''स्लीपर सेल" पर टिका प्रत्याशियों के हार-जीत का फैसला
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शहडोल : ''स्लीपर सेल" पर टिका प्रत्याशियों की हार-जीत का फैसला

शहडोल, मध्य प्रदेश : दोनों लालों की स्लीपर सेल की वफादारी पर है पूरा दारोमदार। 3 दिन बाद होगा मतदान, आज से घंटो में गिना जायेगा काउंट डाऊन।

शहडोल, मध्य प्रदेश। प्रदेश की अन्य 27 विधानसभा सीटों की तरह ही संभाग के अनूपपुर जिला मुख्यालय की विधानसभा सीट क्रमांक 87 पर भी उपचुनाव होने हैं, तीन दिन-72 घंटो बाद मतदान शुरू होगा, ऐसे में प्रत्याशियों व उनके दलों की मेहनत चरम पर है, लेकिन जीत-हार का फैसला तो, स्लीपर सेल की वफादारी पर टिका हुआ है।

अगले 72 घंटो बाद 3 नवम्बर की सुबह से अनूपपुर विधानसभा में उपचुनाव के लिए मतदान होगा, प्रत्याशियों और उनके समर्थकों के साथ ही कांग्रेस और भाजपा के फर्श से अर्श तक के नेताओं ने नतीजे अपने पक्ष में लाने के लिए पूरी ताकत झोंकी है। बीते 40 सालों से जो नेता कांग्रेस के चुनाव चिन्ह पर मतदान की अपील कर रहे थे। अब वो भाजपा के चुनाव चिन्ह पर वोट मांग रहे हैं। दोनों ही राजनैतिक दलों के कार्यकर्ता-समर्थक तो, प्रचार में लगे ही हैं, लेकिन यह पहला चुनाव होगा जब जीत-हार का पूरा दारोमदार भाजपा के ही दो नेताओं की स्लीपर सेल पर टिका हुआ है। वर्तमान परिस्थितियों से यह भी स्पष्ट है कि कांग्रेस बराबर की टक्कर में तो है, लेकिन उसकी भाग्य का फैसला कांग्रेस प्रत्याशी नहीं बल्कि पूर्व के चुनाव के दौरान भाजपा व कांग्रेस के प्रत्याशियों की स्लीपर सेल अर्थात खुद की टीम पर टिका हुआ है।

कैबिनेट मंत्री की साख दांव पर :

बिसाहूलाल सिंह अनूपपुर में कांग्रेस का पर्याय माने जाते थे, यही नहीं उनके कांग्रेस में रहने के दौरान जिले में कांग्रेस का कोई दूसरा नेता न तो पनप पाया और तो और इस अंतराल में बिसाहू के जनक व राजनैतिक गुरू माने जाने वाले पूर्व केन्द्रीय मंत्री स्व. दलबीर सिंह तक के गुट को बिसाहू ने अनूपपुर जिले में तो पटखनी दे ही दी थी, बहरहाल अब बिसाहू कांग्रेस से भाजपा में आ चुके हैं और भाजपाईयों को बिसाहू की इस रीति और नीति का डरा सता रहा है। वर्तमान में बिसाहूलाल सिंह प्रदेश भाजपा सरकार में कैबिनेट मंत्री है, उनके भाजपा में आने से भले ही प्रदेश की सत्ता में भाजपा की वापसी हुई और पार्टी मजबूत भी हुई, लेकिन अनूपपुर विधानसभा व जिले में पार्टी के पुराने नेता बिसाहू के भाजपा में आने के बाद अपना कद की चिंता में हैं।

बिसाहू को स्लीपर सेल पर भरोसा :

बिसाहूलाल सिंह भले ही भाजपा से चुनाव मैदान में है और पार्टी पूरी ईमानदारी के साथ नीचे से ऊपर तक बिसाहू को जिताने में लगी है, लेकिन बिसाहूलाल की जीत और हार का दारोमदार भाजपा के साथ ही बिसाहूलाल की पूरी विधानसभा सहित पूरे जिले में फैले स्लीपर सेल पर है। जो वर्षाे से बिसाहूलाल के प्रति वफादार रही है और बिसाहूलाल उनके प्रति, इस स्लीपर सेल में पुराने कांग्रेसियों के साथ भाजपाई भी शामिल है, जो वर्तमान में भाजपा संगठन के समानांतर बिसाहूलाल सिंह के लिए रात-दिन एक किये हुए हैं। यह कहना अतिश्योक्ति नहीं होगी कि बिसाहू को जीत के लिए भाजपा से कहीं ज्यादा भरोसा अपनी स्लीपर सेल पर है।

रामलाल की स्लीपर सेल भी रेडी :

इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि अनूपपुर विधानसभा क्षेत्र में बीते 4 चुनाव एक-दूसरे के खिलाफ लड़ चुके बिसाहू और रामलाल क्षेत्र के सबसे दमदार नेता रहे हैं, जमीनी पकड़ रखने वाले इन दोनों नेताओं का अपनी-अपनी पार्टी के अलावा खुद का भी ग्राम स्तर तक वजूद रहा है। पार्टी के समानांतर बिसाहूलाल के तरह ही रामलाल की भी स्लीपर सेल रही है, बिसाहू के कांग्रेस छोड़ने के बाद उसकी स्लीपर सेल रामलाल की तुलना में कमजोर भी हुई। मुख्यालय से लेकर चचाई, बरगवां, देवहरा, चकेठी, धिरौल, पटना, जैतहरी तथा फुनगा, बम्हनी, परासी, पसान सहित समस्त क्षेत्रों में रामलाल की खुद की एक टीम है। जो कोल वोट बैंक के जुडऩे के बाद दुगनी हो जाती है। यह टीम कभी नहीं चाहेगी की उनका नेता इन चुनावों के बाद कहीं का न रहे। कम से कम बिसाहू की हार रामलाल और उसके स्लीपर सेल के लिए उम्मीद की एक किरण तो जगा ही सकती है और बिसाहू की जीत पर रामलाल के खिलाफ रही भाजपा की टीम अगर मजबूत हुई तो, इनकी टीम को गर्त में जाने से कोई नहीं रोक सकता।

तय करेगी स्लीपर सेल :

जिस तरह बिसाहूलाल को जीत के लिए भाजपा के साथ ही अपनी स्लीपर सेल पर पूरा भरोसा है, उसी तरह रामलाल भले ही भाजपा का प्रचार कर रहे हैं, लेकिन उन्हें अपनी स्लीपर सेल पर पूरा भरोसा है, जो साईलेंट और क्राउड जोन में रहने के बाद भी अपने आका के राजनैतिक भविष्य को लेकर तय किये गये अपने फैसले को शायद ही बदले।

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