सतनाम पंथ के प्रवर्तक व भारत के महान संत गुरु Ghasidas की जयंती पर सीएम ने किया नमन

भोपाल, मध्यप्रदेश। आज गुरु घासीदास की जयंती है, सीएम शिवराज ने ट्वीट कर सतनाम पंथ के प्रवर्तक व भारत के महान संत गुरु घासीदास की जयंती पर उनके चरणों में कोटिशः नमन किया।
आज गुरु घासीदास की जयंती है,
आज गुरु घासीदास की जयंती है,Social Media

भोपाल, मध्यप्रदेश। आज गुरु घासीदास (Ghasidas) की जयंती है। बता दें कि, गुरु घासीदास न केवल एक संत थे बल्कि एक समाज सुधारक भी थे। गुरु घासीदास का जन्म ऐसे समय हुआ जब समाज में छुआछूत, ऊंच नीच, झूठ-कपट का यह सब बहुत ज्यादा था। उस वक्त बाबा घासीदास ने ऐसे समय में समाज में समाज को एकता, भाईचारे तथा समरसता का संदेश दिया साथ ही समाज मने जागरूकता लाने का महत्वपूर्ण काम किया है।

गुरु घासीदास की जयंती पर CM ने किया नमन, कही ये बात

मध्यप्रदेश के सीएम शिवराज ने ट्वीट कर सतनाम पंथ के प्रवर्तक व भारत के महान संत गुरु घासीदास की जयंती पर उनके चरणों में कोटिशः नमन किया। कहा- गुरु घासीदास जी ने सामाजिक-आर्थिक विषमता, शोषण तथा जातिवाद को समाप्त करके मानव-मानव एक समान का जो संदेश दिया है, वह युगों-युगों तक मानवजाति को प्रेरणा देता रहेगा।

घासीदास के सप्त सिद्धांत सर्वदा मानवता का कल्याण करते रहेंगे: CM

मुख्यमंत्री शिवराज ने कहा कि पीड़ितों की सेवा ही ईश्वर की सच्ची भक्ति और मानवता की आराधना ही सच्चा कर्मयोग है।-गुरु घासीदास 'मनखे-मनखे एक समान' का संदेश देकर समाज में नई जागृति लाने वाले महान संत गुरु घासीदास जी के अवतरण दिवस पर कोटिश: नमन्! आपके सप्त सिद्धांत सर्वदा मानवता का कल्याण करते रहेंगे।

गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने ट्वीट कर कही ये बात :

मध्यप्रदेश के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने भी ट्वीट कर कहा कि 'मनखे-मनखे एक समान' के सन्देश से गुरु घासीदास जी ने समाज में व्याप्त छुआछूत को मिटाने की अलख जगाई। उन्होंने समाज कल्याण की जिस भावना से 'सप्त सिद्धांत' की रचना की, उसमें लिखे सात वचन समाज के लिए आज भी अनमोल हैं।

आपको बताते चलें कि, हर साल 18 दिसंबर को गुरु घासीदास की जयंती मनाई जाती है। 18 दिसंबर 1756 को कसडोल ब्लॉक के छोटे से गांव गिरौदपुरी में एक अनुसूचित जाति परिवार में पिता महंगूदास और माता अमरौतिन बाई के यहां बाबा गुरु घासीदास का जन्म हुआ था, कहा जाता है कि बाबा का जन्म अलौकिक शक्तियों के साथ हुआ था। घासीदास ने समाज में व्याप्त बुराइयों को जब देखा तब उनके मन में बहुत पीड़ा हुई तब उन्होंने समाज से छुआछूत मिटाने के लिए 'मनखे-मनखे एक समान' का संदेश दिया।

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