ग्वालियर, मध्य प्रदेश। वेतन न मिलने से नाराज सफाई कर्मचारियों के प्रदर्शन की गूंज भोपाल पहुंच गई है। सोमवार को कलेक्टर-कमीश्नर वीडियो कॉन्फ्रेस के दौरान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने स्थिति पर गंभीर नाराजगी जताई। उन्होंने नाराज होकर निगमायुक्त को हटाने के निर्देश दिए। वहीं दूसरी तरफ कचरा फेंकने वाले तीन कर्मचारियों के खिलाफ डब्लूएचओ द्वारा एफआईआर भी दर्ज कराई गई है।
नगर निगम के सफाई कर्मचारी वेतन न मिलने के कारण तीन दिन से प्रदर्शन कर रहे हैं। कर्मचारी कचरे से भरी गाड़ी सड़कों पर पलट रहे हैं। रविवार को निगमायुक्त संदीप माकिन द्वारा ठेकेदार को निर्देशित करके कई कर्मचारियों का वेतन खाते में डलवा दिया था। लेकिन कुछ कर्मचारी दिसंबर माह के वेतन का भुगतान करने एवं आगे से महीने की पांच तारीख तक वेतन उपलब्ध कराने की मांग को लेकर प्रदर्शन करते रहे। सुबह हजीरा, पड़ाव एवं नई सड़क पर कचरा फेंकने की शिकायत सामने आई। पड़ाव पर कचरा गाड़ी रोककर कचरा फैला रहे तीन सफाई कर्मचारी सुनील डागौर, सुधीर डागौर एवं चिम्मन पुत्र शंकर को जोन क्रमांक 6 एवं वार्ड क्रमांक 32 के डब्लूएचओ अशोक धवल ने पहचान लिया। डब्लूएचओ ने कर्मचारियों को कचरा फैलाने से रोका तो उन्होंने धक्का देकर गाली गलौच शुरू करते हुए जान से मारने की धमकी दी। इसकी शिकायत तत्काल स्वास्थ्य अधिकारी एवं निगमायुक्त से की गई। निगमायुक्त के निर्देश पर कचरा फैलाने वाले कर्मचारियों के खिलाफ पड़ाव थाने में धारा 147,353,294 एवं 506 के तहत प्रकरण दर्ज कराया गया। वहीं दोपहर में शुरू हुई सीएम शिवराज सिंह चौहान की कलेक्टर-कमीश्रर कॉफ्रेंस में कचरा प्रकरण को लेकर गंभीर नाराजगी जताई गई। सीएम ने निगमायुक्त संदीप माकिन से मुखातिब होते हुए कहा कि आप कर्मचारियों के वेतन देने में इतना विलंब कर देते हैं कि उन्हें कचरा फेंकने को मजबूर होना पड़े। इसके जबाव में निगमायुक्त ने कहा कि ठेकेदार के बिलों का भुगतान कर दिया है और कर्मचारियों को भी वेतन मिल गया है। लेकिन सीएम इस जबाव से संतुष्ट नहीं हुए। उन्होंने निगमायुक्त को हटाने के लिए मुख्य सचिव को निर्देश दिए।
सांसद के घर के सामने फेंका जा रहा है कचरा :
पिछले तीन दिन से कर्मचारी नई सड़क स्थित सांसद विवेक नारायण शेजवलकर के घर के सामने मुख्य सड़क पर कचरा फेंक रहे थे। इसकी शिकायत सांसद द्वारा की गई थी। लेकिन हालातों में कोई बदलाव नहीं हुआ। कर्मचारी कचरा फेंक जाते थे और निगम अमला कचरा उठाकर ले जाता। यह स्थिति शहर के अन्य स्थानों पर भी बनी हुई थी।
अपर आयुक्तों से गंभीर नाराज हैं सीएम :
नगर निगम में बिल भुगतान को लेकर मोटा कमीशन एक अपर आयुक्त द्वारा मांगा जाता है। वहीं लेखा शाखा के भी कई आरोप लगे हुए हैं। कुछ दिन पहले ईओडब्लू द्वारा तत्कालीन सिटी प्लानर को पांच लाख की रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार करने के मामले में भी एक अपर आयुक्त का नाम जोर शोर से उछला था। इनके खिलाफ तभी से कार्यवाही करने की तैयारी चल रही थी। इन दोनों अधिकारियों को बचाने के फेर में निगमायुक्त को सीएम की डांट झेलनी पड़ी है।
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