कर्म और धर्म दोनों को मुस्तैदी के साथ निभा रहे कोरोना योद्धा

मध्यप्रदेश में कोरोना संकटकाल के बीच कोरोना योद्धाओं का जज़्बा काबिले तारीफ़ है हर हाल में फर्ज निभाने तैयार हैं कॉप्स।
कर्म और धर्म दोनों को मुस्तैदी के साथ निभा रहे कोरोना योद्धा
कर्म और धर्म दोनों को मुस्तैदी के साथ निभा रहे कोरोना योद्धाSyed Dabeer-RE

राज एक्सप्रेस। कभी ठंड में ठिठुर कर देख लेना, कभी तपती धूप में जल के देख लेना, कैसे होती हैं हिफाज़त मुल्क की, कभी खाकी वालों की जिन्दगी जीकर देख लेना। जी हां किसी शायर का यह शेर इन दिनों पुलिस के जवानों पर सटीक बैठ रहा है। कोरोना के खिलाफ जंग में पुलिस का जज्बा काबिले तारीफ है। वहीं फर्ज निभा रहे पुलिसकर्मी धर्म के मामले में भी पीछे नहीं है। रमजान के दिनों में रोजे की हालत में भूखे प्यासे कर्मवीर पूरी मुस्तैदी के साथ ड्यूटी कर रहे हैं। कर्तव्य का जुनून इन्हें न धूप महसूस होने देता है और न रोज़े की शिद्दत।

फर्ज के जुनून में मुस्तैद हैं कोरोना योद्धा

आपको बता दें कि, भोपाल क्राइम ब्रांच के आरक्षक शाहिद खान की ड्यूटी इन दिनों सूखी सेवनिया हाईवे पर चल रही है। जहां से सैकड़ों प्रवासी मजदूरों का रोजाना गुजर हो रहा है। शाहिद यहां निगरानी के साथ ही संदिग्ध वाहनों की चैकिंग अपनी टीम के साथ करते हैं। बीते 48 दिनों से घर नहीं गए हैं। फिलहाल क्राइम ब्रांच ऑफिस के समीप एलआईसी के गेस्ट हाउस में निवासरत हैं। शाहिद बताते हैं कि फर्ज के जुनून में न धूप महसूस होती है और न ही रोजे की शिद्दत। शाहिद प्रति दिन आठ घंटे ड्यूटी कर रहे हैं। गेस्ट हाउस में सहरी और जहां ड्यूटी हो वहीं इफ्तार कर लेते हैं। इफ्तार के लिए वह पानी की बॉटल, बिस्किट का पैकेट और खजूर वाहन में साथ लेकर चलते हैं।

खुद रोज़े में रहकर साथियों का पेट भराने की जिम्मेदारी

आरक्षक नसीम खान जहांगीराबाद थाने में पदस्थ हैं। वह और उनका साथी स्टॉफ थाने के पास स्थित लाला शादी हाल में कोरोना संक्रमण के चलते निवासरत है। शादी हॉल में ही सहरी और इफ्तार स्वयं तैयार कर रहे हैं। वहीं नमाज और समय अनुसार कुरआन की तिलावत कर लेते हैं। इस सबके बीच सबसे एहम जिम्मेदारी भी उन्हीं के ऊपर है। ड्यूटी में तैनात साथी पुलिसकर्मियों का नाश्ते से लेकर रात के खाने तक  का जिम्मा उन्हीं का है। नसीम एक एक जवान तक फिक्र के साथ खाना पहुंचाते हैं। इससे अतिरिक्त तपती धूप में अन्य ड्यूटी भी अधिकारियों के आदेशानुसार नसीम करते हैं। बता दें कि नसीम पिछले करीब पचास दिनों से घर नहीं गए हैं। उनकी ढाई साल की बेटी है, जिससे वह वीडियो कॉल पर ही बात कर दिल बहला लेते हैं। नसीम करीब चार माह पहले उमराह कर लौटे हैं।

अति संवेदनशील क्षेत्र में है तैनाती

तलैया थाने के आरक्षक यासीन आर्मी से रिटायर्ड जवान हैं। नौकरी हर हाल में पूरी मुस्तैदी के साथ निभाना जानते हैं। इनके पूरे रोज़े चल रहे हैं। इसी के साथ क्षेत्र के अति संवेदनशील क्षेत्र बुधवारा और इतवारा में उनकी विशेषकर ड्यूटी रहती है। यह भी इफ्तार फील्ड पर ही करते हैं। इधर, कोतवाली थाने में पदस्थ आरक्षक इम्तीयाज भी पूरे रोजे रखने के साथ ही मुस्तैदी से जॉब कर रहे हैं।

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