भोपाल, मध्यप्रदेश। राज्य में जिस तत्कालीन कमलनाथ सरकार ने प्रेरकों की सेवा बहाली का मुद्दा अपने बचपन में शामिल किया था। उसके प्रति घरों में बेरोजगार बैठे यह कर्मचारी आशा छोड़ चुके हैं। इनका कहना है कि सत्ता परिवर्तन हुआ तो लगातार बहाली की मांग की लेकिन तकनीकी उलझन की बात कर अफसर इस गंभीर मुद्दे से बचना चाह रहे हैं।
प्रेरकों के अनुसार-
राज्य में व्याप्त निरक्षरता प्रतिशत वर्ष 2011 के अनुसार महिला साक्षरता दर 60.02 प्रतिशत एवं पुरूष साक्षरता दर 70.63 थी। इसी निरक्षरता के बढ़ते अनुपात पर लगाम लगाने के लिए प्रदेश सरकार द्वारा शिक्षा विभाग की राज्य शिक्षा केंद शाखा द्वारा साक्षर भारत योजना का संचालन किया गया था। योजना मूलतः 4 चरणो में थीं लेकिन प्रदेश सरकार द्वारा केवल प्रथम चरण में भी इसको समाप्त कर दिया गया था। योजना के प्रथम चरण में साक्षर भारत योजना का मुख्य रूप का ग्राम पंचायतों में निरक्षरता प्रतिशत को कम करना था। ग्राम पंचायत मैं ऐसी आवादी का सर्वे कर निरक्षरों को चिन्हित कर उन्हें साक्षर करना इस कार्य को गतिशील बनाये रखने के लिए सरकार का मसौदा तैयार हुआ था। राज्य शिक्षा केन्द्र द्वारा प्रदेश के 42 जिलों में कुल ग्राम पंचायत 28.877 में प्रेरक भर्ती की गयीं, जिन्हें ग्राम पंचायत स्तर पर लोक शिक्षा केन्द्र का संचालन करने का दायित्व सौंपा गया। ग्राम पंचायतों में सर्वेक्षण में पाएं गए निरक्षरों को साक्षर बनाने में लग गए वर्ष 2012 से लेकर 31मार्च 2018 तक साक्षरता दर मैं वृद्धि पर पूरा फोकस हुआ था।
प्रेरकों का कहना-
उनके समुचित प्रयासों से महिला साक्षरता दर 75 एवं पुरुष साक्षरता दर 85 पहुँचा दी गई है। पूरे प्रदेश में चिन्हित निरक्षरों को साक्षर किया। प्रदेश में निरक्षर को साक्षर करने के साथ-साथ शासन की जन धन योजना , स्वच्छ भारत योजना स्कूल चलें हम, विभिन्न प्रकार के सर्वे आदि कार्य किये। देश में प्रदेश की साक्षरता दर बृद्धि कर प्रदेश को 3 बार साक्षरता अवार्ड से सम्मानित कर प्रदेश सरकार का मान बढ़ाया। फिर भी सरकार द्वारा ऐसी जनकल्याण कारी योजना को 31 मार्च 2018 को बंद कर दिया गया। जिससे प्रदेश के 23930 प्रेरक अपने जीवन के 6 बहुमुल्य वर्ष समाप्त कर आज केवल लाचारी का जीवन जी रहे हैं। ऐसी स्थिति में जहाँ प्रेरक उम्र दराज होने पर किसी अन्य जॉब में जानें लायक नहीं रहे। दूसरी ओर सरकार द्वारा भी इन प्रेरकों का जीवन स्तर सुधारने की दिशा में कोई रुचि नहीं ली गई है।
भुखमरी के मुहाने पर आ गए हैं प्रेरकों के परिवार :
मध्य प्रदेश साक्षरता संविदा प्रेरक समिति के प्रदेश सचिव राजेश अहिरवार का कहना है कि अब संघर्ष करते-करते धैर्य जवाब दे गया है। उन्होंने कहा है कि सरकार ने एक प्रकार से सेवा बहाली को लेकर मुँह फेर लिया गया जिससे प्रेरक एवं प्रेरक परिवार आज भुखमरी का जीवन जीनें पर मजबूर हो गए हैं।ऐसे में प्रेरक शिक्षकों के पास केवल एक ही विकल्प शेष है कि वह अपने परिवार सहित क्यों न सरकार से इच्छा मृत्यु की गुहार लगाएं। अहिरवार का कहना है कि अधिकारियों ने शुरू से ही सेवा बहाली में तकनीकी उलझन पैदा की है।
सरकार के बहुमत में हिस्सेदार बन सकते हैं प्रेरक :
संविदा साक्षरता प्रेरक समिति के अध्यक्ष संदीप गुप्ता का कहना है कि मौजूदा राज्य सरकार यदि हमारी वर्तमान में सेवा बहाली करती है तो फिर प्रेरक चुनाव के समय बहुमत दिलाने में बड़ा रोल अदा कर सकते हैं। गुप्ता का कहना है कि अधिकांश प्रेरक परिवार उस ग्वालियर चंबल अंचल में रहते हैं जहां सर्वाधिक 22 सीटों पर चुनाव कराए जाने हैं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से मांग है की तत्काल आर्थिक रूप से टूट चुके प्रेरकों की सेवा बहाली की जाए। प्रेरक भी वादा करते हैं कि वह सभी सीटें जिताने में पूरी ताकत लगाएंगे।
बेरोजगार घूमते युवाओं को रोजगार से जोड़ना जरूरी :
बुंदेलखंड में सागर संभाग के पांचों जिलों में पर्यावरण को संरक्षित करने पलायन रोकने और सरकारी जमीनों पर अतिक्रमण के खिलाफ आवाज बुलंद करने वाले वरिष्ठ पत्रकार धीरज चतुर्वेदी कहते हैं कि सरकार को रोजगार के प्रति अपनी स्थिति स्पष्ट करना होगी। उन्होंने कहा है कि जिन प्रेरकों और संविदा कर्मचारियों को सरकार ने सेवा से निकाला है। आज उनके परिवारों में बड़ा आर्थिक संकट खड़ा हो गया है। उन्होंने कहा है कि बुंदेलखंड में शहर से लेकर हर गांव में तालाबों और शासकीय जमीनों पर बदमाश और झूठ बोलने वाले सामंती एवं दबंग प्रवृत्ति के लोगों ने कब्जा कर रखा है। सरकार यदि इन महत्वपूर्ण जगहों से कब्ज़ा हटाए तो रोजगार के संसाधन स्वयं स्थापित हो जाएंगे।
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