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भाजपा विधायक राकेश गिरी को हाईकोर्ट से राहत, निर्वाचन के खिलाफ दायर चुनाव याचिका खारिज

याचिका में मांग की गयी थी कि साल 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी ने भ्रष्ट आचरण से चुनाव जीता है, इसलिए उनका निर्वाचन शून्य किया जाये।

जबलपुर,मध्य प्रदेश। टीकमगढ विधानसभा सीट से भारतीय जनता पार्टी के विजयी प्रत्याशी राकेश गिरी को हाईकोर्ट से राहत मिली है। जस्टिस डीके पालीवाल की एकलपीठ ने उनके खिलाफ दायर चुनाव याचिका खारिज कर दी है।

कांग्रेस के पराजित प्रत्याशी यादवेन्द्र सिहं ने भाजपा विधायक राकेश गिरी के निर्वाचन को चुनौती देते हुए उक्त याचिका दायर की थी। याचिका में मांग की गयी थी कि साल 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी ने भ्रष्ट आचरण से चुनाव जीता है, इसलिए उनका निर्वाचन शून्य किया जाये। चुनाव के समय टीकमगढ़ नगर परिषद की अध्यक्ष उनकी पत्नी थी। आरोप था कि नगर परिषद में कार्यरत 150 दैनिक वेतन भोगियों को चुनाव प्रचार में लगाया गया था। याचिका में आरोप लगाया गया था कि चुनाव के दौरान भाजपा प्रत्यशी ने वोट के लिए उपहार व शराब बांटी थी। लोगों को कंबल व साडिय़ों के अलावा नगद रूपये दिये गये थे। इतना ही नहीं भाजपा प्रत्याशी ने अपने अपराधिक रिकॉर्ड का विवरण भी समाचार पत्रों में प्रकाशित नहीं कराया था।

याचिका की सुनवाई के दौरान एकलपीठ ने पाया कि भाजपा प्रत्याशी ने अपराधिक रिकॉर्ड का विवरण स्थानीय अखबार में प्रकाशित करवाया था। इसके अलावा याचिकाकर्ता अपने आरोपों के संबंध में साक्ष्य प्रस्तुत नहीं कर सकें। एकलपीठ ने याचिका को खारिज करते हुए आदेश की प्रति चुनाव आयोग तथा विधानसभा अध्यक्ष को भेजने के निर्देश दिये है।

इस पूरे सप्ताह अदालतों में पैरवी के लिये हाजिर नहीं होंंगे वकील

पुराने प्रकरणों को तीन माह में निराकृत करने संबंधी आदेश के विरोध में जिला न्यायालय में दो दिवसीय प्रतिवाद दिवस को बढ़ाकर 19 मार्च तक कर दिया गया है। जिला अधिवक्ता संघ की हुई कार्यकारिणी की बैठक में एक हजार से अधिक वकीलों द्धारा दिये गये हस्ताक्षरित पत्र पर उक्त निर्णय लिया गया है, यानि की इस पूरे सप्ताह वकील अदालतों में पैरवी के लिये उपस्थित नहीं होंगे।

जिला अधिवक्ता संघ जबलपुर के अध्यक्ष आरके सिंह सैनी व सचिव राजेश तिवारी द्वारा बताया कि मंगलवार 14 मार्च को जिला अधिवक्ता संघ जबलपुर की कार्यकारणी सभा की बैठक हुई। जिसमें यह निर्णय लिया गया है कि पूर्व में संघ की बैठक में मप्र उच्च न्यायालय जबलपुर के द्वारा दिये गये निर्देश के विरोध में अधिवक्तागण 13 व 14 मार्च को न्यायिक कार्य से विरत् रहने का निर्णय लिया गया था। मंगलवार को हुई बैठक में सर्वसहमति से निर्णय लिया गया कि पूरे प्रदेश में अधिवक्ता संघ न्यायिक कार्य से विरत है, क्योंकि उच्च न्यायालय द्वारा जारी दिशा निर्देश के कारण अधीनस्थ न्यायालयों को निर्देशित किया गया है कि पिछले वर्ष जैसा इस वर्ष भी पुराने प्रकरणों को सूचीबद्ध किया जाये और समय सीमा अर्थात् 25 प्रकरणों का निराकरण तीन माह के अंदर किया जाये। उक्त निर्देश के अनुसार पुराने प्रकरण समय सीमा के अन्तर्गत निराकृत किये जायेंगे। जिससे लोगों को न्याय प्राप्त नहीं हो रहा है बल्कि केवल प्रकरणों का निराकरण होगा और पक्षकारों के साथ अधिवक्ताओं और न्यायालयों पर भी अनावश्यक दबाब हो रहा है कि उक्त मामले शीघ्र सुनवाई कर निराकृत किये जाये, जिससे न्याय का उद्देश्य विफल हो रहा है। मंगलवार को  संघ की कार्यकारण में एक हजार अधिवक्ताओं द्वारा हस्ताक्षरित पत्र दकरे प्रतिवाद को निरंतर करने का आग्रह किया गया।

जिस पर कार्यकारणी द्वारा यह निर्णय लिया गया कि पूर्व में तय प्रतिवाद दिवस को निरंतर रखते हुए उसे 19 मार्च तक के लिये बढ़ाया जाये। जिला अधिवक्ता संघ के निर्णय का सिहोरा, पाटन अधिवक्ता संघ ने भी समर्थन देते हुए न्यायिक कार्य से विरत् रहेंगे। बैठक में जिला अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष आरके सिंह सैनी, सचिव राजेश तिवारी, उपाध्यक्ष अखिलेश चौबे, महिला उपाध्यक्ष ज्योति राय, सह-सचिव यतेन्द्र अवस्थी, अजय दुबे, पुस्तकालय सचिव अमित कुमार साहू, कार्यकारणी सदस्य प्रदीप परसाई, शैलेन्द्र यादव, रेणुका शुक्ला व राजू बर्मन उपस्थित थे

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