कागजों पर ही सिमट कर रह गया स्तनपान सप्ताह, न आयोजन, न प्रचार

नसरुल्लागंज, मध्यप्रदेश : परियोजना अधिकारी की लापरवाही की भेंट चढ़ा महिला बाल विकास विभाग का बहुउद्देश्यीय स्तनपान सप्ताह, बहुउद्देशीय आयोजन का लाभ गर्भवती महिलाओं को नहीं मिल पाया।
एकीकृत बाल विकास सेवा केंद्र नसरुल्लागंज
एकीकृत बाल विकास सेवा केंद्र नसरुल्लागंज राज एक्सप्रेस, ब्यूरो

नसरुल्लागंज, मध्यप्रदेश। प्रतिवर्ष 1 से 7 अगस्त तक विश्व स्तन पान सप्ताह का अयोजन किया जाता है, जिसमें जन्में और अजन्में बच्चों की माताओं को बताया जाता है कि बच्चों के जन्म के बाद के सबसे पहले मां का दूध ही बच्चों का रक्षा कवच है। इसके लिए स्तन पान सप्ताह के दौरान महिला बाल विकास विभाग का मैदानी अमला ऐसी माताओं के पास जो या तो बच्चों को जन्म दे चुकीं हैं या जन्म देने वाली हैं। उन्हें बताया जाता है कि जन्म के तुरंत बाद ही मां का दूध पिलाने से बच्चों में रोग निरोधक क्षमता बढ़ती है।

इन सबकी जबावदारी महिला बाल विकास विभाग के कंधों पर रहती है क्योंकि, आंगनबाड़ी केंद्रों पर पदस्थ आगंनबाड़ी कार्यकर्ता और सहायिकाओं का धात्री महिलाओं से सीधा सम्पर्क रहता है। इसलिए इनके द्वारा महिलाओं को गर्भावस्था के बाद जन्में बच्चों को माता का दूध नवजात के लिए कैसे गुणकारी है बताया और समझाया जाता है। लेकिन इस बार देखने में आया कि पूरा स्तनपान सप्ताह कागजों पर ही सिमट कर रह गया। जिससे एक ओर सरकार के बहुउद्देशीय आयोजन का लाभ गर्भवती महिलाओं को नहीं मिल पाया। जिसके कारण जागरूकता के अभाव में खासकर ग्रामीण क्षेत्र में जन्म के बाद बच्चों को शुरुआती दिनों में मां के द्वारा दूध नहीं पिलाया जाता है, जिससे बच्चों के जीवन को जीवन भर खतरा बना रहता हैं। विभाग की लापरवाही का खामियाजा कहीं न कहीं अगस्त माह या उसके बाद जन्में बच्चों को भुगतना पड़ सकता हैं।

1 से 7 अगस्त तक मनाया जाता है सप्ताह :

विश्व भर में बच्चों के जन्म के बाद माँ का दूध कैसे गुणकारी होता है इसको समझने तथा समझाने के लिए अगस्त माह की पहली तारीख से सात तारीख तक स्तनपान सप्ताह का आयोजन किया जाता हैं। इस आयोजन को लेकर प्रदेश सरकार और महिला बाल विकास मंत्रालय भी हर वर्ष बड़े स्तर पर तैयारी कर स्तनपान से संबाधित ज्ञानकारी को अमलीय जामा पहनाने की जबावदारी महिला बाल विकास के मैदानी अमले को दी जाती है, लेकिन इस बार देखने में आया कि स्तनपान सप्ताह का पहला दिन रविवार होने के चलते न तो महिला बाल विकास विभाग का कार्यालय खुला और न ही आंगनबाड़ी केंद्र खुले।

इस पर गर्भवती महिलाओं ने सोचा छुट्टी के कारण आयोजन और जानकारी नहीं मिल सकी। लेकिन बाद के 6 दिनों में भी जागरूकता के लिए किसी प्रकार का आयोजन और प्रचार प्रसार नहीं होने से न केवल सरकार के बल्कि विभाग के उद्देश्य पर जबावदारों ने पानी फेर दिया । साथ ही जन्में बच्चों के भविष्य से भी एक प्रकार का खिलवाड़ किया गया।

महिलाओं को करना था जागरूक :

स्तनपान सप्ताह के लिए सरकार के मुखिया शिवराज सिंह चौहान और संचालक निधि निवेदिता के द्वारा तैयारी पूर्ण कर मैदानी अमले को पूरे सप्ताह स्तनपान के विषय में प्रचार-प्रसार और आयोजन को लेकर घर-घर दस्तक और बैनर पोस्टर तथा स्लोगन लिखकर महिलाओं को जागरूक करना था। जिससे माँ को पता चले कि दूध जन्में बच्चों के लिए कैसे रामबाण है। लेकिन ब्लॉक के अधिकांश आंगनबाड़ी केद्रों पर कोरोना के चलते न तो आयोजन हुए और ना ही प्रचार-प्रसार जिससे योजना का उद्देश्य ही अधर में रह गया।

परियोजना अधिकारी कार्यकर्ताओं व सहायिकाओं को मोटीवेट करते तो वह योजना के उद्देश्य को धात्री महिलाओं के घर-घर जाकर समझा सकती थीं। परन्तु परियोजना अधिकारी ने समझना उचित नहीं समझा। इसलिए कार्यकर्ताओं ओर सहायिका सरकार के आयोजन को अमली जामा नहीं पहना सकी। वरना इन्हीें कार्यकर्ताओं व सहायिकाओं ने कोरोनाकाल में भी जीवन दांव पर लगाकर मैदान पर काम किया था।

इनका कहना है :

कोरोना संक्रमण के चलते आंगनबाड़ी केंद्र फिलहाल बंद चल रहे हैं, ऐसे में बड़ा आयोजन करना ठीक नहीं है। तथा बजट के आभाव में सामग्री नहीं खरीद सके। जितना संभव हुआ स्तनपान सप्ताह का उद्देश्य धात्री महिलाओं को मैदानी कर्मचारियों ने समझाया।

प्रफ्फुल खत्री, जिला परियोजना, अधिकारी, सीहोर

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