आकृति ग्रुप की काली करतूतों का कच्चा चिठ्ठा
आकृति ग्रुप की काली करतूतों का कच्चा चिठ्ठाSyed Dabeer Hussain - RE

आकृति ग्रुप की काली करतूतों का कच्चा चिठ्ठा : ग्राहकों को बेच डाले बैंकों में गिरवी रखे प्लॉट

भोपाल, मध्यप्रदेश : किसी को मकान की चाबी दी पर नहीं कराई रजिस्ट्री। सालों से चक्कर काटकर परेशान हुए लोग, अब कस रहा जांच का शिंकजा।

भोपाल, मध्यप्रदेश। आकृति ग्रुप के कर्ताधर्ता हेंमत सोनी और उनकी मंडली ने लोगों के भरोसे का फायदा उठाकर किस कदर धोखाधड़ी और घपले किए हैं, उसकी पर्तें अब लगातार खुल रहीं हैं। एक तरफ सोनी और उनके डायरेक्टर्स पर जांच एजेंसियों का शिंकजा कसता जा रहा है, तो वहीं दूसरी तरफ पीड़ित भी सामने आकर अपने साथ हुए धोखे की कहानी बयां कर रहे हैं। आकृति ग्रुप ने कार्रवाई से बचने के लिए कई लोगों को घरों की चाबियां तो दे दीं, लेकिन उनकी रजिस्ट्री आज तक नहीं कराई, तो वहीं दूसरी तरफ जिन लोगों को प्लॉट बेचे वे जब रजिस्ट्री के लिए गए तो पता चला कि प्लॉट बैंक में गिरवी रखे हुए हैं, लिहाजा उनकी भी रजिस्ट्री नहीं हो पा रही है, लोग सालों से चक्कर काट रहे हैं। एक तरफ लोग परेशान हो रहे थे, तो दूसरी तरफ आकृति के मालिक हेंमत सोनी उनकी जीवनभर की कमाई को अपने फायदे के लिए इस्तेमाल करने में जुटे थे। लोगों की तकलीफ का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है, कि अपने घर के इंतजार में जीवनभर की कमाई लुटाकर कोई बूढ़ा हो गया, तो कोई दुनिया ही छोड़कर चला गया। लेकिन कंपनी बेशर्मी के साथ लोगों को धोखा देने में लगी रही।

ग्राहकों से जमा कराया पैसा और दूसरे प्रोजेक्ट में कर दिया ट्रांसफर :

आकृति ग्रुप 2010 में एक्वासिटी प्रोजेक्ट लाया था, जिसमें 2013 में बुकिंग के बाद 2017 में मकान बनाकर देने थे। इसके लिए आकृति ग्रुप ने ग्राहकों से 90 फीसदी राशि ले थी। सूत्रों के मुताबिक इस राशि को एजी-8 वेंचर कंपनी लिमटेड के खाते में जमा कराई गई। इसके बाद कंपनी के मालिक और डायरेक्टर्स ने इस पैसे का उपयोग एक्वासिटी प्रोजेक्ट के लिए ना करके उस पैसे को दूसरी कंपनी के प्रोजेक्ट के लिए ट्रांसफर कर दी। नतीजा या हुआ कि एक्वासिटी में जो मकान 2017 में बनकर तैयार हो जाने थे, वहां 2022 में भी निर्माण कार्य अधूरा पड़ा हुआ है।

इनका कहना है :

मेरा नाम सुखबिंदर सिंह है। पेशे से फोटोग्राफर हूं। राधा री ढानी के सामने ईको सिटी में मैनें साल 2010 में आकृति के प्रोजेक्ट में एक टू बीएचके यानि 600 स्क्वॉयर फीट का मकान बुक किया था। कंपनी को 12 लाख 65 हजार रुपये का भुगतान किया था। मुझे चाबी दे चुके हैं, लेकिन रजिस्ट्री नहीं हो पा रही है। पिछले 12 साल से मकान का इंतजार कर रहे हैं। आगे क्या होगा पता नहीं फिलहाल तो हम न्याय का इंतजार कर रहे हैं।

सुखबिंदर सिंह लांबा, आकृति ग्रुप से पीड़ित

ऐसी भी की धोखाधड़ी : ग्राहकों को बेच दिए गिरवी प्लॉट

आकृति ग्रुप ने ग्राहकों के साथ किस स्तर पर फर्जीवाड़ा और धोखाधड़ी की है, इसका खुलासा लगातार हो रहा है। एक्वासिटी में प्लाट लेने वाले कई ग्राहकों का आरोप है कि उन्हें कंपनी की तरफ से बैंक में बंधक रखे प्लॉट बेच दिए गए। जब रजिस्ट्री कराने पहुंचे तक हकीकत का पता चला। जबकि वे सभी पहले ही पैसे दे चुके थे। ऐसे कई ग्राहक अब परेशान होते घूम रहे हैं।

मैंने और मेरे चार दोस्तों ने आकृति एक्वासिटी में प्लॉट खरीदे थे, पहले उस प्लाट को किसी और ने खरीदा था, लेकिन पैसे नहीं दे पाने के कारण हमने उसे खरीदा। मैंने 12 लाख रुपये का भुगतान किया था। लेकिन जब प्लाट नंबर 213, मानसरोवर एक्वासिटी 214, 215, 216, 217 जिनका आकार प्रति फीट 1130 फीट था। 2015-16 में मैंने प्लाट लिया था, लेकिन फिर कंपनी वाले ट्रांसफर-रजिस्ट्री के लिए आनकानी करने लगे। जब रजिस्ट्री के लिए गए तो पता चला कि ये प्लॉट पहले ही बैंक में गिरवी रखे हैं। दो साल से रजिस्ट्री के लिए चक्कर लगा रहे हैं।

कृष्ण कांत तिवारी, शिकायतकर्ता पीड़ित

हमने भी एक्वासिटी में प्लाट लिये थे, पैसे भी दे दिए थे। लेकिन जब रजिस्ट्री की बारी आई तो पता चला कि प्लॉट बैंक के पास बंधक है, अब ना तो रजिस्ट्री हो पा रही है, ना ही पैसा वापस मिल रहा है।

आशीष अरोरा एंव पुनीत पटेरिया, पीड़ित, शिकायकर्ता

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