Bhopal : ग्रामीण इलाकों के सिंगल यूज प्लास्टिक से बनेगी मजबूत और चमकदार सड़कें

भोपाल, मध्यप्रदेश : ग्रामीण सड़क विकास प्राधिकारण और सीमेंट संयत्र को बेचा जाएगा प्लास्टिक। भोपाल-रायसेन कलेस्टर में स्थापित होगा मटेरियल रिकवरी फेसिलिटी सेंटर।
ग्रामीण इलाकों के सिंगल यूज प्लास्टिक से बनेगी मजबूत और चमकदार सड़कें
ग्रामीण इलाकों के सिंगल यूज प्लास्टिक से बनेगी मजबूत और चमकदार सड़केंसांकेतिक चित्र

भोपाल, मध्यप्रदेश। ग्रामीण इलाकों से निकलने वाले सिंगल यूज प्लास्टिक से अब मजबूत और चमकदार सड़कें बनेंगी। इसके अलावा यहां से प्लास्टिक सीमेंट संयत्र भी जाएगा। यह संभव होगा स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण के तहत मटेरियल रिकवरी फेसिलिटी (एमआरएफ) केन्द्र होंगे स्थापित होने के बाद..। भोपाल और रायसेन जिले को मिलाकर एक कलास्टर बनाया गया है। इन दोनों के जिलों के बीच एक एमआरएफ केंद्र संचालित होगा,जहां गांव-गांव से प्लास्टिक कचरा लगाकर अलग- अलग किया जाएगा।

दरअसल, केंद्रीय ग्रामीण विकास विभाग मंत्रालय ने स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण तहत ग्रामीण इलाकों से प्लास्टिक कचरा प्रबंधन के लिए परियोजना तैयार की है। इस परियोजना के अंतर्गत दो जिलों को मिलाकर एक कलास्टर बनाकर वहां एमआरएफ केन्द्र स्थापित किया जाएगा। इसी क्रम में भोपाल-रायसेन को मिलाकर कलास्टर बनाया गया है जहां एमआरएफ केन्द्र स्थापित करने की तैयार की जा रही है। एमआरएफ केंद्र को संचालिक करने के लिए पहले तकनीकी एजेंसी प्रशिक्षण देगी, उसके बाद आगे की प्रक्रिया होगी।

दो रुपए किलो में बेचा जाएगा सिंगल यूज प्लास्टिक :

जानकारी के अनुसार एमआरएफ केंद्र पर एकत्रित प्लास्टिक कचरे को प्रोसेसिंग (ग्रडिंग, बेलिंग) कर उसे ग्रामीण सड़क विकास प्राधिकारण और सीमेंट संयंत्रों को भेजा जाएगा। ग्रामीण सड़क विकास प्राधिकारण इस प्लास्टिक से विभिन्न इलाकों की सड़कें बनाएगा। केंद्र से लगभग दो रुपए प्रतिकिलो में प्लास्टिक (प्रोसेसिंग के बाद) संबधितों को बेचा जाएगा।

16 लाख रुपए से बढ़ाया जाएगा प्रति केंद्र बजट :

परियोजना के अनुसार पहले जिलों में सभी विकासखंड में एमआरएफ केंद्र स्थापित करने का प्रस्ताव था, लेकिन इस स्तर पर प्लास्टिक कचरे का एकत्रित नहीं होता है। अब इसे दो जिलों को मिलाकर एक क्लस्टर में परिवर्तित कर दिया। पहले एक विकासखंड में 16 लाख रुपए केंद्र पर बजट रखा गया था। इसे बढ़ाया जाएगा।

गांव-गांव होगा कचरे का सर्वे :

एमआरएफ केंद्र स्थापित होने से पहले गांव-गांव में प्लास्टिक कचरे का सर्वे होगा। सर्वे टीम गांवों में घर- घर निर्धारित प्ररूप में जानकारी पूछकर दर्ज करेंगी। इस जानकारी के आधार पर केंद्र स्थापित करने की जगह तय की जाएगी। साथ कचरे के अनुपात में केंद्र की क्षमता भी निर्धारित होगी। सर्वे में कहां से कितना औसतन कचरा निकलता है, किस गांव में ग्रामीण कचरा प्रबंधन की समझ रखते और कौन से इलाकों में कचरा प्रबंधन।

6 माह बाद स्व-सहायता समूह संचालित करेंगे केंद्र :

मटेरियल रिकवरी फेसिलिटी (एमआरएफ) केंद्र स्थापित होने के बाद शुरु में 6 माह तक तकनीकी एजेंसी संबधित संस्था को केंद्र संचालित करने का प्रशिक्षण देंगी। उसके बाद स्व-सहायता समूह केंद्र को संचालित करेंगे। इससे पहले जिला पंचायत कार्यालय से केंद्र संचालित करने की निविदा जारी होगी। निविदा की शर्ते और योग्यता अनुसार चयनित स्व-सहायता समूह को कार्य सौंप दिया जाएगा।

अभी शहरों में चल रहे है एमआरएफ केंद्र :

कचरा प्रबंधन के लिए अभी शहरों में एमआरएफ केंद्र संचालित किए जा रहे हैं। भोपाल में 6 केंद्रों के माध्यम से शहर भर का कचरों को अलग-अलग किया जा कर उसे अवश्यकता अनुसार सबंधितों को भेजा जा रहा है।

इनका कहना है :

केंद्रीय ग्रामीण विकास विभाग मंत्रालय द्वारा स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण अंतर्गत ग्रामीण इलाकों में प्लास्टिक कचरा प्रबंधन के लिए परियोजना तैयार की गई है। इसमें अब दो जिलों को मिलाकर एक कलास्टर बनाया जा रहा है, भोपाल- रायसेन को मिलाकर एक कलास्टर बनाकर यहां एक मटेरियल रिकवरी फेसिलिटी (एमआरएफ) केंद्र शुरु किया जाएगा। केंद्र में सिंगल यूज प्लास्टिक कचरे को एकत्रित कर प्रोसेसिंग की जाएगी।

ऋतुराज सिंह, सीईओ, जिला पंचायत, भोपाल

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