भोपाल, मध्यप्रदेश। प्रदेश में वैश्विक महामारी कोरोना के संकटकाल के बीच संक्रमण से मौतों का सिलसिला तो जारी है इस बीच ही पद्मश्री कथाकार मंजूर एहतेशाम के निधन की खबर सामने आईं है जहां आज उनके पार्थिव शरीर को दोपहर एक बजे सुपुर्दे खाक किया गया है।
कोरोना संक्रमण के चलते अस्पताल में कराया गया था भर्ती
इस संबंध में बताते चलें कि, मंजूर एहतेशाम को एक हफ्ते पहले कोरोना होने के चलते अस्पताल में भर्ती कराया गया था। जिनका इलाज किया जा रहा था जहां बीती रविवार शाम उनका निधन हो गया। वर्ष 1948 में भोपाल में जन्मे और आज़ाद भारत के अब तक के सारे उतार-चढ़ाव का गवाह बने अप्रतिम लेखक मंजूर एहतेशाम ने हिन्दी साहित्य में भी कई विरल रचनाएं दी हैं। जिनमें उपन्यास के तौर पर सूखा बरगद, दास्तान-ए-लापता, कुछ दिन और बशारत मंजिल शामिल है। बताया जा रहा है कि, पहली कहानी 'रमज़ान में मौत' साल 1973 में छपी, तो पहला उपन्यास 'कुछ दिन और' साल 1976 में प्रकाशित हुआ। लेखन के चलते वह वागीश्वरी पुरस्कार, पहल सम्मान और पद्मश्री से अलंकृत हो चुके हैं।
प्रदेश गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने किया ट्वीट
इस संबंध में, प्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने ट्वीट कर कहा कि, वरिष्ठ साहित्यकार पद्मश्री मंजूर एहतेशाम जी के इंतकाल का दुखद समाचार मिला है। परिवार के प्रति मेरी शोक संवेदनाएं। परमपिता परमेश्वर से उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करता हूं। उनकी खासियत यह है कि उनकी रचनाएं किसी चमत्कार के लिए व्यग्र नहीं दिखतीं, बल्कि वे अनेक अन्तर्विरोधों और त्रासदियों के बावजूद 'चमत्कार की तरह बचे जीवन' का आख्यान रचती हैं।
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