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Bhopal : निगम का कारनामा, सीएम के निर्देश मिलते ही तंबू पर उड़ा दिए 36 लाख

सीएम ने जनवरी में तेज सर्दी के मौसम को देखते हुए प्लेटफार्म नंबर 6 के बाहर अस्थाई रैन बसेरा बनाने को कहा तो निगम अधिकारियों ने टेम्परेरी रैन बसेरे के नाम पर 36 लाख रूपए तंबू में फूंक दिए।

भोपाल, मध्यप्रदेश। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के निर्देश को अवसर में कैसे बदलना है, इसकी बानगी नगर निगम में देखने को मिलती है। जहां सीएम ने जनवरी में तेज सर्दी के मौसम को देखते हुए प्लेटफार्म नंबर 6 के बाहर अस्थाई रैन बसेरा बनाने को कहा तो निगम अधिकारियों ने टेम्परेरी रैन बसेरे के नाम पर 36 लाख रूपए तंबू में फूंक दिए। मात्र 40 दिन के लिए यह रैन बसेरा बनाया गया था। फाईलों को भी ऐसे पंख लगे कि तंबू उखड़ते ही भुगतान भी हो गया। यह पूरा मामला आरटीआई से निकली जानकारी के बाद सामने आया है। मामले की जानकारी महापौर मालती राय से लेकर निगम कमिश्नर केवीएस चौधरी तक पहुंच गई।

नगर निगम के कर्मचारियों के वेतन का मामला हो या पेंशन से लेकर ठेकेदारों के भुगतान से जुड़ा हो। निगम प्रशासन हमेशा तंगहाली का रोना रोता है। लेकिन इसी निगम ने 40 दिन के तंबू पर 36 लाख रूपए फूंक दिए। हवाला दिया गया कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के निर्देशों का पालन 24 घंटे में करना जरूरी था। इससे पहले भी निगम 2 करोड़ के फूल-माला के टेंडर को लेकर घिर चुका है। मामला बढ़ा तो टेंडर निरस्त करना पड़ा। अब एक बार फिर निगम की फिजूलखर्ची का मामला सामने आया है। आरटीआई एक्टिविस्ट नितिन सक्सेना ने निगम से जब आरटीआई के तहत जानकारी मांगी तो यह मामला खुल गया। अब अधिकारी इस पर सफाई दे रहे हैं।

क्या है पूरा मामला :

दरअसल 16 जनवरी को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान तेज सर्दी को देखते हुए राजधानी के रैन बसेरों का जायजा लेने पहुंचे थे। इस दौरान इतवारा में उन्होंने फुटपाथ पर सोने वालों से मुलाकात की और उन्हें रैन बसेरों में रहने को कहा। वहीं मौके पर मौजूद नगर निगम अधिकारियों को निर्देश दिए कि रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म नंबर 6 के बाहर भी एक रैन बसेरा बनाया जाए। जब तक नया रैन बसेरे का निर्माण नहीं होता, ऐसी स्थिति में तुरंत अस्थाई रैन बसेरा बनाएं। मुख्यमंत्री के निर्देश मिलते ही निगम ने अगले ही दिन अस्थाई रैन बसेरा बनाना शुरू कर दिया और 18 जनवरी से 25 फरवरी तक अस्थाई रैन बसेरा रहा। इस पूरे 40 दिन में निगम ने 36 लाख 10 हजार 163 रूपए खर्च कर दिए। आरटीआई एक्टिविस्ट नितिन सक्सेना ने जब निगम ने 40 दिन के खर्च का ब्यौरा मांगा तो निगम ने लिखित में जानकारी दी कि 36 लाख रूपए से अधिक तंबू पर खर्च कर दिए।

इनका कहना है :

बीते साल का मामला है। इतने खर्च के बारे में जानकारी ली जा रही है। संबंधित अधिकारियों से चर्चा करेंगे।

केवीएस चौधरी, कमिश्नर नगर निगम, भोपाल

मुझे आप से ही जानकारी मिली है। मैं दिखवाती हूं पूरा मामला क्या है।
मालती राय, महापौर भोपाल

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