भोपाल मास्टर प्लान ड्राफ्ट 2031 पर ऑनलाइन सुनवाई
भोपाल मास्टर प्लान ड्राफ्ट 2031 पर ऑनलाइन सुनवाई RE-Bhopal

Bhopal Master Plan: FAR कम करने कई लोगों ने की आपत्ति, डिप्टी सेक्रेटरी बोले-एक महीने में हो जाएगा निराकरण

Bhopal News: प्लानिंग एरिया में शामिल नए क्षेत्रों के साथ ही कई इलाकों में फ्लोर एरिया रेशो महज 0.25 कर दिया गया है। इससे जमीन की कीमत ही खत्म हो जाएगी।

हाईलाइट्स:

  • किसानों, भूस्वामियों और रहवासियों ने एफएआर 1.25 किए जाने की मांग ।

  • शासन की ओर से जारी मसौदे में एफएआर महज 0.25 करने की सिफारिश ।

  • बिल्डर के अतिरिक्त एफएआर खरीदने से प्रोजेक्ट भी महंगा होगा।

भोपाल,मध्यप्रदेश। प्लानिंग एरिया में शामिल नए क्षेत्रों के साथ ही कई इलाकों में फ्लोर एरिया रेशो महज 0.25 कर दिया गया है। इससे जमीन की कीमत ही खत्म हो जाएगी। अवैध निर्माणों और कॉलोनियों को बढ़ावा मिलेगा। मास्टर प्लान ड्राफ्ट पर सोमवार को ऑनलाइन सुनवाई में अधिकांश लोगों ने यह आपत्ति की। इस पर नगरीय विकास विभाग के डिप्टी सेक्रेटरी वीएस चौधरी कोलसानी ने बताया कि एक महीने में ऐसी सभी आपत्तियों का निराकरण कर दिया जाएगा।

खेजड़ा, महाली दामखेड़ा, राजहर्ष, नयापुरा, अकबरपुर, बैरागढ़ चीचली, पोरधा, मिसरोद समेत अन्य क्षेत्रों के किसानों, भूस्वामियों और रहवासियों ने एफएआर 1.25 किए जाने की मांग की। कहा कि 0.25 एफएआर होने से हमारी जमीन कोई नहीं खरीदेगा। बिल्डर लेंगे भी तो किसानों को इसका सही दाम नहीं मिल पाएगा। विरोध की यह है वजह बैरसिया, नरसिंहगढ़, विदिशा, होशंगाबाद, सीहोर की ओर जाने वाले मार्गों से सटे 300 वर्ग किमी से अधिक इलाके में निर्माण के लिए फ्लोर एरिया रेशो 1.25 नहीं मिल पाएगा।

शासन की ओर से जारी मसौदे में इसे महज 0.25 करने की सिफारिश की गई है। मसौदे में इन क्षेत्रों को रेसीडेंशियल जनरल 4 कैटेगरी में शामिल करना प्रस्तावित किया गया है। इस श्रेणी में ज्यादातर क्षेत्र बाहरी इलाके हैं। यहां कई बिल्डर्स के हाउसिंग व कॉमर्शियल प्रोजेक्ट आ रहे हैं। यहां एफएआर कम करने के पीछे सरकार का मकसद यह है कि किसी भी डेवलपर को यहां प्रोजेक्ट करने के लिए अतिरिक्त निर्माण की अनुमति (प्रीमियम एफएआर) खरीदना होगी।

इससे शासन को पर्याप्त पैसा मिलेगा। इस राशि का उपयोग शहर में विकास कार्यों के लिए किया जा सकेगा। टीडीआर से भी एफएआर की खरीदी-बिक्री हो सकेगी। पर इस प्रस्ताव से सीधे तौर पर भूमि स्वामियों को नुकसान होगा। बिल्डर के अतिरिक्त एफएआर खरीदने से प्रोजेक्ट भी महंगा होगा और आम आदमी का सस्ते मकान का सपना पूरा नहीं हो पाएगा।

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