एशिया के सबसे बड़े अस्पताल में बोलती एम्बुलेंस चालकों की तूती
एशिया के सबसे बड़े अस्पताल में बोलती एम्बुलेंस चालकों की तूतीसांकेतिक चित्र

Bhopal : एशिया के सबसे बड़े अस्पताल में बोलती एम्बुलेंस चालकों की तूती

भोपाल, मध्यप्रदेश। एशिया के सबसे बड़े हमीदिया अस्पताल की मर्चुरी के बाहर इन दिनों माफिया राज चल रहा है। बना रखे हैं खुद के कानून, वसूलते हैं मनमर्जी का किराया, बाहरी एम्बुलेंस की नहीं है एंट्री।

भोपाल, मध्यप्रदेश। एशिया के सबसे बड़े हमीदिया अस्पताल की मर्चुरी के बाहर इन दिनों माफिया राज चल रहा है। एम्बुलेंस चालकों ने यहां स्वयं का कानून बना रखा है और तो और कानून का पालन ऐसा की बॉडी के साथ आए परिजनों पर चाहे जो बीते, रकम का इंतजाम वह स्वयं को गिरवी रखने के बाद ही क्यों न करें एम्बुलेंस संचालकों का दिल नहीं पसीजता। यहां महज तीन से चार किलो मीटर बॉडी छोड़ने के तीन सौ से चार सौ रुपए तक वसूले जा रहे हैं। बावजूद इसके प्रशासन की ओर से इनके खिलाफ कार्रवाई तय नहीं जा रही है। आज हम आपको हमीदिया मर्चुरी के बाहर से ऐम्बुलेंस चलाने वालों के कुछ अंधे कानूनों की जानकारी देने जा रहे हैं, जो शायद आपके लिए जानना बेहद जरूरी है।

जानकारी के अनुसार आष्टा में मंगवार की रात को सड़क हादसे में गंभीर रूप से घायल दो युवकों को निजी अस्पताल में लाया गया था। जहां उन्हें डाक्टरों ने चेक करने के बाद मृत घोषित कर दिया। पोस्टमार्टम के लिए बॉडी को हमीदिया की मर्चुरी में रखवाया गया। पीएम के बाद बॉडी परिजनों के सुपुर्द की गई। रिश्तेदारों ने आष्टा तक के लिए एम्बुलेंस करना चाही। तब यहां मौजूद सभी एम्बुलेंस के चालकों ने बॉडी छोड़ने से साफ इनकार कर दिया। बताया गया कि जो बॉडी लाए थे वहीं लेकर भी जाएंगे। तब यहां फैजान नाम के एम्बुलेंस संचालक को बुलाया गया। उसके आने के बाद बॉडी को दूसरी ऐ लेंस में रखकर रवाना किया गया।

कानून नंबर एक : बाहरी एम्बुलेंस में बॉडी आई तो ले जाने की जिम्मेदारी भी उन्हीं की

अपनों को खोने के बाद गमजदा परिजन किसी तरह से एम्बुलेंस अथवा निजी वाहन से बॉडी हमीदिया मर्चुरी तक ले भी आए तो शव को पीएम के बाद उसी एम्बुलेंस से ले जाना होगा। ऐसा इस लिए कि मर्चुरी से चलने वाले वाहनों की अपनी निर्धारित दरें हैं। बाहरी एम्बुलेंस जिस किराए में लाती है, यह उस किराए में शव को नहीं छोड़ते। इस बात की पुष्टी खुद एम्बुलेंस के चालकों ने राज एक्प्रेस संवाददाता द्वारा किए एक स्टिंग में की है।

कानून नंबर दो : हमीदिया-कमला नेहरु से आने वाली बॉडी को बाहरी एम्बुलेंस नहीं छोड़ सकती

हमीदिया और कमला नेहरु अस्पताल से मर्चुरी आने वाली बॉडी को पार्टी किसी बाहरी एम्बुलेंस में नहीं ले जा सकती। इतना ही नहीं इन एम्बुलेंस के चालकों का हमीदिया परिसर में वर्चस्व ही ऐसा है कि किसी बाहरी एम्बुलेंस के चालक की मर्चुरी की तरफ रुख करने की हि मत ही नहीं होती। हमीदिया में जान गंवाने वालों की बॉडी परिसर के अंदर से चलने वाली एम्बुलेंस ही जाएगी। इस बात की पुष्टी भी एक एम्बुलेंस चालक ने स्टिंग के दौरान की है।

कानून नंबर तीन : चार किलोमीटर के लिए तीन से चार सौ रुपए की वसूली

फहीम नाम के एक एम्बुलेंस संचालक ने बताया कि हमीदिया अस्पताल के अधीक्षक की ओर से 12 रुपए किलो मीटर के हिसाब से किराया तय किया गया है। हलांकि उनसे जब पूछा गया कि चार किलो मीटर बॉडी छोड़ने का चार्ज कितना होगा तो उन्होंने बताया कि चार सौ रुपए और फिर तीन सौ रुपए की मांग की। उनसे जब पूछा गया कि तमाम नियम किसकी ओर से बनाए गए हैं तो उन्होंने किसी नरेंद्र नाम के व्यक्ति का जिक्र किया।

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