शासन को भी गुमराह करने का भी काम किया, अगर यह मामला धोखे से फिर से उच्च न्यायालय पहुंच गया तो जिले में एक बार फिर सहायक आयुक्त पी.एम.चतुर्वेदी जैसे ही हालात दोबारा होने की नौबत आयेगी, जिसमें मुखिया के खिलाफ अवमानना के तहत सजा तक मामला पहुंच चुका है।
रिश्वतखोरी और एट्रोसिटी में थे फरार :
जैतहरी जनपद पंचायत में पदस्थ रहने के दौरान इमरान सिद्दीकी ने वेंकटनगर सरपंच दादूराम पनिका से रिश्वत की मांग की थी, जिसके बाद उन्हें जैतहरी से हटा दिया गया था, उस जांच में क्या निकलकर आया, यह तो कलेक्टर और जिला पंचायत सीईओ के अलावा संभागायुक्त की जानें, इतना ही नहीं दादूराम पनिका के साथ इमरान सिद्दीकी के द्वारा जातिगत गाली-गलौच करने के साथ उन्हें अपमानित भी किया गया था, इस मामले में जैतहरी पुलिस ने इमरान सिद्दीकी के विरूद्ध धारा 294 के साथ एसटी, एससी की धाराओं के तहत प्रकरण दर्ज किया था, इमरान सिद्दीकी कई माहों तक फरार रहे और फिर वह उच्च न्यायालय से जमानत मिलने के बाद अपनी आमद जिला पंचायत में दे दी। यह सारी बातें विकास आयुक्त को भेजे गये पत्र में कहीं भी उल्लेख नहीं की गई है। कुल मिलाकर जैतहरी जनपद में खुद जिले के अधिकारी नहीं चाहते कि उसी पद का अधिकारी बैठे, इसलिये पूरे ब्यूह रचना रची जा रही है। लगता है कि जिले के अधिकारियों को भ्रष्टाचारी अधिकारी ही पसंद हैं।
हाईजेक हैं अहम विभाग और कुर्सियां :
शासन भले ही कई नियम और कानून बना ले इसके अलावा उच्च न्यायालय भी जैतहरी जनपद के सीईओ के पद की कुर्सी का फैसला नहीं कर पा रहा है, आलम यह है कि जिले में अहम विभाग और मुख्य कुर्सियों को हाईजेक कर लिया गया है। अपने पसंद के कलाकारों को अपना हुनर दिखाने का भरपूर मौका दिया गया है, अगर किसी ने मन मुताबिक काम करने से बना किया तो, या तो उसे छुट्टी पर भेज दिया गया, या फिर उसकी कुर्सी किसी और कलाकार को सौंप दी जाती है। यहां पर नियम और कानून राजधानी से नहीं बल्कि जिले से तय हो रहे हैं, जो कि संवैधानिक ढाचे का खुलेआम उल्लंघन है, लेकिन यहां पर सब आल-इज-वेल की तर्ज पर चल रहा है।
इनका कहना है :
उच्च न्यायालय के आदेश के बाद विकास आयुक्त का पत्र आया था, यह सही है कि इमरान सिद्दीकी पर रिश्वतखोरी के आरोप लगाने के साथ प्रमाणित भी हुए थे और अपराधिक प्रकरण में वह फरार भी थे, इसलिये विकास आयुक्त को प्रतिवेदन में अपराधिक मामला होने के चलते पूरी जानकारी नहीं दी गई है।
सरोधन सिंह, अपर कलेक्टर, अनूपपुर
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